धीरसेन और पटेल की सुनवाई अब सीएम दरबार में होगी
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 3 June, 2025 21:30
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धीरसेन और पटेल की सुनवाई अब सीएम दरबार में होगी
-जिस चेयरमैन को वित्तीय अनियमितता में पदच्यूत होना और जिस बाबू को बर्खास्त होना चाहिए, वे मिलकर सरकारी धन को लूट रहे
-सांसद, विधायक और डीएम के नाम पर दस-दस फीसद तक ले रहें कमीशन
-सरकारी धन को नीजि की तरह इस्तेमाल कर रहें चेयरमैन धीरसेन और बाबू प्रेम प्रकाश पटेल
-इन दोनों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहे, एलबीसी कार्यालय और अधिकारी
-खुले आम 54 फीसद कमीशन लिया जा रहा, सचिवालय और डीएम के नाम पर दस-दस फीसद कमीशन का खेन हो रहा
-जिला सहकारी बैंक चेयरमैन और भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य राजेंद्रनाथ तिवारी ने सीएम को रिपोर्ट कर दंडात्मक कार्रवाई करने की बात कही
बस्ती। नगर पंचायत रुधौली के चेयरमैन धीरसेन निषाद और बाबू प्रेमप्रकाश पटेल के भ्रष्टाचार की सुनवाई अब सीएम दरबार में होगी। इन दोनों का काला चिठठा जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन और भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य राजेंद्रनाथ तिवारी ने सीएम को भेजी रिपोर्ट में खोलते हुए कहा कि जिस चेयरमैन को वित्तीय अनियमितता में पदच्यूत होना चाहिए और जिस बाबू को बर्खास्त होना चाहिए, वे मिलकर सरकारी धन को लूट रहे हैं, खुले आम डीएम, सांसद और विधायक के नाम पर भारी कमीशन ले रहे है। डीएम और सचिवालय के नाम पर दस-दस फीसद और सांसद एवं विधायक के नाम पर दो-दो फीसद कमीषन ठेकेदारों ले रहे हैं, खुद 30 फीसद कमीशन ले रहे है। यानि 54 फीसद कमीशन का बंदरबांट हो रहा है। विधायक के नाम का सहारा लेकर दोनों खूब लूटपाट मचाए हुएं है। नगर पंचायत के भ्रष्टाचार पर एलबीसी कार्यालय और अधिकारी पर्दा डाल रहे है। सरकारी धन को नीजि की तरह इस्तेमाल कर रहे है। एक बोरी सीमेंट में 16 बोरी बालू मिलाकर सरकारी धन को ठेकेदार के साथ मिलकर लूट रहें है। रिपोर्ट के साथ पेपर का कतरन भी लगाया गया है।
सपा शासित नगर पंचायत रुधौली के भ्रष्टाचार पर हमला बोलने वाले राजेंद्रनाथ तिवारी पहले भाजपा नेता हैं, इससे पहले जितने भी भाजपाईयों ने पत्रों के जरिए आवाज उठाई वे सभी न जाने किस लालच/डर से खामोश हो गए, क्यों खोमोश हो गए, यह कहने और लिखने की जरुरत नहीं। जब नेता विपक्ष के भ्रष्टाचार से समझौता कर लेगा तो सत्तापक्ष और विपक्ष में फर्क क्या रह जाएगा? कहना गलत नहीं होगा, आज जो नगर पंचायत रुधौली को खुले आम संगठित गिरोह की तरह लूटा जा रहा है, उसके लिए न तो सपा के विधायक और न सपा चेयरमैन बल्कि भाजपा के नेता जिम्मेदार है। याद रखने वाली बात यह है, कि जिसने भी पार्टी के साथ विष्वासघात करके विपक्ष का साथ दिया, उन्हें जनता सबक अवष्य सिखाती है। क्यों कि जनता सबकुछ देख रही हैं। कोई नेता यह न समझे कि जनता बेवकूफ या अंधी हैं, वह न तो बेवकूफ हैं, और न अंधी। बहरहाल, नगर पंचायत रुधौली के भ्रष्टाचार का मामला अब स्थानीय नहीं रहा, भले ही व्यवस्था दूषित होने के कारण भ्रष्टाचारी अब तक बचते रहे, आगे भी बच सकते हैं, लेकिन वह समाज में नंगा तो हो ही रहे है। जिस व्यक्ति को समाज और इज्जत की कोई परवाह न हो उस व्यक्ति के लिए बलात्कार और भ्रष्टाचार करना कोई बड़ी बात नहीं होती। जनता नेताओं को इस लिए कुर्सी पर नहीं बैठाती कि वह भ्रष्टाचार और बलात्कार करें। चेयरमैन, बाबू, ईओ और जेई पर तो भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगते रहते हैं, लेकिन जब डीएम, सांसद और विधायक के नाम पर कमीशन लेने का खुलासा हुआ तो जनता आवाक रह गई उसकी समझ में नहीं आ रहा है, कि यह सब हो क्या रहा है? अब बचा कौन? आखिर जनता किसे ईमानदार समझे, जिसे ईमानदार समझती है, वही बेईमान निकलता है। अधिकारी आते और जाते रहते हैं, लेकिन नेताओं को तो हर पांच साल बाद जनता के बीच जाना होता, उन्हें तो अपनी इज्जत का ख्याल रखना ही होगा। नेताओं को ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए, जिससे उन्हें दुबारा वोट मांगने में शर्मिदगी हो। जिन नेताओं के जिम्मे भ्रष्टाचार समाप्त करने की जिम्मेदारी हैं, वही नेता आज खुद भ्रष्टाचार में लिप्त नजर आतें है। लोकतंत्र के साथ इससे बड़ा और मजाक नेता कर ही नहीं सकते। नेताओं को भी अपने दामन को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए, और धीरसेन और पटेल जैसे लोगों से जितना दूर रहेगें, उतना उनका दामन साफ रहेगा। नगर पंचायतों के भ्रष्टाचार का आलम यह है, कि एक अधिकारी जब जिले से जाने लगे तो उन्होंने कहा कि जितना पैसा वह बस्ती से ले जा रहे हैं, उतना पूरे जीवन में नहीं कमाया होगा। अब आप समझ गए होगें कि क्यों नहीं नगर पंचायतों और नगर पालिका के कार्यो की जांच होती? एक बार तत्कालीन डीएम डा. राजशेखर ने पालिका की जांच करवाई थी, एक करोड़ 24 लाख का घोटाला पकड़ा गया, हालांकि उनकी रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज नहीं हुआ, वरना चेयरपर्सन, ईओ, जेई, एई और न जाने कितने ठेकेदार जेल की हवा खा चुके होते। उसके बाद किसी भी डीएम और एडीएम ने जांच नहीं करवाया, जिसके चलते भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया कि डीएम के नाम पर दस फीसद तक कमीशन चेयरमैन मांगने लगे। अगर यही नगर पंचायतों और पालिका का विकास हैं, तो....।
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