तीन ‘अधिकारियों’ की टीम करेगी ‘वसूली’ अधिकारी ‘डा. एके चौधरी’ की ‘जांच’

तीन ‘अधिकारियों’ की टीम करेगी ‘वसूली’ अधिकारी ‘डा. एके चौधरी’ की ‘जांच’

तीन ‘अधिकारियों’ की टीम करेगी ‘वसूली’ अधिकारी ‘डा. एके चौधरी’ की ‘जांच’

-उमेश गोस्वामी की ओर से कमिष्नर को दिए गए शपथ पत्र पर एडी हेल्थ ने एसआईसी जिला अस्पताल डा. खालिद रिजवान, संयुक्त निदेश हेल्थ डा. नीरज कुमार पांडेय, सीएमएस टीबी अस्पताल डा. एके वर्मा की जांच टीम बनाई

-इसके आलावा इसकी मजिस्टेटी जांच भी चल रही हैं, जिसकी नोटिस सीएमओ को गई

बस्ती। सीएमओ, नोडल डा. एसबी सिंह और डा. एके चौधरी के भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर आवाज उठाने वाले उमेश गोस्वामी की मेहनत धीरे-धीरे रंग लाने लगी है। कहा भी जाता है, कि अगर उमेश गोस्वामी जैसे दो चार और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामने आ जाए तो शायद भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम लग सकता है। उमेश गोस्वामी की ओर से कमिष्नर को दिए गए शपथ पत्र पर एडी हेल्थ ने एसआईसी जिला अस्पताल डा. खालिद रिजवान, संयुक्त निदेश हेल्थ डा. नीरज कुमार पांडेय, सीएमएस टीबी अस्पताल डा. एके वर्मा की जांच टीम बनाई है। इसके आलावा इसकी मजिस्टेटी जांच भी चल रही हैं, जिसकी नोटिस सीएमओ को गई।

चूंकि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है, इस लिए उमेश सीना तानकर अधिकारियों से कहता है, कि साहब, अगर मैं गलत हूं, या फिर मेरी षिकायत गलत हैं, तो मुझे जेल भेजवा दीजिए, लेकिन अगर शिकायत सही तो हैं, तो क्यों नहीं कार्रवाई हो रही है? इन्होंने कमिष्नर से कहा था, कि डा. एके चौधरी जैसे भ्रष्ट डिप्टी सीएमओ को बचाया जा रहा है, जो खुद प्राइवेट प्रेक्टिस करतें और जो खुद का बिना पंजीयन के प्राइवेट अस्पताल और पैथालाजी सेंटर का संचालन कर रहे है। कहा था, कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो व िमामले को लेकर लोकायुक्त के पास जाएगे। तब फिर आप लोग जबाव देते रहिएगा। डा. एके चौधरी को कहा कि भले ही चाहें प्रभाव का इस्तेमाल करके यह फर्जी रिपोर्ट लगवा लें, लेकिन मैं इनका पीछा नहीं छोडूंगा। हालत यह हो गई है, कि कमिष्नर, डीएम, एडीएम को समझ में ही नहीं आ रहा है, कि वह उमेश गोस्वामी के शिकायत पर किससे जांच कराए।  क्यों कि हर जांच में फर्जी रिपोर्ट लगा दी जाती है, ताकि डा. एके चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो सके। जिस दिन फर्जी रिपोर्ट लगाना बंद हो गया, उस दिन शिकायतें भी बंद हो जाएगी। शिकायत पर शिकायत इस लिए हो रही है, क्यों कि रिपोर्ट से शिकायतकर्त्ता संतुष्ट नहीं होता। जांच रिपोर्ट से स्पष्ट पता चलता है, कि फर्जी रिपोर्ट लगाई गई, दिक्कत यह है, कि फर्जी रिपोर्ट को डीएम साहब स्वीकार भी कर ले रहे हैं, जिस दिन फर्जी रिपोर्ट लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने लगे, उस दिन किसी अधिकारी की फर्जी रिपोर्ट लगाने की हिम्मत नहीं पड़ेगी। रिपोर्ट लगाने वाला अधिकारी भी जानता है, कि उसका कुछ नहीं होने वाला। जिस तरह सीएमओ की ओर से फर्जी रिपोर्ट लगाकर डीएम के पास शिकायतों को निक्षेपित करने के लिए भेजा जाता है, और जिसे स्वीकार कर लिया जाता है, उससे भ्रष्टाचार तो बढ़ ही रहा है, भ्रष्टाचारियों के हौसले भी बढ़ रहे है। डा. एके चौधरी के खिलाफ साक्ष्य और शपथ-पत्र के साथ शिकायतें हो रही है, लेकिन सीएमओ सारे साक्ष्यों और शपथ-पत्र को दरकिनार कर फर्जी रिपोर्ट लगा दे रहे है। सवाल उठ रहा है, कि अगर शिकायत निराधार और गलत पाई जाती है, तो फिर क्यों नहीं उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करया जाता है, जिसने शपथ-पत्र दिया? चूंकि सीएमओ और उनकी टीम खुद गलत होती है, इस लिए मुकदमा दर्ज करवाने से घबड़ाती है।

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