साहब, ‘डा. एके चौधरी’ को ‘जांच’ अधिकारी न ‘बनाइए’, यह ‘बिक’ जाते!

साहब, ‘डा. एके चौधरी’ को ‘जांच’ अधिकारी न ‘बनाइए’, यह ‘बिक’ जाते!

साहब, ‘डा. एके चौधरी’ को ‘जांच’ अधिकारी न ‘बनाइए’, यह ‘बिक’ जाते!

-उमेश गोस्वामी का कहना है, कि डा. एके चौधरी भले ही चाहें प्रभाव का इस्तेमाल करके फर्जी रिपोर्ट लगा लें, लेकिन मैं उनका पीछा नहीं छोडूंगा

-उमेश गोस्वामी ने शपथ-पत्र के साथ कमिश्नर से मिले और कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो लोकायुक्त जाउगंा, फिर आप लोग जबाव देते रहिए

-कमिश्नर, डीएम, एडीएम और सीएमओ को समझ में नहीं आ रहा है, कि वह उमेश गोस्वामी के शिकायत पर किसकी और कितनी जांच कराएं

-अधिकारियों को उमेश गोस्वामी स्पष्ट कहता है, कि साहब अगर मैं गलत हूं तो मुझे जेल भेज दीजिए वरना कार्रवाई करिए

बस्ती। कहना गलत नहीं होगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर आवाज उठाने वाले उमेश गोस्वामी आज कमिश्नर, डीएम, एडीएम और सीएमओ के लिए मुसीबत बन गया हैं। चूंकि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है, इस लिए उमेश सीना तानकर अधिकारियों से कहता है, कि साहब, अगर मैं गलत हूं, या फिर मेरी शिकायत गलत हैं, तो मुझे जेल भेजवा दीजिए, लेकिन अगर शिकायत सही तो हैं, तो क्यों नहीं कार्रवाई हो रही है? क्यों डा. एके चौधरी जैसे भ्रष्ट डिप्टी सीएमओ को बचाया जा रहा है, जो खुद प्राइवेट प्रेक्टिस करतें और जो खुद का बिना पंजीयन के प्राइवेट अस्पताल और पैथालाजी सेंटर का संचालन कर रहे है। दो दिन पहले शपथ-पत्र के साथ कमिश्नर और डीएम से उमेश गोस्वामी मिला और कहा कि साहब अगर आप लोगों ने कार्रवाई नहीं किया तो लोकायुक्त के पास जाउगंा, फिर आप लोग जबाव देते रहिएगा। डा. एके चौधरी को कहा कि भले ही चाहें प्रभाव का इस्तेमाल करके फर्जी रिपोर्ट लगा लें, लेकिन मैं आपका पीछा नहीं छोडूंगा। कमिश्नर, डीएम, एडीएम और सीएमओ को समझ में नहीं आ रहा है, कि वह उमेश गोस्वामी के शिकायत पर वह किसकी और कितनी जांच कराएं? क्यों कि हर जांच में फर्जी रिपोर्ट लगा दी जाती है, ताकि डा. एके चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो सके। जिस दिन फर्जी रिपोर्ट लगाना बंद हो गया, उस दिन शिकायतें भी बंद हो जाएगी। शिकायत पर शिकायत इस लिए हो रही है, क्यों कि रिपोर्ट से शिकायतकर्त्ता संतुष्ट नहीं होता। जांच रिपोर्ट से स्पष्ट पता चलता है, कि फर्जी रिपोर्ट लगाई गई, दिक्कत यह है, कि फर्जी रिपोर्ट को डीएम साहब स्वीकार भी कर ले रहे हैं, जिस दिन फर्जी रिपोर्ट लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने लगे, उस दिन किसी अधिकारी की फर्जी रिपोर्ट लगाने की हिम्मत नहीं पड़ेगी। रिपोर्ट लगाने वाला अधिकारी भी जानता है, कि उसका कुछ नहीं होने वाला। जिस तरह सीएमओ की ओर से  फर्जी रिपोर्ट लगाकर डीएम के पास शिकायतों को निक्षेपित करने के लिए भेजा जाता है, और जिसे स्वीकार कर लिया जाता है, उससे भ्रष्टाचार तो बढ़ ही रहा है, भ्रष्टाचारियों के हौसले भी बढ़ रहे है। डा. एके चौधरी के खिलाफ साक्ष्य और शपथ-पत्र के साथ शिकायतें हो रही है, लेकिन सीएमओ सारे साक्ष्यों और शपथ-पत्र को दरकिनार कर फर्जी रिपोर्ट लगा दे रहे है। सवाल उठ रहा है, कि अगर शिकायत निराधार और गलत पाई जाती है, तो फिर क्यों नहीं उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करया जाता है, जिसनेस शपथ-पत्र दिया? चूंकि सीएमओ और उनकी टीम खुद गलत होती है, इस लिए मुकदमा दर्ज करवाने से घबड़ाती है। आज तक प्रशासन ने एक भी शिकायतकर्त्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराया, जब कि 99 फीसद रिपोर्ट में यह कहा जाता है, कि शिकायत निराधार पाया गया, या फिर यह लिख दिया जाता है, कि शिकायतकर्त्ता को मोबाइल से सपंर्क नहीं हो सकता, या फिर यह फर्जी रिपोर्ट रिपोर्ट लगा दी जाती है, कि शिकायतकर्त्ता उमेश गोस्वामी को बयान देने के लिए बुलाया गया, लेकिन नहीं आए, जब कि शिकायतकर्त्ता बयान देने के लिए सीएमओ के पास बैठा हुआ था। उमेश गोस्वामी ने कमिश्नर और डीएम को फिर शपथ-पत्र देकर कहा कि दोषी सीएमओ और डिप्टी सीएमओ डा. एके चौधरी के खिलाफ अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वह सारे साक्ष्य लेकर लोकायुक्त के पास चला जाएगा।

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