प्रमुखजी’ हमारे ‘रिश्तेदार’, मेरा ‘कोई’ कुछ नहीं बिगाड़ ‘सकता’!

प्रमुखजी’ हमारे ‘रिश्तेदार’, मेरा ‘कोई’ कुछ नहीं बिगाड़ ‘सकता’!

प्रमुखजी’ हमारे ‘रिश्तेदार’, मेरा ‘कोई’ कुछ नहीं बिगाड़ ‘सकता’!

-यह कहना हैं, प्रधानों से 25 फीसद कमीशन मांगने वाली ग्राम विकास अधिकारी सोनम श्रीवास्तव, इसे देखते हुए जिगना, सोनबरसा और घरसोहिया सहित चार प्रधानों ने डीएम को लिखित में दिया, कि हम लोग इस सचिव के साथ काम नहीं करेगें

-यह पहली ऐसी महिला सचिव हैं, जिनकी तैनाती तो जनपद सीतापुर में हैं, लेकिन इनका अटैचमेंट बस्ती में, कप्तानगंज में अनियमितता के चलते यह निलंबित भी हो चुकी, बहाली के बाद भी इनके कार्यशैली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, जो काम यह कप्तानगंज में करती थी, वही काम सदर में भी करने लगी

-जिस वित्तीय अनियमितता के कारण इनके खिलाफ मुकदमा एडीओ पंचायत को दर्ज कराना चाहिए, उसे जिला विकास अधिकारी ने आंशिक दंड देकर बहाल करते हुए फिर से लूटने का मौका दे दिया

-इन पर अपने रिश्तेदार के फर्म में ग्राम निधि का भुगतान करने और प्रधानों का डांगल अपने पास रखने ताकि मनमाने तरीके से भुगतान करने का आरोप अनेक प्रधान लगा चुके, अपर जिला पंचायत अधिकारी अरुण कुमार की जांच में इनके कारनामे का खुलासा हो चुका

बस्ती। जब भी जिले में कोई बड़ा अधिकारी आता है, तो उसके वर्ग वाले अपना रिश्तेदार या फिर करीबी होने का एचएमबी रिकार्ड बजाना नहीं भूलते, ताकि उसी के आड़ में गलत/सही काम करवाया या किया जा सके। जब कि सच्चाई कोसों दूर होती है। लेकिन अगर कोई महिला सचिव यह कहे, कि प्रमुखजी हमारे  रिश्तेदार हैं, और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो, चर्चा होगा ही। भले ही चाहें सचिव और प्रमुखजी का दूर-दूर तक कोई संबध न हो। इस तरह की सचिव खुद तो गलत काम करती ही है, साथ ही प्रमुखजी लोगों को इस लिए बदनाम करती है, क्यों कि प्रमुखजी उनके वर्ग के जो हैं। इसी तरह एक मामला सदर ब्लॉक का सामने आया हैं। इस ब्लॉक में कार्यरत् सोनम श्रीवास्तवा नाम की ग्राम विकास अधिकारी है। यह प्रमुखजी को अपना रिश्तेदार बताकर प्रधानों से कहती है, कि चाहें जो कुछ भी कर लो, मेरा कुछ नहीं होगा, क्यों कि प्रमुखजी हमारे रिश्तेदार है। जबकि सच्चाई कोसों दूर है। जिले की यह पहली ऐसी महिला सचिव होंगी, जिनती तैनाती तो जनपद सीतापुर में हैं, और वेतन भी यह सीतापुर से ही लेती है, लेकिन इनका अटैचमेंट बस्ती में हैं, क्यों हुआ, किस आधार पर हुआ, इसका पता नहीं चल सकता। इनके बारे में प्रधानों का कहना है, कि यह पहली ऐसी महिला सचिव है, जो हर काम में 25 फीसद कमीशन मांगती है। इसे देखते हुए जिगना, सोनबरसा और घरसोहिया सहित अन्य प्रधानों ने डीएम को लिखित में दिया, कि हम लोग इस सचिव के साथ काम नहीं करेगें। सचिव की मनमानी कमीशनखोरी के चलते इनके कलस्टर वाले ग्राम पंचायतों में काफी दिनों से कोई कार्य नहीं हो रहा, पुराना भुगतान भी नहीं हो रहा। इनकी तैनाती जब कप्तानगंज में थी, तो अनियमितता के चलते इन्हें निलंबित होना पड़ा, बहाली के बाद जब इनकी तैनाती सदर ब्लॉक में हुई तो भी इनके कार्यशैली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, जो काम यह कप्तानगंज में करती थी, वही काम सदर में भी करने लगी। कप्तानगंज में भी यह रिश्तेदार के नाम से फर्म खुलवाकर मनमाने तरीके से भुगतान करती थ, जिसका खुलासा अपर जिला पंचायत राज अधिकारी अरुण कुमार की जांच में भी हो चुका, इप्हीं के ही रिपोर्ट पर इन्हें निलंबित होना पड़ा। जिस वित्तीय अनियमितता के कारण इनके खिलाफ मुकदमा एडीओ पंचायत को दर्ज कराना चाहिए, उसे जिला विकास अधिकारी ने आंशिक दंड देकर बहाल करते हुए फिर से लूटने का मौका दे दिया, अब प्रधानों की ओर से डीएम से की गई शिकायत पर जांच अधिकारी के द्वारा क्लीन चिट देने की तैयारी हो रही। प्रधानों का कहना है, कि इनका व्यवहार भी एक अच्छे सचिव की तरह नहीं है। पता नहीं क्यों जिन महिला सचिवों को समाज सवेंदनशील, कुशल व्यवहार और ईमानदार मानता है, वहीं महिलाएं सरकारी खजाना को लूटने वाली डकैत निकलती है। देखा जाए तो सदर ब्लॉक की अधिकांश महिला सचिव न तो गांव वालों और न सरकार और न योजनाओं के प्रति ईमानदार होती दिखाई देती है। इसके लिए किसे दोश माना जाए, समाज को समझ में ही नहीं आ रहा है, बल्कि उन लोगों को दोषी माना जा रहा है, जो भ्रष्ट महिला सचिवों का बचाव और उन्हें संरक्षण देतें है।

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