मुइज़्ज़ू का पांच दिन का दौरा, मालदीव के लिए चीन के मुक़ाबले क्या अब भारत बना अहम
- Posted By: Tejyug News LIVE
- विदेश
- Updated: 6 October, 2024 19:35
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मुइज़्ज़ू का पांच दिन का दौरा, मालदीव के लिए चीन के मुक़ाबले क्या अब भारत बना अहम
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू की पांच दिनों की भारत यात्रा रविवार से शुरू हो रही है. उनकी यह यात्रा 10 अक्तूबर तक चलेगी.
मालदीव के आर्थिक हालात को देखते हुए मुइज़्ज़ू के लिए यह यात्रा काफ़ी अहम है. हाल के दिनों में बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका की सत्ता में हुए बदलाव की वजह से भारत के लिए भी मालदीव के साथ अच्छे होते संबंध ख़ास मायने रखते हैं.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू अपनी भारत यात्रा के दौरान राहत पैकेज की मांग कर सकते हैं. द्वीपों का यह देश क़र्ज़ का भुगतान न कर पाने की आशंका में आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू पिछले साल ही मालदीव की सत्ता पर काबिज़ हुए थे. उसके बाद से द्विपक्षीय बातचीत के लिए यह उनकी पहली आधिकारिक भारत यात्रा है.
मालदीव ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान मालदीव पर भारत के असर को कम करने का वादा किया था.
मुइज़्ज़ू के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. लेकिन जानकारों का कहना है कि उनकी यात्रा से पता चलता है कि मालदीव अपने विशाल पड़ोसी देश भारत की अनदेखी नहीं कर सकता.
बीते सितम्बर महीने में मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार क़रीब 440 मिलियन डॉलर का रह गया था, जो कि महज़ डेढ़ महीने के आयात के लिए पर्याप्त है.
पिछले महीने वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने मालदीव की क्रेडिट रेटिंग घटाते हुए कहा था कि उसके "डिफॉल्टर होने का जोख़िम काफ़ी बढ़ गया है."
भारतीय बेलआउट (आर्थिक मदद) से देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ावा मिलेगा.
मालदीव में क़रीब 1200 द्वीप हैं जो हिंद महासागर के मध्य में स्थित हैं. इस द्वीपसमूह की आबादी 5 लाख से थोड़ी ज़्यादा है, जबकि भारत की आबादी 140 करोड़ है.
एक छोटे द्वीपीय देश के रूप में मालदीव अपने भोजन, बुनियादी ढांचे के निर्माण और चिकित्सा सेवाओं के लिए ज़्यादातर अपने पड़ोसी भारत पर निर्भर है.
भारत और मालदीव ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं की है कि इस यात्रा के दौरान मालदीव के लिए वित्तीय पैकेज पर चर्चा होगी.
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह चर्चा का हिस्सा होगा.
मालदीव के एक वरिष्ठ संपादक ने नाम न ज़ाहिए करने की शर्त पर बीबीसी को बताया, "मुइज़्जू की यात्रा की मुख्य प्राथमिकता अनुदान सहायता और ऋण के भुगतान की नए तरीके से व्यवस्था कर एक वित्तीय मदद सुनिश्चित करना है."
उन्होंने कहा कि मुइज़्जू यह भी चाहते हैं कि मालदीव के केंद्रीय बैंक "विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए 400 मिलियन डॉलर के फ़ॉरेन एक्सचेंज का सौदा करें."
रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने मालदीव के आर्थिक हालात पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि "विदेशी मुद्रा भंडार सरकार के विदेशी कर्ज़ से काफ़ी नीचे है. जो साल 2025 में क़रीब 600 मिलियन डॉलर और साल 2026 में 1 अरब डॉलर से ज़्यादा होगा."
मालदीव का सार्वजनिक ऋण क़रीब 8 अरब डॉलर है, जिसमें चीन और भारत का क़रीब 1.4 अरब डॉलर का ऋण शामिल है.
मालदीव के संपादक के मुताबिक़, "मुइज़्ज़ू के कई मौक़ों पर यह कहने के बावजूद कि चीन ने पांच साल के लिए ऋण भुगतान न करने को हरी झंडी दे दी है, मालदीव को चीन से वित्तीय मदद नहीं मिली है."
भारत का मालदीव पर लंबे समय से प्रभाव रहा है, जिसकी रणनीतिक स्थिति की वजह से हिंद महासागर के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर नज़र रखी जा सकती है.
लेकिन मुइज़्ज़ू चीन के क़रीब जाकर इसे बदलना चाहते थे.
इसी साल जनवरी महीने में मुइज़्ज़ू के प्रशासन ने भारत को मालदीव में मौजूद क़रीब 80 सैनिकों को वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया था.
भारत ने कहा था कि ये सैनिक दो बचाव और टोही हेलीकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान को चलाने और संचालित करने के लिए वहां तैनात थे. इन विमान-हेलीकॉप्टरों को भारत ने सालों पहले मालदीव को दान किया था.
अंत में दोनों देश विमानों के संचालन के लिए सैनिकों के बदले भारतीय असैनिक तकनीकी कर्मचारियों को रखने पर सहमत हो गए.
अपना कार्यभार संभालने के एक महीने बाद ही मुइज़्ज़ू के प्रशासन ने यह भी घोषणा की कि वह भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा. इस समझौते पर पिछली सरकार ने मालदीव की सीमा में आने वाले समुद्र तल का मानचित्र बनाने के लिए हस्ताक्षर किए थे.
भारत आने से पहले मुइज़्ज़ू ने तुर्की और चीन की यात्रा करने का विकल्प चुना था.
उसके बाद एक बड़ा विवाद उस वक़्त खड़ा हो गया जब मुइज़्ज़ू के तीन उप मंत्रियों ने मोदी के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उन्हें "इसराइल की कठपुतली" तक कह दिया.
इस टिप्पणी से हंगामा मच गया और भारत में सोशल मीडिया पर मालदीव का बहिष्कार करने की मांग की गई.
मालदीव की सरकार ने कहा कि यह टिप्पणी निजी थी और सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती. इस घटना के बाद सरकार ने तीनों मंत्रियों को मंत्रिमंडल से निलंबित कर दिया.
भारत में सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रिया पर मुइज़्ज़ू ने उस समय कहा था, "हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन इससे आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है."
मुइज़्ज़ू के प्रशासन ने चीनी शोध जहाज़ ज़ियांग यांग होंग-3 को भी अपने बंदरगाह पर आने की अनुमति दे दी, जिससे भारत काफ़ी नाराज़ हुआ था.
कुछ लोगों ने इसे डेटा जुटाने के एक मिशन के रूप में देखा, जिसका इस्तेमाल बाद में चीनी सेना पनडुब्बी अभियानों में कर सकती थी.
फिर भी इस साल जून में नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए उनके शपथ ग्रहण समारोह में मुइज़्ज़ू के शामिल होने के बाद दोनों देशों के संबंधों में मधुरता आई है.
उसके बाद अगस्त में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मालदीव यात्रा से भी द्विपक्षीय संबंधों में नई जान आई है.
जयशंकर के मुताबिक़ , "मालदीव हमारी 'नेबरहुड फ़र्स्ट पॉलिसी' की आधारशिलाओं में से एक है."
उन्होंने कहा था, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में संक्षेप में कहें तो - भारत के लिए पड़ोस प्राथमिकता है और पड़ोस में मालदीव प्राथमिकता है."
भारत के लिए यह दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि हाल ही में बांग्लादेश में शेख़ हसीना की भारत की क़रीबी मित्र की सरकार हट चुकी है. जबकि नेपाल में भारत की नीतियों की आलोचना करने वाले केपी शर्मा ओली की प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी हुई है.
मुइज़्ज़ू को एहसास हो गया है कि भारत को नाराज़ करने का उनके पास कोई विकल्प नहीं है और मुइज़्ज़ू का यह व्यावहारिक रवैया बेवजह नहीं है.
पिछले साल मालदीव आने वाले भारतीय पर्यटकों की तादाद में 50 हज़ार की कमी आई है, जिसकी वजह से मालदीव को क़रीब 150 मिलियन डॉलर का नुक़सान हुआ है.
मुइज़्ज़ू को पता है कि अगर उन्हें भारत से वित्तीय सहायता नहीं मिली तो मालदीव एक ‘गुम हो चुका स्वर्ग’ बन जाएगा इसलिए उनकी भारत यात्रा अहम है.
जनवरी में तुर्की और चीन की उनकी यात्रा को भारत के लिए एक उच्च-स्तरीय कूटनीतिक अपमान के रूप में देखा गया था.
मालदीव के पिछले नेता चुनाव जीतने के बाद आमतौर पर सबसे पहले भारत आते रहे हैं.
मुइज़्ज़ू के मालदीव की सत्ता में आने के बाद भारत के साथ एक विवाद तब खड़ा हो गया था जब मालदीव के मंत्री और अन्य नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी.
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी लक्षद्वीप यात्रा के दौरान कहा था कि जो लोग रोमांच पसंद करते हैं उन्हें लक्षद्वीप आना चाहिए.
उसके बाद मालदीव में कई लोगों ने दोनों जगहों की तुलना करते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर और मालदीव के जानकार अज़ीम ज़हीर कहते हैं, "राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की यात्रा कई मायनों में एक बड़ा बदलाव है."
उन्होंने कहा, "सबसे अहम बात यह है कि इस यात्रा से पता चलता है कि मालदीव भारत पर कितना निर्भर है. यह एक ऐसी निर्भरता जिसे कोई अन्य देश आसानी से पूरा नहीं कर पाएगा."
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