ओटी में इन्फेशन से गई दस मरीजों के आंख की रोशनी
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 28 December, 2024 08:16
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ओटी में इन्फेशन से गई दस मरीजों के आंख की रोशनी
बस्ती। कोतवाली थाना क्षेत्र के आवास विकास मुहल्ले में गैलेक्सी आई अस्पताल ने एक दो नहीं बल्कि दर्जनों बुजुर्ग गरीब मरीजों की आँखें खराब कर दी, अस्पताल के डॉक्टर ने ऑपरेशन तो किया लेकिन सभी मरीजों की आँखें ठीक होने के बजाए और खराब होते चली गई और एक की तो आंख तक निकालनी पड़ गई। आयुष्मान कार्ड से इन मरीजों का लापरवाही पूर्वक ऑपरेशन कर पैसे खारिज कर लिए गए। गौरतलब है कि मोतियाबिंद का आपरेशन कराने के बाद एक बुजुर्ग की एक आंख खराब हो गई और बाद में उसे इसका खामियाजा अपनी आंख निकलवा कर भरना पड़ा। मामला बिगड़ता देख अस्पताल प्रबंधन रोगी और उनके तीमारदार को कुछ रुपये देकर लखनऊ कराने उपचार के लिए भिजवा दिया। वहीं चर्चा है कि ओटी में इंफेक्शन फैलने की वजह से लगभग 10 से अधिक रोगी की आंखें प्रभावित हुई हैं। मामला तूल न पकड़े इसके लिए अस्पताल संचालक और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ने चुपके से रोगियों को जनपद के बाहर के अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। आसपास के लोगों में यह भी चर्चा है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी मामले का संज्ञान है, लेकिन वह कार्रवाई की बजाए चुप्पी साधे रहे। कुदरहा विकासखंड के बैडारी एहतमाली के निवासी 65 वर्षीय रामपराग के दाहिने आंख में मोतियाबिंद की शिकायत थी, जिसकी वजह से वे काफी दिन से परेशान थे। गैलेक्सी अस्पताल के लोग गांव में आंख की समस्या से पीड़ितों की खोज करने निकले थे। वह लोग राम पराग के घर भी पहुंचे, उन्हें बताया कि आयुष्मान कार्ड पर आंख का बेहतर इलाज हो जाएगा। 26 नवंबर को उनके दाहिने आंख की मोतिया बिंद का ऑपरेशन हुआ। उसी दिन उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। एक हफ्ते बाद जब उनकी आंख से मवाद निकलने लगा तो वे गैलेक्सी अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने बताया कि आपकी आंख खराब हो गई है, और मामले को दबाने के लिए मरीज को लखनऊ रेफर कर दिया। इसके बाद राम पराग वापस फिर गैलेक्सी अस्पताल आ गए जहां उनकी आंख निकाल दी गई। मरीजों के मुताबिक ओटी में इंफेक्शन फैलने से 10-15 लोगों की आंखें प्रभावित हुई है। मामला तूल न पकड़े इसके लिए चुपके से अस्पताल प्रबंधन रोगियों को रेफर कर दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरएस दुबे कह चुके हैं, कि रामपराग के दाहिने आंख मोतियाबिंद की शिकायत थी, जिसकी वजह से वह काफी दिन से परेशान थे। ऑपरेशन के बाद और भी लोगो की आँखें खराब हुई है इसकी जांच कराई जाएगी। जांच हो भी रही है। जानकारी में मुताबिक इस नर्सिंग होम में दूसरे जनपद के रोगियों को भी लाकर उनके आंख का उपचार किया जाता है। गैलेक्सी नेत्र अस्पताल के लोग दूसरे जनपद के लोगों को आंख के लिए अपने वाहन से बहला फुसलाकर लाते हैं फिर उनका आयुष्मान कार्ड पर ऑपरेशन किया जाता है और पैसे खर्ज कर लिए जाते है। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ने बताया कि जिन मरीजों की आँखें खराब हुई है उसकी वजह उन सबकी खुद की लापरवाही और इन्फेक्शन है। एक मरीज की आंख इसी वजह से निकाल देनी पड़ी। इसके अलावा जिनकी आंख में समस्या है उनका इलाज किया जा रहा है। दावा किया कि वे अब तक 8 हजार मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर चुके है। उनके अस्पताल का ऑपरेशन थिएटर बिल्कुल सेफ है। अस्पताल में कई जनपदों के मरीजों के आयुष्मान कार्ड पर उनके आंख का उपचार किया जाता हैं। अंबेडकर नगर, संतकबीर नगर व सिद्धार्थनगर के रोगियों को लाने की व्यवस्था भी है जिन्हें लाकर उनका आयुष्मान कार्ड पर फ्री इलाज किया जाता है। इस तरह के अस्पतालों ने बकायदा दलाल पाल रखा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों से पकड़कर अस्पताल में लाते है। अगर इलाज पर खर्च चार पांच हजार खर्च हुआ तो भुगतान 20-25 हजार का मिला। लेंस लगाते घटिया गुणवत्ता का भुगतान उच्चकोटि के लेंस का लेते है।
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