तिवारीजी ने ‘प्रेस क्लब’ के ‘आजीवन’ सदस्यता से दिया ‘इस्तीफा’!

तिवारीजी ने ‘प्रेस क्लब’ के ‘आजीवन’ सदस्यता से दिया ‘इस्तीफा’!

तिवारीजी ने ‘प्रेस क्लब’ के ‘आजीवन’ सदस्यता से दिया ‘इस्तीफा’!

बस्ती। राजेंद्रनाथ तिवारी ने प्रेस क्लब के आजीवन सदस्यता से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया। प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद उपाध्याय ने बताया कि तिवारीजी की नाराजगी को उनसे मिलकर दूर किया जाएगा। इसके लिए पूरी कमेटी तिवारीजी के पास जाएगी, और उनके द्वारा दिए गए सुझाव को दूर करने का प्रयास किया जाएगा, मामला कमेटी के पास रखा जाएगा। तिवारीजी ने इस्तीफे का कारण बताया कि उन्होंने एक साल पहले सवाल उठाया था, कि मंच पर ऐसे लोगों को नहीं बैठाना चाहिए, जो पत्रकार और पत्रकारिता दोनों को बदनाम कर रहे है। कहा कि ऐसे लोग जानबूझकर प्रेस क्लब को बर्बाद करना चाहते है। कहा कि इससे पहले भी वह अपनी नाराजगी जताकर मंच पर बैठने या फिर वाकआउट कर चुके है। कहा कि जब उन्होंने देखा कि उनके सुझाव पर अमल करने के बजाए मजाक उड़ाया जा रहा है, तो उन्होंने प्रेस क्लब के आजीवन सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। तिवारीजी का इस्तीफा देना बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है, कि प्रेस क्लब ऐसे लोगों को क्यों बढ़ावा दे रहा है? जिनकी पत्रकारिता अधिकारियों तक ही सीमित है। जब यह सवाल बार-बार उठ रहा है, तो क्यों नहीं प्रेस क्लब के पदाधिकारी इस पर विचार करते? कहा भी जाता है, और थ्योरी भी है, कि अगर किसी एक व्यक्ति के चलते कोई चीज अव्यस्थित हो रही है, तो उस व्यक्ति को स्वंय निर्णय लेना चाहिए, ताकि प्रेस क्लब की बदनामी न हो, अगर को आजीवन सदस्य एक व्यक्ति के चलते इस्तीफा दे रहा है, तो इसे भी अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। इससे पहले भी मीडिया भी इस मामले में सवाल उठा चुका।   

‘चुनाव’ में ‘धांधली’ एवं ‘धूर्तबाजी’ से ‘आहत’ हुए ‘पत्रकार’!

देेखा जाए तो 16 सितंबर 25 के बाद से  ही प्रेस क्लब की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठने लगना शुरु हो गया। हालांकि सबसे पहले इसकी षुरुआत सुदृष्टि नरायन तिवारी के द्वारा डीएम को पत्र लिखकर चुनाव अधिकारी को हटाने की मांग कर चुके है। अब पत्रकार अशोक श्रीवास्तव सहित अन्य पत्रकारों ने प्रेस क्लब की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जांच और कार्रवाई की मांग डीएम को ज्ञापन देकर की है। प्रेस क्लब चुनाव की पारदर्शिता व निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए। कहा गया कि 16 सितम्बर को हुये प्रेस क्लब चुनाव-2025 में व्यापक धांधली व अनियमितता की गई। आरोप लगाया और कहा कि प्रेस क्लब कार्यकारिणी के चुनाव में वोटों के आंकड़े झूठे व संदेहास्पद हैं, साथ ही मतदान व मतगणना की प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाये गये हैं। दावा किया जा रहा है कि चुनाव अधिकारी पारदर्शी व निष्पक्ष चुनाव कराने में नाकाम रहे। कहा कि चुनाव चाहे जैसा हो, इसकी एक आचार संहिता होती है और प्रत्येक मतदाता को पूरी प्रक्रिया में निष्पक्षता व पारदर्शिता की उम्मीद होती है। जबकि सम्पन्न हुई प्रक्रिया सवालों में है, और इससे पत्रकार आहत हुये हैं। ज्ञापन के माध्यम से मतदान व मतगणना के दौरान के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित कराते हुये कुल 15 विन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई है। आरोप यह भी है कि कार्यकारिणी के सात सदस्यों तथा उपाध्यक्ष के दो पदों पर हुये चुनाव में मतगणना के आंकड़े संदेहास्पद है। कुल पड़े वोटों तथा गणना किये गये वोटों की संख्या भिन्न है। बार बार इसे स्पष्ट करने और संदेह दूर करने की मांग की गई, लेकिन अनदेखी कर दिया गया। डीएम एंव सोसायटी रजिस्ट्रार को शिकायती पत्र भेजकर 15 विन्दुओं पर स्थिति स्पष्ट करते हुये कार्यवाही की मांग की गई। डीएम से मिलकर ज्ञापन देने वालों में सतीश श्रीवास्तव, संतोष सिंह, पुनीत ओझा एवं सुदृष्टि नारायण त्रिपाठी आदि मौजूद रहे। डीएम ने सहायक रजिस्टार फर्म सोसायटीज एवं चिट्स गोरखपुर को पत्र लिखकर परीक्षण करने और आख्या देने को कहा।

आठ’ पत्रकार भी ‘डीएम’ को पत्र लिख ‘चुके’

अमर उजाला के नवनिधि पांडेय, वीरेंद्र पांडेय, जागरण के ऐष्वर्यमणि त्रिपाठी, धंनजय श्रीवास्तव, संदीप यादव, हिंदुस्तान के सुमित जायसवाल और बृजवासी लाल इससे पहले 28 अगस्त 25 को डीएम से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन दिया, जिसमें कहा गया कि पिछले कई सालों से प्रेस क्लब को अवैध रुप से संचालित किया जा रहा है। जिसमें मुख्यधारा के किसी भी पत्रकार को प्रेस क्लब की सदस्यता नहीं दी गई। तमाम ऐसे फर्जी लोगों को सदस्य बना दिया गया, जिनसे पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं। जिन्हें कभी भी पत्रकारिाता करते नहीं देखा गया। कहा गया कि जब तक पारदर्षी तरीके से सदस्यों की सूची तैयार न हो जाए, तक तक चुनाव कराना न्यायोजित नहीं होगा। चुनाव पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए जिला सूचना अधिकारी एवं किसी मजिस्टेट की निगरानी में वास्तविक पत्रकारों की सदस्यता सूची तैयार कराने की मांग की। इस पर सूचनाधिकारी ने जो रिपोर्ट लगाया उसमें कहा गया कि प्रेस क्लब बस्ती सहायक रजिस्टार फर्म सोसायटीज एवं चिट्स गोरखपुर के यहां पंजीकृत है। यह संस्था अपने बायलाज के अनुसार संचालित होती है। सूचना विभाग इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। सदस्य बनाने या हटाने का अधिकार पदाधिकारियों के पास निहीत है। इस लिए इसमें कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती।

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