विधायक ही कर रहंे विधायक निधि का दुरुपयोग
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 7 January, 2025 08:50
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विधायक ही कर रहंे विधायक निधि का दुरुपयोग
-आखिर विधायक निधि से लोहे का गेट क्यों लगवाया जा रहा, क्यों नहीं आरसीसी और स्टील का लगवाया जा रहा
-जो स्टील का गेट बिना जंग खाए और गिरे सौ साल चल सकता है, उसके लिए क्यों नहीं प्रस्ताव दिया जा रहा
-50 फीसद बखरा वाले लोहे के गेट लगाने में विधायकगण ले रहे अधिक रुचि
-प्रारंभ में विधायक रविसोनकर और अजय सिंह ने आरसीसी का गेट बनावाया था
-एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह को छोड़कर एक भी विधायक ने सोलर लाइट का प्रस्ताव नहीं दिया, इस लिए नहीं देते क्यों कि नेडा में बखरा देने का कोई प्राविधान नहीं
बस्ती। विधायक ही विधायक निधि का दुरुपयोग कर रहे है। कहना गलत नहीं होगा कि जिस गेट को लगाने में सबसे अधिक यानि 50 फीसद बखरा मिलता है, उसी गेट को लगाने का प्रस्ताव धड़ल्ले से विधायकगण दे रहे है। जब केजी क्लास में पढ़ने वाला बच्चा यह समझ सकता है, कि अगर लोहे का गेट बनेगा तो उस पर जंग लग जाएगी, आंधी तूफान आने पर वह उड़ भी सकता है, उसकी लाइफ कम होती है, और अगर आरसीसी और स्टील का गेट लगावाया गया तो ना तो उस पर जंग आएगी और ना वह आंधी तूफान में उड़ेगा ही। इसकी लाइफ सौ साल तक हो सकती है, लेकिन यही बात विधायकों की समझ में नहीं आ रहा। क्यों नहीं आ रहा है, क्यों कि अगर लोहे का गेट लगवाया तो उसमें 50 फीसद तक बखरा मिलेगा और अगर आरसीसी या फिर स्टील का लगवाया तो उसमें मुस्किल से 15-20 फीसद ही बखरा मिलेगा। ठेकेदार को भी बहुत अधिक फायदा नहीं होता। विधायकगण अपना और अपने ठेकेदार का फायदा सबसे पहले सोचते हैं, उसके बाद जनता का नंबर आता है। प्रारंभ में विधायक रविसोनकर और अजय सिंह ने आरसीसी का गेट लगाया, आज भी वह पहले जैसा लग रहा हैं, और वहीं पर अगर आप लोहे का गेट देखेंगे तो अभी से जंग लगनी प्रारंभ हो गई, कब गिर जाए और इसकी चपेट में कितनी जनता आ जाए इसकी चिंता विधायकगण को नहीं रहती है। इन्हें तो बस अपनी और ठेकेदार की चिंता रहती है। इसी लिए कहा जा रहा है, कि विधायकजी ही सरकारी धन का दुरुपयोग करने में लगे हुए है। अगर आप सोलर लाइट पर नजर डाले तो एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह को छोड़कर एक भी अन्य विधायक ने सोलर लाइट का प्रस्ताव नहीं दिया, इस लिए नहीं दिया क्यों कि नेडा में बखरा देने का कोई प्राविधान नहीं हैं। चलिए मान लेते हैं, कि स्टील का गेट लगाने का कोई प्राविधान नहीं हैं, लेकिन आरसीसी का गेट लगाने का तो प्राविधान है, तो फिर क्यों विधायकगण आरसीसी का गेट लगाने का प्रस्ताव देते है। आषुतोष सिंह ने जनसूचना अधिकारी सीडीओ से पांच बिदुओं पर विधायक निधि के बारे में जानकारी मांगी है। हम सभी को मालूम हैं, जानकारी ठीक उसी तरह नहीं मिल सकती है, जिस तरह जिला पंचायत के एएमए ने देने से इंकार कर दिया। चूंकि विधायक निधि और जिला पंचयात के निर्माण कार्यो की कभी जांच नहीं होती है, इस लिए यह लोग ठेकेदार के साथ मिलकर जितना चाहते हैं, उतना लूटते है। सड़क बनी की नहीं बनी, अमृत सरोवर का निर्मार्ण हुआ कि नहीं हुआ? कोई देखने वाला नहीं है। कहा भी जाता है, जिस दिन विधायक, सांसद सिर्फ अपनी निधियों को लेकर ईमानदार हो जाए तो वह कभी हारे ही नहीं। आप लोगों को याद भी नहीं होगा कि कभी डीएम और सीडीओ ने सांसद और विधायक निधि से कराए गए निर्माण कार्यो की जांच करवाया होगा, डीएम माला श्रीवास्तवा ने अवष्य सांसद निधि के दस प्रोजेक्ट की जांच करवाया था, जिसमें दो सड़के ही नहीं मिली। यह सभी को मालूम हैं, जांच कराने की सजा माला श्रीवास्तव को किस रुप में मिली।
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