सीएमओ’ ने ‘डॉ. एसबी सिंह’ और ‘डॉ. एके चौधरी’ को ‘नामित’ किया वसूली ‘अधिकारी’!

सीएमओ’ ने ‘डॉ. एसबी सिंह’ और ‘डॉ. एके चौधरी’ को ‘नामित’ किया वसूली ‘अधिकारी’!

सीएमओ’ ने ‘डॉ. एसबी सिंह’ और ‘डॉ. एके चौधरी’ को ‘नामित’ किया वसूली ‘अधिकारी’!

-वसूली अधिकारी नामित करते हुए कहा कि अगर वसूली का टारगेट पूरा नहीं किया तो दूसरे को नामित कर दिया जाएगा

-हालांकि वसूली अधिकारी का कोई सरकारी पद नहीं, लेकिन मलाईदार पद अवष्य, हर कोई वसूली अधिकारी बनना चाहता है, ताकि सीएमओ का टारगेट और खुद का टारगेट पूरा कर सके

-इन दोनों से कहा गया है, कि आप कोई सरकारी काम नहीं करेगें सिर्फ और सिर्फ वसूली करेगें, अगर कोई देने से इंकार करता है, तो उससे मेरी बात करवा दीजिए

बस्ती। अभी तक आप लोगों ने कृषि विभाग में वसूली गैंग के बारे में सुना था, अब हम आपको सीएमओ कार्यालय में वसूली अधिकारी नामित किए जाने के बारे में बताने जा रहे है। चौकिए मत, सीएमओ साहब ने वसूली और भ्रष्टाचार में पीएचडी करने वाले अपने दो सबसे राजदार और कमाउपूत को बकायदा वसूली अधिकारी नामित किया है। भले ही इसका गजट नहीं हुआ और न यह कोई सरकारी पद ही हैं, लेकिन मलाईदार पद अवष्य है, हर कोई वसूली अधिकारी बनना चाहता है। सीएमओ की निगाह में वसूली अधिकारी का पद सबसे अधिक फायदेमंद वाला है। इसी लिए इन्होने काफी सोच समझकर ‘डॉ. एसबी सिंह’ और ‘डॉ. एके चौधरी’ को ‘नामित’ वसूली ‘अधिकारी’ नामित किया है। जिले में इन दोनों वसूली अधिकारी से अधिक और कोई असरदार नहीं है। इन दोनों को वसूली अधिकारी इस लिए नामित किया गया, क्यों कि इन दोनों ने अपना जमीर और ईमान दोनों बेच दिया है। अगर प्रदेश सरकार वसूली अधिकारी को पुरस्कार देने लगे तो इन दोनों का नाफ टाप पर रहेगा। वसूली अधिकारी नामित करने से पहले सीएमओ की ओर से यह हिदायत दी गई कि अगर वसूली का टारगेट पूरा नहीं किया तो दूसरे को नामित कर दिया जाएगा। साथ ही इन दोनों से यह भी कहा गया है, कि आप दोनों कोई सरकारी काम नहीं करेगें सिर्फ और सिर्फ वसूली करेगें, अगर कोई देने से इंकार करता है, तो उससे मेरी बात करवा दीजिए।

भाकियू के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह का कहना है, कि निरंतर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अवगत कराने के बाद और पंजीकरण निरस्त होने के बाद भी मेडीवलर्््ड हास्पिटल पर कार्रवाई नहीं कर रहें है। कार्रवाई के बजाए सीएमओ व नोडल अधिकारी वसूली में लगें है। कहा कि अस्पताल का पंजीकरण धोखाधड़ी करने और अस्पताल रजिस्ट्रेशन में रफीउद्दीन खान की डिग्री चोरी से लगाकर रजिस्ट्रेशन कराए जाने के लिए निरस्त किया जा चुका है और मेडीवर्ल्ड हास्पिटल के प्रबंध एवं रेडक्रास सोसायटी के चेयरमैन डॉ. प्रमोद कुमार चौधरी पर धोखाधड़ी सहित अन्य गंभीर धाराओं में पुरानी बस्ती थाने में एफआईआर दर्ज कर विवेचना चल रहा है विवेचक के रवैया और सीएमओ, नोडल अधिकारी के भ्रष्टाचार से आजीज आकर पीड़ित रफीउद्दीन खान, मुख्यमंत्री जनता दरबार मे जाने की तैयारी में है। सीएमओ एवं नोडल अधिकारी, हॉस्पिटल पर कारवाई करने की जगह राजनीतिक दबाव का हवाला दे रहे हैं। इधर मेडी वर्ल्ड हास्पिटल पंजीकरण निरस्त होने के बाद भी धड़ल्ले से चल रहा है और नित मोबाइल के स्टेटस पर कौन डाक्टर किस तिथि व दिन को उपलब्ध रहेंगे इसका प्रचार प्रसार भी हो रहा है। बताया कि बस्ती के दो उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी नोडल अधिकारी डॉ. एसबी सिंह और डॉ. एके चौधरी पूरे जनपद में वसूली अधिकारी के नाम से ख्याति प्राप्त कर चुके हैं, और अब तो दोनों को सीएमओ ने वसूली अधिकारी भी नामित कर दिया है। कहा कि सीएमओ की मिलीभगत और शिथिलता से इन दोनों अधिकारियों के आड़ में स्वास्थ्य महकमे में तमाम अवैध धंधे कार्य फल फूल रहे हैं। देखना यह है, कि कहा कि मुख्यमंत्री का जीरो टॉलरेंस नीति जीतता है या भ्रष्टाचार।

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