योगीजी ‘नौकरशाहों’ से ‘बचिए’ नहीं तो ‘डुबो’ देगें ‘नैया’
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 27 November, 2025 19:43
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योगीजी ‘नौकरशाहों’ से ‘बचिए’ नहीं तो ‘डुबो’ देगें ‘नैया’
बस्ती। सत्ताधारी पार्टी में रहकर सीएम के क्रियाकलापों के खिलाफ बोलना किसी भी विधायक और एमएलसी के लिए आसान नहीं होता, लेकिन एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने हमेशा गलत चीजों का विरोध किया। चाहें मुलायम सिंह रहे हो या फिर चाहें योगीजी हो, इनपर कोई फर्क नहीं पड़ता। नियम विरुद्व और जनहित के खिलाफ काम करने वाले सरकारों पर यह अपनी आदत के मुताबिक निरंतर हमला बोलते रहें। गोरखपुर के मुख्यमंत्री और गोरखपुर के एमएलसी दोनों के विचारों में जमीन आसमान का अंतर है। अगर अंतर नहीं होता तो यह गोरखपुर में ही योगीजी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन नहीं करते। कहते भी हैं, कि अगर हम गलत कामों का विरोध नहीं करेगें तो करेगा कौन? हम जनता के प्रतिनिधि है, और जनता ने हम्हें एमएलसी बनाया, किसी सरकार ने हम्हें एमएलसी नहीं बनाया, इस लिए हमारी पहली प्राथमिकता जनता के प्रति हैं, और हम जनता के प्रति पूरी तरह से निष्ठा रखते है। यह भी कहते हैं, कि मैं पिछले कई सालों से योगीजी को आगाह करता आ रहा हूं कि अफसर बेलगाम हो गए, जिसके चलते सरकार और आपकी बहुत बदनामी हो रही है, सरकार की छवि खराब हो रही है, लेकिन योगीजी सुनने को तैयार ही नहीं, इन्हें अपने जनप्रतिनिधियों से अधिक उन अफसरों पर भरोसा है, जो पूरे प्रदेश को लूट रहे हैं, लेकिन योगीजी को कुछ दिखाई ही नहीं देता, जो इनके अफसर कह देते हैं, उसी पर आंख बंद करके हस्ताक्षर कर देतें है। अफसरों की लापरवाही और मनमानी के चलते जनता अब तो जनप्रतिनिधियों को ही भला बुरा कह रही है, और कह रही है, कि जब आप लोग जनहित का कोई काम नहीं करा सकते तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देतें? न जिले के और न राजधानी का कोई भी अधिकारी जनहित का काम नहीं कर रहा है। सब योगीजी का खास बनने के चक्कर में पूरे प्रदेष को ही डुबोने में लगें हुए है।
एक दिन पहले नेताजी ने फिर योगीजी को अफसरों की मनमानी को लेकर आगाह करते हुए पत्र लिया, और कहा कि नौकरशाही के मन में विधायिका के प्रति अनादर का भाव जोर पकड़ लिया है, विधायी संस्थाओं के प्रति उनके मन में आदर और सम्मान का भाव अब नहीं रहा। इसी लिए हाल के सालों में विभागाध्यक्ष समितियों की बैठक में आने से बचते रहे। अब यह लोग समिति की बैठक में न आना पड़े इस लिए समितियों को ही पंगु बनाने के उद्वेष्य से उपरोक्त पत्र संसदीय विभाग से जारी करवा दिया। कहा कि योगीजी, संसदीय जनतंत्र मे विधायिका और विधायी संस्थाओं की गरिमा अक्षुण्य बनाए रखना हम सबका का सामूहिक उत्तरदायित्व है, और विधायिका की गरिमा और शक्तियों तथा स्थापित संसदीय परम्पराओं को यथावत् बनाए रखने के लिए मेरी ओर से कुछ सुझाव दिए जा रहे है। अनेक उदाहरण देते हुए कहा कि उपरोक्त से स्पष्ट है, कि प्रमुख सचिव संसदीय कार्य विभाग के द्वारा लिखा पत्र संविधान की मंशा के विपरीत एवं सदन तथा माननीय सभापति एवं उनके द्वारा गठित समितियांे की शक्तियों में हस्तक्षेप करना एवं विशेषाधिकार का हनन तथा सदन एवं समितियों पर नियंत्रण करने की अनाधिकृत प्रयास है। कहा कि उक्त पत्र पर कठोरता पूर्वक निर्णय लेकर विधायिका को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की सर्वोच्चता को बनाए रखने के संबध में ऐसा आदेष पारित करे, जिससे भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति कार्यपालिका न कर सके।

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