‘सीएमओ’ साहब बताइए, डा. ‘प्रमोद’ चौधरी ने कितने में ‘खरीदा’!

‘सीएमओ’ साहब बताइए, डा. ‘प्रमोद’ चौधरी ने कितने में ‘खरीदा’!

‘सीएमओ’ साहब बताइए, डा. ‘प्रमोद’ चौधरी ने कितने में ‘खरीदा’!


बस्ती। मेडीवर्ल्ड अस्पताल के मामले में अब तो लोग कहने लगे हैं, कि सीएमओ साहब बताइए, डा. प्रमोद कुमार चौधरी ने आप को और नोडल डा. एसबी सिंह को कितने में खरीदा, अगर आप दोनों नहीं बिके तो कैसे सील होने और लाइसेंस निरस्त होने के बाद भी अस्पताल संचालित हो रहा है, कैसे ओपीडी हो रही है, और कैसे मरीजों को भर्ती किए जा रहे हैं? जब कि आप की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है, कि अगर अस्पताल संचालित होता मिला तो विधिक कार्रवाई की जाएगी। सीएमओ साहब, कुछ तो पद की गरिमा रखिए, कुछ तो ऐसा काम करिए, जिसके चलते आप का जयजयकार हो, रही बात नोडल डा. एसबी सिंह की तो इन्होंने अपना जमीर और ईमान एक तरह से बेच दिया, पद और प्रतिष्ठा तो पहले ही बेच चुके हैं, अब तो ईमान भी बेच दिया। पैसे के लिए एक सीएमओ और डिप्टी सीएमओ खुले आम बिक सकता है, इसकी जानकारी किसी को भी नहीं थी। सीएमओ साहब दिनभर में न जाने आप दोनों कितनी बार बिकते होगें, कम से कम ऐसे लोगों के हाथों तो मत बिकिए, जो समाज और सरकार दोनों का दुष्मन हो। जिले के लोगों को आप दोनों पर यकीन ही नहीं हो रहा है। आप दोनों पैसे के लिए इतना गिर सकते हैं, जनता ने सोचा भी नहीं था, जब आप दोनों ने मेडीवर्ल्ड के खिलाफ कार्रवाई की हुई तो इसकी खूब चर्चा हुई, लेकिन उसके बाद जो आप दोनों ने किया उसकी भी खूब चर्चा हो रही है। समाज और शिकायतकतर्ता आप दोनों को बिकने वाला अधिकारी बता रहे है। कहते हैं, कि आप दोनों में अगर जरा भी कोई मान-सम्मान बचा है, तो कार्रवाई करिए, यह मत भूलिए कि कभी-कभी छोटी सी गलती भी बड़ी मुसिबत बन सकती है, इस लिए आप दोनों को सुझाव दिया जा रहा, कि आप दोनों अपने दायित्वों का निवर्हन कीजिए, कहीं ऐसा न हो कि एक अनियमित कार्य करने वाले डाक्टर को बचाते-बचाते खुद न फंस जाएं। वैसे भी आप दोनों बहुत नाम और पैसा कमा चुके है। ऐसा भी नहीं कि समाज आप दोनों को नहीं देख रहा है। इज्जत बचानी और कार्रवाई से बचना है, तो जाइए, और मेडीवर्ल्ड को सील करके उनके खिलाफ आदेशों की अवहेलना और अनियमित रुप से अस्पताल का संचालन करने के आरोप में विधिक कार्रवाई करिए। आप दोनों समाज और विभाग में ऐसा कोई भी उदाहरण प्रस्तुत न करिए, जिसका खामियाजा सामाजिक रुप से आप दोनों के परिवारों को भुगतना पड़े।   

जांच पड़ताल में पता चला कि धड़ल्ले से चल रहा मेडीवर्ल्ड हास्पिटल संचालित हो रहा है। सच्चाई जानने के लिए मरीज बनकर जाना पड़ा 500 रुपया का पर्ची भी बनाना पड़ा दवा भी खरीदनी पड़ी, ताकि मेडीवर्ल्ड वाले गलत न साबित कर सके, फिर उसके बाद सीएमओ से कहा गया, सीएमओ ने कहा कि अभी देखवाता हूं, कितना देखवाया यह तो नहीं मालूम लेकिन अस्पताल संचालित हो रहा है, यह मालूम है।  49 नंबर मरीज पूनम थी। सीएमओ नोडल अधिकारी से लगातार अवगत कराने के बाद भी सुधार नहीं। मौके पर पांच मरीज जनरल वार्ड में एडमिट थे। एक दिन भी नहीं बंद हुआ, ओपीडी और आईपीडी बंद नहीं हुआ। सीएमओ और नोडल केवल कागजी घोड़े दौड़ाते रहे। मेडीवर्ल्ड का सीसीटीवी फुटेज इसका पुख्ता प्रमाण है। मेडीवर्ल्ड के मामले में सीएमओ और नोडल की भूमिका को देखकर कहा जा सकता है, कि पैसे से बड़े-बड़े अधिकारियों को भी खरीदा जा सकता। सवाल, सीएमओ और नोडल के बिकने का नहीं, सवाल तो डा. प्रमोद चौधरी का भी है। ऐसा लगता है, मानो डाक्टर साहब ने पैसे के आगे अपनी सारी नैतिकता को त्याग दिया, और यह साबित कर दिया कि उनके लिए पैसा ही सबकुछ है।

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