न्यायालय’ में ‘नाईभाई’ और ‘समाज’ में ‘लालाभाई’
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 13 November, 2025 12:22
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‘न्यायालय’ में ‘नाईभाई’ और ‘समाज’ में ‘लालाभाई’
-थाल्हापार के नटवरलाल जितेंद्र श्रीवास्तव उर्फ नाई का मुकदमा लड़ने वाले वकील साहब भी इसे लाला ही जानते, इसके न जाने कितने रुप, इनका नेटवर्क यूपी से लेकर बिहार तक फैला हुआ
-यह इतना बड़ा नटवरलाल निकला कि इसने अपने वकील को भी नहीं छोड़ा, वकील साहब के जिगरी दोस्त फरदा के अवधेश यादव को भी 50 हजार का चूना लगा दिया, बाइक छीना तो 25 हजार दिया
-मुंडेरवा और लालगंज थाने में कई मुकदमा दर्ज, फरार हुआ, पकड़ा गया, जमानत कराया और फिर फरार हो गया, इसके खिलाफ एनबीडब्लू तक जारी, फिर भी पुलिस पकड़ नहीं पा रही, दरोगाजी कहते हैं, कि आप लोग दो-दो लाख दो तो पकड़कर लाता हुं
-चोलखरी के अशोक कुमार प्रजापति को जमीन के मामले में 1.73 लाख सदानंद के साथ मिलकर ठगा, एफआईआर, वांरट, कुर्की और एनबीडब्लू सब कुछ हो गया, 2013 से मुकदमा चल रहा
-डीआईजी कार्यालय के सामने नाई इनायतुल्लाह पुत्र अजीमुल्लाह से जितेंद्र श्रीवास्तव उर्फ विपिन श्रीवास्तव ने बनकटी ब्लॉक में चपरासी की नौकरी लगाने के नाम पर 2.17 लाख ठगा, नाई ले पांच-पांच सौ रुपया इसके यूनियन बैंक आफ इंडिया के खाता 713102010007329 में जमा किया
-उक्त खाते को साइबर क्राइम वालों ने फ्रीज कर दिया, एक-एक दिन 40 से 50 लेन देन हुआ, सुबह अगर 10 लाख आया तो शाम होते-होते दसों लाख दूसरे बैंक में भेज देता, फ्राड पकड़ा न जाए इसके लिए कई बैकों में इसके खाते
पाकड़डाड़ के संजय चौधरी और गोरखपुर के संजय श्रीवास्तव से भी नौकरी के नाम पर लाखों लिया, न नौकरी मिली और न पैसा ही मिला, मुंडेरवा के रामपुर, धौरहरा और कोचना के लोगों को सबसे अधिक चूना लगाया
-अगर इसने किसी से पांच या दो लाख आनलाइन व्यापार करने के नाम पर लिया, तो इसने विष्वास जमाने के लिए एक लाख पर हर माह 18 हजार देता भी था, जिसके खाते में पैसा जाता था, उससे कहता था, कि अन्य लोगों का भी पैसा लगवाओ
-जो लोग आज शिकायतें कर रहे हैं, वह लोग कभी नटवरलाल के भागीदार यानि बिचौलिया का काम करते थे, जब नटवरलाल भाग गया तो लोगों ने बिचौलियों पर पैसा देने के लिए दबाव बनाना शुरु कर दिया, तब यह लोग बचने के लिए मीडिया का सहारा लिया, और कह दिया कि वह तो खुद ठगी का शिकार
-कहने का मतलब पैसा भी आप और मुनाफा भी आप का, इसे कहते हैं, नटवरलाल
बस्ती। फोटो वाले व्यक्ति को अच्छी तरह एक बार फिर पहचान लीजिए और अगर कहीं यह दिखाई तो इसकी जानकारी संबधित थानों की पुलिस को अवष्य दे, क्यों कि यह व्यक्ति कानून और समाज का दुष्मन है। भगोढ़ा घोषित है। समाज और पुलिस दोनों इसे तलाश कर रही है। थाना लालंगज के चर्चित गांव थाल्हापार के जितेंद्र श्रीवास्तव उर्फ नाई को नटवरलाल किसी और ने नहीं बल्कि उसके 20-20 साल पुराने मित्रों ने बनाया। यह अलग बात हैं, कि इसने अपने मित्रों को भी नहीं छोड़ा। यह भी सही है, कि मित्रों ने मित्रवत साथ नहीं दिया, बल्कि पाप की कमाई में हिस्सेदारी बनने के लिए दिया। अगर कोई मित्र 20 साल बाद भी अपने मित्र को नहीं पहचान पाता तो सवाल तो मित्रों पर भी उठेगा। जो चर्चा हो रही है, अगर उसे ाही माना जाए तो लोग आज शिकायतें कर रहे हैं, वह लोग कभी नटवरलाल के भागीदार यानि बिचौलिया का काम करते थे, जब नटवरलाल भाग गया तो लोगों ने बिचौलियों पर पैसा देने का दबाव बनाने लगें। तब यह लोग बचने के लिए कहने और तहरीर देने लगे कि वह तो खुद ठगी का शिकार है। यह सही है, कि नटवरलाल ने किसी को भी छोड़ा, यह इतना बड़ा नटवरलाल निकला कि इसने उन वकील साहब को भी नहीं छोड़ा जो इसका मुकदमा लड़ रहें हैं, इनके जिगरी दोस्त फरदा के अवधेश यादव को भी दोगुना पैसा करने के नाम पर 50 हजार का चूना लगा दिया, बाइक छीना तो 25 हजार दिया। थाल्हापार के नटवरलाल जितेंद्र श्रीवास्तव उर्फ नाई का मुकदमा लड़ने वाले वकील साहब भी इसे लाला ही जानते हैं, इसके न जाने कितने रुप, इसका नेटवर्क यूपी से लेकर बिहार तक फैला हुआ। न्यायालय में यह नाई और समाज में लाला बना हुआ है। जितने भी शिकायतें की गई उन सभी में इसे जितेद्र श्रीवास्तव लिखा गया। मुंडेरवा और लालगंज थाने में कई मुकदमा दर्ज, फरार हुआ, पकड़ा गया, जमानत कराया और फिर फरार हो गया, इसके खिलाफ एनबीडब्लू तक जारी, फिर भी पुलिस पकड़ नहीं पा रही, दरोगाजी कहते हैं, कि आप लोग दो-दो लाख दो तो पकड़कर लाता हुं।
चोलखरी के अशोक कुमार प्रजापति को जमीन के मामले में 1.73 लाख सदानंद के साथ मिलकर ठगा, एफआईआर, वांरट, कुर्की और एनबीडब्लू सब कुछ हो गया, 2013 से मुकदमा चल रहा। डीआईजी कार्यालय के सामने नाई इनायतुल्लाह पुत्र अजीमुल्लाह से जितेंद्र श्रीवास्तव उर्फ विपिन श्रीवास्तव ने बनकटी ब्लॉक में चपरासी की नौकरी लगाने के नाम पर 2.17 लाख ठगा, नाई ने पांच-पांच सौ रुपया इसके यूनियन बैंक आफ इंडिया के खाता 713102010007329 में जमा किया। पैसा भी गया और नौकरी भी चली गई। इस खाते को साइबर क्राइम वालों ने फ्रीज कर दिया, इस खाते से एक-एक दिन में 40 से 50 लेन देन हुआ, सुबह अगर 10 लाख आया तो शाम होते-होते दसों लाख दूसरे बैंक में चला गया, फ्राड पकड़ में न आए इसके लिए कई बैकों में इसने खाते खोल रखे हैं। पाकड़डाड़ के संजय चौधरी और गोरखपुर के संजय श्रीवास्तव से भी नौकरी के नाम पर लाखों लिया, न नौकरी मिली और न पैसा ही मिला, मुंडेरवा के रामपुर, धौरहरा और कोचना के लोगों को सबसे अधिक चूना लगाया। अगर इसने किसी से पांच या दो लाख आनलाइन व्यापार करने के नाम पर लिया, तो इसने विष्वास जमाने के लिए एक लाख पर हर माह 18 हजार देता भी था, जिसके खाते में पैसा जाता था, उससे कहता था, कि अन्य लोगों का भी पैसा लगवाओ। इसके लिए वह कमीशन भी देेता था। कहा जाता है, कि जो लोग आज शिकायतें कर रहे हैं, वह लोग कभी नटवरलाल के भागीदार यानि बिचौलिया का काम करते थे, जब नटवरलाल भाग गया तो लोगों ने बिचौलियों पर पैसा देने के लिए दबाव बनाना शुरु कर दिया, तब यह लोग बचने के लिए कह दिया कि वह तो खुद ठगी का शिकार हुआ। कहने का मतलब पैसा भी आप और मुनाफा भी आप का, इसे कहते हैं, नटवरलाल। सबसे बड़ा सवाल लालगंज और मुंडेरवा थाने की पुलिस पर उठ रही है, कहा जाता है, कि जो भी व्यक्ति समाज और कानून का दुष्मन हो, उसे पुलिस क्यों नहीं पकड़ पा रही है? जब कि इसके खिलाफ एनबीडब्लू तक हो चुका।

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