सीडीओ’ के ‘सीएचसी’ के ‘निरीक्षण’ पर उठे ‘सवाल’

सीडीओ’ के ‘सीएचसी’ के ‘निरीक्षण’ पर उठे ‘सवाल’

सीडीओ’ के ‘सीएचसी’ के ‘निरीक्षण’ पर उठे ‘सवाल’


-सीएचसी के जिन स्थानों की जांच करनी थी, वहां करने नहीं गए, मीडिया से बनाई दूरी, जांच से मीडिया को किया किनारे, पूछने के बाद भी कमियों को मीडिया को नहीं बताया गया

बस्ती। जो अधिकारी जांच और निरीक्षण के दौरान मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं, समझो वह हकीकत को छिपाना चाहतें है। वहीं पर बहुत से ऐसे अधिकारी भी होते हैं, तो निरीक्षण के समय मीढिया को साथ में रखते हैं, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। यही पारदर्शिता सीडीओ के निरीक्षण में देखने को नहीं मिली। रुधौली तहसील समाधान दिवस के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रुधौली में मुख्य विकास अधिकारी सार्थक अग्रवाल द्वारा किया गया निरीक्षण कई सवाल खड़े कर गया। जांच की शुरुआत में ही मीडिया कर्मियों को फोटो और वीडियो बनाने से रोक दिया गया, वहीं सुरक्षा में तैनात गार्ड गोपेश यादव मीडिया से बहस करते दिखाई दिए। स्थानीय लोगों ने टिप्पणी की कि सुरक्षा कर्मी अब गार्ड से अधिक मीडिया कंट्रोलर की भूमिका निभाने लगे हैं।

सीडीओ ने निरीक्षण के दौरान एक्स-रे टेक्निशियन रूम, लैब, डॉक्टर केबिन, दवा कक्ष, शौचालय और कोल्ड चौन, नवनिर्मित लैब भवन का जायजा लिया। लेकिन इसी रास्ते में मौजूद प्रमुख खामियाँ कोरोना वार्ड के बाहर फैली गंदगी, जन औषधि केंद्र की अपूर्ण सुविधाएँ, शौचालय का खुला गड्ढा, खराब पड़ा हेल्थ, निष्प्रयोज्य भवन, बाहर फेंकी गई वैलिड व एक्सपायरी दवाएँ, नवनिर्मित भवन के सामने कूड़ा आदि इन सबको अनदेखा कर दिया गया। ये खामियाँ मीडिया और स्थानीय लोगों को साफ दिखाई दीं, पर बिना प्रतिक्रिया दिए आगे बढ़ गए। निरीक्षण के दौरान कुछ कर्मचारियों द्वारा “मिठाई के डिब्बे मिलने” की चर्चा भी सुनाई दी, जिससे पूरे निरीक्षण की गंभीरता पर सवाल उठने लगे हैं। सरकार जहाँ मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने और लैब सेवाएँ सुदृढ़ करने की बात करती है, वहीं सीएचसी के बाहर कूड़ेदान में वैलिड दवाएँ फेंकी मिलना विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर करता है। इस संबंध में डिप्टी अशोक चौधरी जो सरकारी नियमों के विपरीत लगभग 13 वर्षों से एक ही क्षेत्र में तैनात हैं, ने बताया कि द्वारा टीम के साथ निरीक्षण किया गया, कुछ कमियाँ मिली हैं और उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी। स्थानीय लोगों का सवाल है कि “क्या जांच केवल दिखावे के लिए थी? क्या जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ वही बातें देखेंगे जो विभाग उन्हें दिखाना चाहता है?

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