सहयोगी दलों ने ईज्जत बेचा, ईमान बेचा, टिकट बेचा, अब प्रदेश को बेच रहें!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 6 September, 2025 10:13
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सहयोगी दलों ने ईज्जत बेचा, ईमान बेचा, टिकट बेचा, अब प्रदेश को बेच रहें!
-मुख्यमंत्री को भिखारियों की टोली में भेजने वाले ओमप्रकाष राजभर आज पैड पर योजनाएं बेच रहें, इन्होंने इज्जत बेचा, टिकट बेचा, ईमान बेचा, कार्यकर्त्ताओं को बेचा, खुद को बेचा, इन सब की कीमत यह भाजपा को बेचकर वसूल रहें
-अपना दल के संस्थापक को जिस भाजपा के कार्यकाल में मार-मारकर अधमरा कर दिया गया था, उसी दल के नेता आशीष पटेल आज सत्ता के लालच में कैबिनेट मंत्री बने हुए हैं, इन्होंने भी स्वाभिमान और सम्मान दोनों बेचा
-संजय निषाद ने जाति बेचा, टिकट बेचा, कार्यकर्त्ताओं और खुद का मान-सम्मान बेचा, आज यह भी कैबिनेट मंत्री बनकर खजाने को लूट रहे
-जितने भी सहयोगी दल के नेता है, वह परिवार से उपर उठकर राजनीति नहीं कर रहे, यह लोग न सिर्फ आम जनता को लूट रहें, बल्कि भाजपा की छवि खराब कर रहें, इन लोगों ने भाजपा का दामन अपने और परिवार एवं पार्टी की आर्थिक स्थित मजबूत करने में लगे हुएं
-यह कब पल्टी मार दें इनका कोई भरोसा नहीं रहता, ऐसे लोगों का मकसद सर्व समाज की उन्नति और भलाई के लिए काम करना नहीं बल्कि इनकी मंशा ऐनकेन प्रकरण सत्ता का भोग करना रहता
-ऐसे दलों के नेताओं की न तो कोई विचारधारा होती है, और न कोई सिद्वंात, यह लोग षुद्वि रुप से अपने समाज के वोटो के ठेकेदार होते, यह दल नहीं बल्कि टेडिगं कंपनी, जब नेता दल बदलता है, तो उसे दलबदलू कहा जाता, लेकिन जब दल ही दल बदले तो उसे क्या कहेगें?
-इन दलों के नेताओं ने भाजपा को बहुत बुराभला कहा, लेकिन भाजपा की हिम्मत नहीं पड़ी कि एक के भी खिलाफ कार्रवाई करने की, ऐसा लगता, मानो भाजपा इन लोगों को अपनी नैया का खेवनहार मानती और समझती
-आज जो सहयोगी दलों के मंत्री पूरे प्रदेश को लूट रहे हैं, उसके लिए प्रदेश की जनता सिर्फ और सिर्फ भाजपा और योगीजी को जिम्मेदार मानते हुए कह रही है, क्यों भाजपा के लोग जनता को लूटने वालों को बर्दास्त कर रहें?
-जब भी चुनाव में मौका पड़ा इन दलों के नेताओं ने भाजपा को खूब ब्लैकमेल किया, इन लोगों के लिए सत्ता उतना ही महत्वपूर्ण जितना मछली के लिए पानी, तीनों सहयोगी दलों के नेता भाजपा और योगीजी की मेहरबानी से प्रदेश को बेच रहें
बस्ती। सत्ता में बने रहने और उसका सुख भोगने के लिए भाजपा ने जिस तरह पूरे प्रदेश को सहयोगी दलों के नेताओं के हाथों लूटने के लिए सौंप दिया, उसे लेकर पूरे प्रदेश में भाजपा की किरकीरी हो रही हैं, अनेक सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है, कि क्यों भाजपा ने प्रदेश को ऐसे दलों के नेताओं के हाथों प्रदेश के खजाने को सौंप दिया, जिसका न तो कोई विचारधारा और न कोई सिद्वांत हैे, क्यों ऐसे दलों के लोगों पर भरोसा किया, जिसका कोई भरोसा न हो, और जो षुद्वि रुप से अपने समाज के वोटों के ठेकेदार हों, यह दल नहीं बल्कि टेडिगं कंपनी, कहा जा रहा है, कि जब नेता दल बदलता है, तो उसे दलबदलू कहा जाता, लेकिन जब दल ही दल बदले तो उसे क्या कहेगें? आज जो सहयोगी दलों के मंत्री पूरे प्रदेश को लूट रहे हैं, उसके लिए प्रदेष की जनता सिर्फ और सिर्फ भाजपा और योगीजी को जिम्मेदार मान रही है, और पूछ रही है, कि क्यों भाजपा जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने वालों को बर्दास्त कर रहीं? इन दलों के नेताओं ने भाजपा और उनके नेताओं को बहुत बुराभला कहा, लेकिन भाजपा इतनी भी हिम्मत नहीं जुटा पाई कि एक को भी बाहर का रास्ता दिखा सके। ऐसा लगता, मानो भाजपा इन लोगों को अपनी नैया का खेवनहार मानती और समझती। इसे बिडंबना नहीं तो और क्या कहेगें जिस नेता ने योगीजी के बारे में यह कहा हो कि जब तक इन्हें भिखारियों की टोली में नहीं भेज देगें, तब तक चैन नहीं लेगें, आज वही ओमप्रकाश राजभर कैबिनेट का हिस्सा हैं। भले ही चाहें यह अपने आपको बेहया कहे, लेकिन भाजपा वालों को कभी नहीं भूलना चाहिए कि इन्होंने भाजपा को जितनी गालियां दी और बुरा भला कहा उतना सपा और कांग्रेस के लोगों ने नहीं कहा होगा। क्या इसी भाजपा को जनता पहचानती और जानती है? जितने भी सहयोगी दलों के नेता है, वह परिवार से उपर उठकर राजनीति नहीं कर पा रहंे, यह लोग न सिर्फ आम जनता को लूट रहें, बल्कि भाजपा की छवि को भी खराब कर रहें, इन लोगों ने भाजपा का दामन अपने और परिवार एवं पार्टी की आर्थिक स्थित मजबूत करने के लिए ही थामा। यह कब पल्टी मार दें इनका कोई भरोसा नहीं रहता, ऐसे लोगों का मकसद सर्व समाज की उन्नति और उनकी भलाई के लिए काम करना नहीं बल्कि इनकी मंशा ऐनकेन प्रकरण सत्ता का सुख भोगना और अपने खजाने को भरना रहता है। अब जरा इनके तीन महत्वपूर्ण सहयोगी दलों के नेताओं के बारे में जान लीजिए। ओमप्रकाश राजभर आज पैड पर योजनाएं बेच रहें, इन्होंने पहले इज्जत बेचा, टिकट बेचा, ईमान बेचा, कार्यकर्त्ताओं को बेचा, खुद को बेचा, अब यह इन सब की कीमत भाजपा को बेचकर वसूल रहें हैं। अपना दल के संस्थापक को जिस भाजपा के कार्यकाल में मार-मारकर अधमरा कर दिया गया था, उसी दल के नेता आशीष पटेल आज सत्ता के लालच में कैबिनेट मंत्री बने हुए हैं, इन्होंने भी स्वाभिमान और सम्मान दोनों बेचा। संजय निषाद ने जाति बेचा, टिकट बेचा, कार्यकर्त्ताओं और खुद का मान-सम्मान बेचा, आज यह भी कैबिनेट मंत्री बनकर प्रदेश को बेच रहें है। कहने का मतलब तीनों सहयोगी दलों के नेता भाजपा और योगीजी की मेहरबानी से प्रदेश को बेच रहे है। जब भी चुनाव में मौका पड़ा इन दलों के नेताओं ने भाजपा को ब्लैकमेल किया। इन लोगों के लिए सत्ता उतना ही महत्वपूर्ण जितना मछली के लिए पानी।

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