वश समाप्त करने वालों पर हो कार्रवाई, नहीं तो पत्नी के साथ करेगें आत्मदाह!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 11 September, 2025 20:47
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वश समाप्त करने वालों पर हो कार्रवाई, नहीं तो पत्नी के साथ करेगें आत्मदाह!
बस्ती। वंश को समाप्त करने वाले फातिमा हास्पिटल के दोषी चिकित्सकों पर अगर कार्रवाई न हुई तो पति और पत्नी दोनों आत्मदाह करेगें। इस बात की चेतावनी वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के गनेशपुर नगर पंचायत के वार्ड नम्बर 10 पटेल नगर निवासी मेवालाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दी है। स्वास्थ्य मंत्री, महानिदेशक, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, मण्डलायुक्त और डीएम को भी लिखा।
जिले की अधिकांष आषा गर्भवती महिलाओं को जिंदगी देने के बजाए या तो उनकी जिंदगी समाप्त करने या फिर किसी का वंश ही समाप्त करने का कारण बनती जा रही है। इनकी जिम्मेदारी गांव की गर्भवती महिलाओं को महिला अस्पताल, सीएचसी या फिर पीएचसी ले जाकर बेहतर इलाज कराने की है, लेकिन अधिकांश आशा प्राइवेट अस्पतालों में ले जाती हैं, जहां पर अप्रशिक्षित के लोगों के हाथों या तो जज्जा या फिर बच्चे की मौत हो जाती है। जब भी कोई परिजन अस्पताल या फिर आशा के खिलाफ शिकायत करते हैं, तो शिकायतों को ले देकर रफा दफा कर दिया जाता है। आषा को अपनी सुधारने की आवष्यकता हैं, क्यों कि यह कई मरीजों की जान लेने का कारण बन चुकी है। प्राइवेट अस्पताल वाले अपने फायदे के लिए आशा का इस्तेमाल कर रहे है। ऐसा नहीं कि आशा लाभान्वित नहीं होती, इन्हें भी सेवा देने के एवज में पांच हजार मिलने की बाते कई बार सामने आ चुकी है। इसी तरह का एक और मामला फातिमा हास्पिटल एंड मेटरनिटी सेंटर कटरा पतेलवा का सामने आया। मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा वह आशा, तारा के बहकावे में आकर फातिमा अस्पताल पत्नी को प्रसव के लिए ले गए, इन्होंने कहा कि महिला अस्पताल में बेहतर सुविधा नहीं है। कहा कि बहला फुसलाकर उक्त अस्पताल ले गई। जहां पर कोई योग्य डाक्टर नहीं था। डाक्टर के नाम पर आयुर्वेदिक एवं यूनानी के डा. जहीर और डा. अफसाना रहती है। यह दोनों अपने आपको एमडी फिजिसिएन बताते है। कहा कि मेरा और पत्नी का जीवन एक आशा के चलते बर्बाद हो गया, पत्नी का बिना मेरी अनुमति के बच्चेदानी को निकाल दिया, जब कि डाक्टर और आशा को अच्छी तरह मालूम था, कि यह मेरा पहला बच्चा है। अस्पताल वालों ने तो आपरेशन के जरिए मरे हुए बच्चे को तो निकाल दिया, लेकिन बच्चेदानी को भी निकाल दिया। कहा कि मैं कभी पिता नहीं बन सकती और न पत्नी ही मां बन सकती, इसी को लेकर मेरी पत्नी डिप्रेशन में चली गई, इसी लिए हम इोनों ो निर्णय लिया है, कि अगर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो हम दोनों आत्मदाह कर लेगें, क्यों कि अब तो मेरा वंश ही समाप्त हो गया, तो जीकर हम दोनों क्या करेगें। कहा कि इससे पहले भी हमने शपथ-पत्र के साथ सीएमओ को कार्रवाई के लिए पत्र दिया, लेकिन जांच अधिकारी डा. एसबी सिंह और सीएमओ ने मिलकर ले देकर पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। लिखा कि यह अस्पताल पूरी तरह आशा की दलाली पर ही चलता है, इस अस्पताल में आशा के सहयोग से एर्बासन जैसा गैरकानूनी कार्य होता है। यह लोग मरीजों को पकड़-पकड़ और बहलाफुसला कर लाती है, और अपना कमीशन लेकर चलती बनती है। मरीज मरे या जिए इनसे कोई मतलब नहीं रहता।
पत्र में मेवालाल ने कहा कि सीएमओ ने जाँच कमेटी का गठन किया, जॉच कमेटी ने कई बार जॉच किया, जॉच रिपोर्ट फाड़ा व बदला और मोटी रकम लेकर प्रकरण को निक्षेपित कर दिया। जबकि सीएमओ कार्यालय द्वारा कहा गया कि उक्त अस्पताल का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया है। जॉच टीम ने धन लेकर एक उजड़े हुए परिवार के खुशियों का गला घोंट दिया, और अयोग्य डॉ० अफसाना हैदर व डॉ. एम०जेड० अंसारी को बचा दिया, जबकि उक्त दोनो डाक्टरों के पास एमबीबीएस की डिग्री भी नही है। डॉ. एमजेड अंसारी ने उसे धमकी भी दिया कि कहीं शिकायत करोगे और आगे जाओगे खानदान सहित साफ करवा दूंगा।
मेवालाल ने न्याय की गुहार लगाते हुये चेतावनी दिया है कि यदि न्याय न मिला तो वह अपनी पत्नी के साथ आत्मदाह करने को बाध्य होगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और मुख्य चिकित्साधिकारी की होगी।

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