ओएन सिंह’ का कद ‘बढा’, ‘योगीजी’ और पार्टी का ‘घटा’

ओएन सिंह’ का कद ‘बढा’, ‘योगीजी’ और पार्टी का ‘घटा’

ओएन सिंह’ का कद ‘बढा’, ‘योगीजी’ और पार्टी का ‘घटा’

-योगीजी जिस धन का आप ने दुरुपयोग किया, वह पैसा ना आप का है, और ना ओएन सिंह, यह पैसा जनता का

-योगीजी अगर आपको जन्म दिन की बधाई देनी और नीजि कार्यक्रम में आना ही था तो अपने खचे पर आते, क्यों जनता के पैसे का दुरुपयोग किया

-जनता और सरकारी पैसे का अगर व्यक्तिगत उपयोग/दुरुपयोग करना और कराना हो तो कोई ओएन सिंह से सीखे

-जिस पूर्व मंत्री ने ओएन सिंह को डीएम बनाया उसी को ही भूल गए, इससे पता चलता है, कि इस दौर में ना सिर्फ नेता ही नहीं बल्कि अधिकारी भी गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते

बस्ती। अगर योगीजी ओएन सिंह के स्कूल के कार्यक्रम में ना आते तो ना तो सरकार की छवि खराब होती और ना ही मुख्यमंत्री की किरकीरी ही होती, ना पार्टी का नुकसान ही होता, और ना गुटबाजी को बल मिलता। एक तरह से सीएम ने एक व्यक्ति को खुश करने और उनके स्कूल को प्रमोट करने के लिए सीएम के पद और पार्टी की प्रतिष्टा को ही दांव पर लगा दिया। पार्टी के लोग और जनता सीएम को सलाह दे रही है, कि वह भविष्य में इस तरह के कार्यक्रमों में जाने से बचे, जिसमें स्कूल प्रबंधन को तो फायदा होता है, लेकिन सरकार और पार्टी की छवि खराब होती है। सोषल मीडिया पर जिस तरह कार्यक्रम और स्कूल को लेकर कमेंट हो रहे हैं, वह किसी भी मुख्यमंत्री और स्कूल प्रबंधन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। यह सही है, कि अगर यह कार्यक्रम ना होता तो लोग सोशल मीडिया पर स्कूल के बारे में कमेंट करते। एक तरह से लोगों ने स्कूल और ओएन सिंह की पोल खोलकर रख दी है। सबसे अधिक कमेंट भाजपा से जुड़े लोग ही कर रहे हैं, इसका मतलब यह हुआ कि सीएम ने कार्यक्रम में आकर गलती किया। कहा भी जा रहा है, कि जिस स्कूल में नकल कराने के नाम पर वसूली होती हो, सीएम के कार्यक्रम के नामपर छात्रों से पैसा लिया गया हो, अगर उस स्कूल के कार्यक्रम में योगी जैसा मुख्यमंत्री जाएगें और प्रबंधक के बारें कसीदें पढ़ेगें तो अगुंली सीएम पर उठेगी। इस कार्यक्रम को लेकर जनमानस में व्याप्त प्रतिक्रियाएं हो रही हैं, कहा जा रहा है, कि सीएम को ऐसे स्कूल के कार्यक्रमों में नहीं जाना चाहिए, जहां पर नकल कराने से लेकर सीएम के कार्यक्रम के नाम पर छात्रों से तीन-तीन सौ रुपया चंदा लिया जाता हो। सोशल मीडिया के जरिए लोग स्कूल की पोल खोल रहे है, और कह रहें हैं, कि ओमनी स्कूल प्रबंधन ने समाजसेवा का नया अध्याय लिख दिया, वर्षगांठ मनाने के नाम पर जिस तरह छात्रों से तीन-तीन सौ लिए गए, वह भी ईमानदार सीएम के पीठ पीछे, यह तो समाज सेवा के साथ-साथ स्मार्ट सेवा का उत्कृष्ट उदहारण। नकल विहीन परीक्षा कराने का तो दावा ओएन सिंह ने किया, लेकिन बीटीसी की परीक्षा में दो-दो हजार वसूलकर नकल करवाया, ब्लैक बोर्ड पर लिखकर खुले आम नकल करवाया, जिसकी पुष्टि कुछ और लोगों ने भी सोषल मीडिया के जरिए किया। कहा गया कि सीएम के ऐसे कार्यक्रमों से षिक्षा के बाजारीकरण को बल मिलता, सरकारी संस्थाओं को मजबूत करने से जरुरतमंदों को फायदा पहुंचता, सबसे अधिक षिक्षा की गिरावट गैर सरकारी षिक्षण संस्थानों से हो रही, पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार करके ही इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया जा सकता है, वेतन से नहीं खड़ा हो सकता। जनता और सरकारी पैसे का अगर व्यक्तिगत उपयोग/दुरुपयोग करना और कराना हो तो कोई ओएन सिंह से सीखे, यह भी लोगों का कहना है। जिस पूर्व मंत्री ने ओएन सिंह को डीएम बनाया उसी को ही भूल गए, इससे पता चलता है, कि इस दौर में ना सिर्फ नेता बल्कि अधिकारी भी गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते है। इससे पहले कभी भी किसी सीएम की इतनी किरकीरी नहीं हुई होगी, जितनी योगीजी कार्यक्रम में आने पर हो रही है। कुछ अधिकारी तो यहां तक कह रहे हैं, जो अधिकारी सीएम के आने के पहले परीक्षा के दौरान जांच करने जाते थे, अब सीएम के जाने के बाद कोई नहीं जाएगा, भले ही चाहें जितना को कोई शिकायत करे। जनता कह रही है, कि योगीजी जिस धन का आप ने दुरुपयोग किया, वह पैसा ना आप का है, और ना ओएन सिंह, यह पैसा जनता का, अगर आपको जन्म दिन की बधाई देनी और नीजि कार्यक्रम में आना ही था तो अपने खचे पर आते, क्यों जनता के पैसे का दुरुपयोग किया। अगर आप अपने खर्चे पर आते तो आप पर कोई अगुंली नहीं उठाता। आप एक ईमानदार सीएम का उदहरण प्रस्तुत करने से चूक गए।

 ब हम आपको सोशल मीडिया पर किए गएं कमेंट के बारे में बताते है। वैभव यादव लिखते हैं, कि ओमनी स्कूल प्रबंधन ने समाजसेवा का नाया अध्याय लिख दिया, वर्षगांठ मनाने के नाम पर जिस तरह छात्रों से तीन-तीन सौ लिए गए, वह भी ईमानदार सीएम के पीठ पीछे, यह तो समाज सेवा के साथ-साथ स्मार्ट सेवा का उत्कृष्ट उदहारण। संदीप कुमार कहते हैं, कि नकल विहीन परीक्षा कराने का तो दावा ओएन सिंह ने किया था लेकिन बीटीसी की परीक्षा में दो-दो हजार वसूलकर नकल करवाया, ब्लैक बोर्ड पर लिखकर खुले आम नकल करवाया। अमित मिश्र का कहना है, कि सीएम के ऐसे कार्यक्रमों से षिक्षा के बाजारीकरण को बल मिलता, सरकारी संस्थाओं को मजबूत करने से जरुरतमंदों को फायदा पहुंचता, षिक्षा की गिरावट गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों से हो रही। कुलदीप नारायन जायसवाल ने कहा कि पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार करके ही इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया जा सकता है, वेतन से नहीं खड़ा हो सकता। घनष्याम यादव ने लिखा कि योगीजी विधालय प्रबंधक का गुणगान करते-करते थक गए और विधालय प्रबंधन ने गुणगान करवाने के लिए बच्चों से पैसा लिया।

सीएम के आने और जाने के बाद जनता सवाल कर रही है, कि आखिर एक ईमानदार सीएम को व्यक्ति विषेष को लाभ पहुंचाने और उनका कद बढ़ाने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई का क्यों दुरुपयोग किया, बताते हैं, कि सीएम के एक कार्यक्रम में लाखों रुपया खर्च होता है। अगर सीएम को दोस्ती निभानी ही थी, और जन्म दिन की बधाई देना ही था, तो व्यक्तिगत खर्चे पर आते, क्यों जनता का पैसा खर्च किया। जिस अधिकारी पर सपा और भाजपा शासन काल के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगता रहा हो, अगर उसी व्यक्ति के कार्यक्रम में सीएम भाग लेते हैं, तो इसका क्या मतलब जनता निकाले। रही सही कसर सीएम ने ओएन सिंह के षान में कसीदें पढ़कर पूरी कर दी। आखिर सीएम समाज और पार्टी को क्या संदेश देना चाहते है? जनता जानना चाहती है। सीएम के कार्यक्रम से जिले की जनता को भले ही कुछ ना मिला हो, लेकिन ओएन सिंह जो चाहते थे, उन्हें मिल गया। अनेक अधिकारियों और पार्टी के लोगों का कहना हैं, कि अगर सीएम अधिकारियों के साथ दस मिनट भी विकास कार्यो की समीक्षा कर लेते तब भी जिले को कुछ लाभ अवष्य मिलता। वैसे भी सीएम की मेहरबानी से उनके अधिकारियों के द्वारा भ्रष्टाचार की गंगा पूरे जिले में बहाई जा रही है। जब सीएम को जिले के विकास की कोई चिंता नहीं तो अधिकारियों को क्यों होगी? सीएम का ना तो अधिकारियों और ना भ्रष्टाचारियों पर ही कोई हनक रह गया, अगर होता तो खुले आम नकली प्रमुख, बहादुरपुर के बीडीओ के चेंबर में रिवाल्वर की नोंक पर 20 करोड़ का फर्जी पक्का काम की स्वीकृति देने के लिए मारपीट ना करते। लोगों का कहना है, कि अब योगीजी को ईमानदारी का तमगा फेंक देना चाहिए। रही बात इनके जीरो टालरेंस नीति की तो इसे अधिकारियों ने अपने डस्टबिन में डाल दिया है। बखरा के आगे अधिकारियों के सामने जीरो टालरेंस नीति जीरो साबित हो रहा है।

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