पुत्र’ ने ‘पिता’ को उनकी ‘कुर्सी’ से किया ‘बेदखल’

पुत्र’ ने ‘पिता’ को उनकी ‘कुर्सी’ से किया ‘बेदखल’

पुत्र’ ने ‘पिता’ को उनकी ‘कुर्सी’ से किया ‘बेदखल’

बस्ती। अभी तक आप लोगों ने नकली प्रमुखों को असली प्रमुखों को बेदखलकर कुर्सी पर कब्जा करते सुना और पढ़ा होगा, लेकिन हम आपको एक ऐसे लायक बेटे के बारे में बताने जा रहा हूं, जिसने पिता को बेदखल कर कुर्सी पर कब्जा कर लिया। मामला नगर पंचायत  कप्तानगंज के चेयरमैन की कुर्सी का है। इस चेयरमैन की कुर्सी पर बैठने का चेयरमैन के आलावा अन्य किसी को भी अधिकार नहीं हैं, अगर कोई दूसरा कुर्सी पर बैठता भले ही चाहें चेयरमैन का बेटा ही क्यों न हो वह चेयरमैन की कुर्सी का अपमान करता है। चेयरमैन की कुर्सी कोई घर की कुर्सी नहीं होती, जिस पर जो चाहा बैठ गया। यहां के चेयरमैन का नाम चंद्रप्रकाष चौधरी और इनके लायक पुत्र का नाम अभिषेक चौधरी है। पिता की गैरमौजूदगी में अगर उनका बेेटा कुर्सी पर बैठता हैं, तो उसे कुर्सी का अपमान माना जाएगा। नकली प्रमुख या नकली चेयरमैन बनना अलग बात हैं, और कुर्सी पर बैठकर संचालन करना और उसे वायरल करना दूसरी बात है। ऐसे लोग समाज में क्या संदेश देना चाहते हैं, यह वही जाने लेकिन इसे किसी भी दषा में हेल्थी संदेश नहीं माना जा सकता। इससे नगर पंचायत के कामकाज में दखल देना भी माना जा सकता है। बहरहाल, किसी भी चेयरमैन को चेयरमैन की कुर्सी की गरिमा रखना उनका दायित्व होता है।

बस्ती के आदर्श नगर पंचायत कंप्मानगंज कार्यालय में गुरुवार को एक बेहद शर्मनाक और चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर एक युवक सोशल मीडिया के लिए इंस्टाग्राम रील बनाता हुआ नजर आया। ऐसा लगता है, जिस समय रील बनाई जा रही थी, उस समय कार्यालय में कोई जिम्मेदार नहीं रहा होगा, वरना ऐसे कोई कुर्सी पर नहीं बैठ जाता। यह युवक कार्यालय में पूर्ण अधिकार के साथ घूमता है, मानो पूरा सिस्टम उसी के इशारों पर चलता हो, वायरल हो रही वीडियो क्लिप में युवक अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर कैमरे की ओर पोज देता और रील की शूटिंग करता दिख रहा है। इस दौरान कार्यालय पूरी तरह से खाली नजर आता है और कोई भी कर्मचारी उसे रोकता-टोकता नहीं दिखाई देता। प्रशासनिक मर्यादा की उड़ती धज्जियां सरकारी कार्यालय में अनधिकृत व्यक्ति का इस तरह से बैठना, और वह भी अध्यक्ष की कुर्सी पर, न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शासन प्रषासन को सीधी चुनौती है। सवाल यह भी उठता है कि यदि कार्यालयों में चेयरमैन का बेटा ही शासन का मजाक उड़ाएं, तो आम जनता के विश्वास का क्या होगा? पूरे घटनाक्रम में सबसे शर्मनाक बात यह रही कि जब यह सब हो रहा था, तब जिम्मेदार अधिकारी या तो कार्यालय में मौजूद नहीं थे या फिर चुप्पी साधे रहे। यह मौन स्वीकृति है या लापरवाही इस पर भी अब सवाल उठ रहे हैं।

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