लाखों लोगों की मौत और हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा, कहानी तंबोरा के विस्फोट की

लाखों लोगों की मौत और हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा, कहानी तंबोरा के विस्फोट की

लाखों लोगों की मौत और हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा, कहानी तंबोरा के विस्फोट की

तंबोरा ज्वालामुखी विस्फोट को अब तक का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट कहा जाता है. अप्रैल 1815 में हुआ यह विस्फोट लगभग एक लाख लोगों के लिए काल बन गया था.

पृथ्वी पर ऐसी कई प्राकृतिक घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने पूरी मानव सभ्यता को प्रभावित किया है. तंबोरा ज्वामुखी के विस्फोट की घटना भी ऐसी ही थी. ये घटना इतनी भयावह थी कि इसके बाद कई दिनों तक सूरज की रौशनी भी धरती पर नहीं पड़ी थी. चलिए आपको आज इस विस्फोट की पूरी कहानी बताते हैं. इसके साथ ही ये भी बताते हैं कि इस तबाही ने कितने लोगों की जान ली थी.

सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट

तंबोरा ज्वालामुखी विस्फोट को अब तक का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट कहा जाता है. अप्रैल 1815 में हुआ यह विस्फोट लगभग एक लाख लोगों के लिए काल बन गया था. जबकि, इससे निकली राख इतनी ज्यादा थी कि इसने ज्वालामुखी से प्रभावित इलाके में सूरज की रौशनी पहुंचने से रोक दिया था. दरअसल, जब तंबोरा ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ तो पूरा आसमान काले राख से भर गया. इसकी वजह से हर तरफ अंधेरा हो गया. राख का ये अंधेरा इतना गहरा था कि सूरज की रौशनी भी इसे पार नहीं कर पा रही थी.

वोल्कैनिक सर्दी का दौर शुरू हुआ

तंबोरा ज्वालामुखी विस्फोट VEI-7 (Volcanic Explosivity Index) के स्तर पर था, जो किसी भी सक्रिय ज्वालामुखी विस्फोट के लिए सबसे हाई लेवल में से एक है. कहा जाता है कि इस ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद जब राख ने आसमान को ढक लिया और कई दिनों तक सूरज की रौशनी इंडोनेशिया के इस इलाके पर नहीं पड़ी. इसके बाद यहां वोल्कैनिक सर्दी का दौर शुरू हुआ. इसके अलावा एसिडिक बारिश ने भी लोगों का जीना हराम कर दिया था. तापमान में गिरावट का असर कृषि पर भी पड़ा. खासतौर से आलू, मक्का, गेहूं जैसी फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट देखी गई.

इस समय भी कई ज्वालामुखी हैं सक्रिय

अब सवाल उठता है कि क्या दुनिया इस तरह की तबाही से फिर गुजर सकती है. शायद हां, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि धरती पर अभी कई ऐसे ज्वालामुखी हैं जो लगातार सक्रिय हैं. इनमें से एक है किलाऊआ जो अमेरिका के हवाई में है. यह दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. 2018 में किलाऊआ के विस्फोट ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी.

इसके अलावा इटली में मौजूद माउंट एटना ज्वालामुखी भी सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. दरअसल, एटना को यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी कहा जाता है. यह इटली के सिसिली द्वीप पर मौजूद है और इसमें विस्फोट हर कुछ महीनों या वर्षों में होते रहते हैं. इस ज्वालामुखी के बारे में कहा जाता है कि यह इतिहास के सबसे पुराने और सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है.

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