नशा’ मुक्ति का ‘संदेश’ और ‘प्रेत’ योनि से ‘मुक्ति’ की ‘महिमा

नशा’ मुक्ति का ‘संदेश’ और ‘प्रेत’ योनि से ‘मुक्ति’ की ‘महिमा

नशा’ मुक्ति का ‘संदेश’ और ‘प्रेत’ योनि से ‘मुक्ति’ की ‘महिमा

बनकटी/बस्ती।  विकास क्षेत्र के बघाड़ी गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस ने श्रद्धालुओं के मन में भक्ति और प्रेरणा का संचार किया। वृंदावन के पधारे कथावाचक उत्कर्ष पांडेय ने जहाँ एक ओर युवा पीढ़ी को जीवन में सफलता के लिए प्रेरित किया, वहीं दूसरी ओर, कथा के मुख्य पात्र धुंधकारी के उदाहरण से नशा और व्यसनों से दूर रहने का सशक्त संदेश दिया। युवाओं को नशा से दूर रहने का आह्वान द्वितीय दिवस की कथा में गोकर्ण और धुंधकारी के चरित्र का वर्णन किया गया। गोकर्ण जहाँ धर्मात्मा थे, वहीं उनके भाई धुंधकारी अत्यंत दुराचारी, व्यसनी और नशाखोरी में लिप्त थे। कथावाचक ने स्पष्ट किया कि नशा कैसे एक व्यक्ति को अधोगति की ओर ले जाता है। और उसे समाज में अपमानित करवाता है। धुंधकारी का जीवन व्यसनों का दुखद परिणाम दिखाता है, जहाँ सुख, शांति और सम्मान दूर हो जाते हैं। कथावाचक ने युवाओं से अपील की कि वे अपने जीवन को सद्कर्मों और शिक्षा की ओर मोड़ें, क्योंकि नशा केवल विनाश की ओर ले जाता है। यह संदेश दिया गया कि शक्ति और ऊर्जा का उपयोग राष्ट्र और स्वयं के उत्थान में करें, न कि क्षणिक सुख देने वाले व्यसनों में। भागवत की शक्तिरू अधम से अधम प्रेत को भी मुक्ति

कथा के इस भाग का सबसे महत्वपूर्ण संदेश श्रीमद्भागवत की अपार महिमा को दर्शाना था। धुंधकारी की मृत्यु के बाद, वह प्रेत योनि को प्राप्त हुआ, जो अधम से अधम गति मानी जाती है। कथा में वर्णन किया गया कि कैसे धुंधकारी प्रेत बनकर अपने भाई गोकर्ण के पास आया।

गोकर्ण ने प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथावाचक ने इस बात पर जोर दिया कि केवल सात दिन तक चली भागवत कथा के श्रवण मात्र से, प्रेत योनि में भटका हुआ धुंधकारी भी समस्त बंधनों से मुक्त होकर परम पद को प्राप्त हुआ। यह घटना सिद्ध करती है कि श्रीमद्भागवत कथा में वह दैवीय शक्ति है जो न केवल जीवित व्यक्ति को सही मार्ग दिखाती है, बल्कि अधम से अधम प्रेत को भी मुक्ति प्रदान कर सकती है। यह संदेश दिया गया कि जीवन में दुःख, निराशा या कैसी भी बाधा हो, भागवत के आश्रय से सभी समस्याओं का समाधान संभव है। कथा के सफल आयोजन से क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। तृतीय दिवस की कथा के लिए श्रद्धालु उत्सुक हैं। आयोजक बलराम प्रसाद शुक्ल द्वारा कथा में आने के लिए सबका आभार व्यक्त किया है। इस मौके पर राजेश शुक्ल, सर्वेश उपाध्याय, गंगेश शुक्ल, सुरेश तिवारी, शिखर, विश्वास, बृजेश शुक्ल, ओम प्रकाश शुक्ल सहित भारी संख्या मे श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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