विधायकजी’ बताइए, क्या ‘हर्रैया’ के ‘किसानों’ ने वोट नहीं ‘दिया’?
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 23 October, 2025 20:13
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‘विधायकजी’ बताइए, क्या ‘हर्रैया’ के ‘किसानों’ ने वोट नहीं ‘दिया’?
-अगर दिया, तो क्यों नहीं विक्रमजोत, गौर, दुबौलिया और परसरामपुर विकास खंड क्षेत्र में बी. पैक्स के धान क्रय केंद्र खोले गए, आखिर यहां के हजारों किसान धान कहां बेचने जाएगें जबकि सबसे अधिक धान की खेती और पैदावार उक्त ब्लाक क्षेत्रों में होती
-वहीं बनकटी, साउंघाट और रुधौली में जहां पर कम धान की खेती है, वहां पर बी. पैक्स के 19 धान खरीद केंद्र बना दिए गए, बनकटी और साउंघाट में इस लिए सात-सात केंद्र बनाए गए, क्यों कि यह ब्लॉक सचिव संघ के अध्यक्ष और महामंत्री का हैं, रुधौली में भी इस लिए पांच सेंटर बनाए गए, क्यों कि यह समिति, संघ के अध्यक्ष का
-मीडिया और विक्रमजोत, गौर, दुबौलिया और परसरामपुर विकास खंड क्षेत्र के किसान चिल्लाते रह गए, लेकिन डीएम, एडीएम, एआर, पीसीएफ के डीएस ने एक न सुनी, एआर और पीसीएफ के डीएस ने जिस चहेते सचिवों को चाहा, उसके नाम चार-चार सेंटर बना दिया
-हर्रैया विधानसभा क्षेत्र में इस लिए सेंटर नहीं बनाया, क्यों कि यहां पर विधायक अजयसिंह के रहते फर्जीवाड़ा नहीं कर पाते, एक तरह से अधिकारियों ने भ्रष्ट सचिवों के हवाले पूरा जिला कर दिया
-ऐसा लगता है, मानो सेंटर बनाने से पहले अधिकारियों ने भाजपा विधायक से कोई राय नहीं लिया, जबकि इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी राय लेने की व्यवस्था हैं, चूंकि अधिकारी इतना बेलगाम हो गए हैं, कि वह जनप्रतिनिणियों को भी नजरअंदाज करने लगें, इसे जनप्रतिनिधियों की कमजोरी भी किसान मान रही
-विप़क्ष के जनप्रतिनिधियों को उन भ्रष्ट एआर, पीसीएफ के डीएस और सचिवों का सार्वजनिक रुप से सम्मान करना चाहिए, रही बात सत्ता पक्ष के वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों एवं भाजपा संगठन के पदाधिकारियों की तो इन्हें चूल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए
बस्ती। पता नहीं क्यों धान खरीद का सेंटर बनाए जाने के मामले में जनप्रतिनिधि, डीएम और एडीएम, एआर और पीसीएफ के डीएस के सामने कमजोर पड़ जाते हैं? यह सवाल आज से नहीं बल्कि पिछले दो-तीन सालों से किसान और मीडिया करती आ रही है, प्रशासनिक अधिकारियों की बात तो कमजोर होने की समझ में आती है, लेकिन जनप्रतिनिधियों का कमजोर होना, चुप रहना, सवाल न करना और मनमानी करने देना समझ से परे। देखा जाए तो किसान तो जनप्रतिनिधियों पर ही निर्भर रहता है, लेकिन अगर जनप्रतिनिधि ही किसानों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरेगें तो सवाल तो जनप्रतिनिधियों पर मीडिया और किसान उठाएगी। यही कारण है, कि ‘विधायकजी’ से यह पूछा जा रहा हैं, कि क्या हर्रैया ‘विधानसभा क्षेत्र’ के ‘किसानों’ ने भाजपा को वोट नहीं ‘दिया’? अगर दिया, तो क्यों नहीं विक्रमजोत, गौर, दुबौलिया और परसरामपुर विकास खंड क्षेत्र में बी. पैक्स के धान क्रय केंद्र खोले गए, आखिर यहां के हजारों किसान धान कहां बेचने जाएगें, जबकि सबसे अधिक धान की खेती और पैदावार उक्त ब्लाक क्षेत्रों में होती। वहीं बनकटी, साउंघाट और रुधौली में जहां पर कम धान की खेती है, वहां पर बी. पैक्स के 19 धान खरीद केंद्र बना दिए गए, बनकटी और साउंघाट में इस लिए सात-सात केंद्र बनाए गए, क्यों कि यह ब्लॉक सचिव संघ के अध्यक्ष और महामंत्री का हैं, रुधौली में भी इस लिए पांच सेंटर बनाए गए, क्यों कि यह समिति, संघ के अध्यक्ष का है। मीडिया और विक्रमजोत, गौर, दुबौलिया और परसरामपुर विकास खंड क्षेत्र के किसान चिल्लाते रह गए, लेकिन डीएम, एडीएम, एआर, पीसीएफ के डीएस ने एक न सुनी, एआर और पीसीएफ के डीएस ने जिस चहेते सचिवों को चाहा, उसके नाम चार-चार सेंटर बना दिया। सेंटर बनाने के नाम पर धन उगाही करने की बातें कई बार सामने आ चुकी, जिसका उदाहरण प्राइवेट और एक-एक सचिव को चार-चार का प्रभारी बना देना। बतरसर जाता है, हर्रैया विधानसभा क्षेत्र में इस लिए सेंटर नहीं बनाया, क्यों कि यहां पर विधायक अजयसिंह के रहते फर्जीवाड़ा नहीं कर पाते, एक तरह से अधिकारियों ने भ्रष्ट सचिवों के हवाले पूरा जिला कर दिया। विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि भ्रष्ट सचिव धान, गेहूं और खाद का घोटाला कर रहे हेैं, या फिर जिले को लूट रहे हैं, यह लोग तो चाहते हैं, कि भाजपा की सरकार किसी तरह बदनाम हो, यह तो सत्ता पक्ष के एक मात्र विधायक और भाजपा संगठन को देखना होगा कि सरकार की बदनामी न हो और किसानों को धान और गेहूं का वाजिब मूल्य मिल सके। ऐसा लगता है, मानो सेंटर बनाने से पहले अधिकारियों ने भाजपा विधायक से कोई राय नहीं लिया, जबकि इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी राय लेने की व्यवस्था हैं, चूंकि अधिकारी इतना बेलगाम हो चुके हैं, कि वह जनप्रतिनिधियों को भी नजरअंदाज करने लगें, किसान इसे जनप्रतिनिधियों की कमजोरी भी मान रही है। परसरामपुर ब्लॉक जो जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक हैं, वहां पर दिखाने के लिए मात्र बी. पैक्स के तीन सेंटर खोले गए। लेकिन विक्रमजोत, गौर और दुबौलिया में तो एक भी बी.पैक्स का सेंटर नहीं खोला गया। भले ही चाहें इसके लिए पीसीएफ के डीएस को जिम्मेदार माना जा रहा है, लेकिन डीएस भी वही करते हैं, जो एआर चाहते है। क्यों कि दोनों गलत कामों के हिस्सेदार जो होते है, लेकिन डीएम और एडीएम क्यों करते हैं, यह सवाल बना हुआ है। धान खरीद सेंटर के मामले में हर साल प्रशासन पर सवाल उठते आ रहे हैं। देखा जाए तो जनप्रतिनिधियों ने कभी भी धान, गेहूं और खाद को गंभीरता से लिया ही नहीं, अगर लिया होता तो दो साल पहले जिले में सबसे बड़ा धान घोटाला न होता, और न जिला पूरे प्रदेश में बदनाम ही होता। खाद के मामले में भी विधायक अजय सिंह तब गंभीर हुए, जब सचिवों ने सबकुछ लूट लिया। किसानों से माफी मांग कर एक तरह से विधायक ने बड़पन का परिचय दिया। माफी मांगने के बाद किसानों को लगने लगा था, कि धान खरीद सेंटर बनाने में मनमानी नहीं होगी, लेकिन किसानों का सोचना हर बार की तरह इस बार भी गलत साबित हुआ। वही हुआ जो पहले होता आ रहा। कहा भी जा रहा है, जो विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र के किसानों की ंिचता नहीं करते, किसान भी उनकी चिंता नहीं करता और चुनाव में वह हिसाब-किताब अवष्य करता है। विप़क्ष के जनप्रतिनिधियों को उन भ्रष्ट एआर, पीसीएफ के डीएस और सचिवों को सार्वजनिक रुप से सम्मान करना चाहिए, जिन्होंने भाजपा की सरकार को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। रही बात सत्ता पक्ष के वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों एवं संगठन के पदाधिकारियों की तो इन्हें भी सम्मान समारोह में भाग लेना चाहिए और हो सके तो चूल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।

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