मोदीजी ‘रेट’ लिस्ट ‘लगाइए’, भ्रष्टाचार ‘मिटाइए’
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 23 October, 2025 20:16
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मोदीजी ‘रेट’ लिस्ट ‘लगाइए’, भ्रष्टाचार ‘मिटाइए’
-‘जनता खुश’, ‘नेता खुश’, ‘सरकार खुश’, ‘कमीशनखोर खुश’, सबकी खुशी रेट लिस्ट में!
-अगर भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना है, तो हर सरकारी कार्यालयों में काम कराने का रेट लिस्ट चस्पा होना चाहिए
-जब हर काम का कमीशन लिया जाता है, तो उसे कानून का रुप देने में क्या हर्जा
-इसे कानून बनाकर कर बाकायदा विज्ञापन निकालना चाहिए, जिस दिन काम कराने का रेट फिक्सड हो गया, उस दिन नेताओं की आवष्यकता ही समाप्त हो जाएगी
-जरुरतमंद जाएगा और रेट के हिसाब से पैसा देगा, काम कराएगा, और चुपचाप घर चला जाएगा
-तब न भ्रष्टाचार पर सदन में चर्चा होगी और न नेता लंबा चौड़ा भ्रष्टाचार मिटाने का भाषण ही देगें
बस्ती। भ्रष्टाचार से लड़ते-लड़ते थक चुके समाज सेवी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र बहादुर सिंह ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी को सुझाव दे डाला कि अगर भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना है, तो उसे कानून का रुप दे दिया जाए, हर कार्यालयों में हर काम का और पदवार रेट लिस्ट टांग देना चाहिए, ताकि जरुरतमंद आए और रेट लिस्ट के हिसाब से कमीशन दे और काम कराकर घर चला जाए। कहा कि वैसे भी जब हर कार्यालय में काम कराने का पैसा लिया जाता है, तो उसे कानून का दर्जा देने में क्या हर्ज? कम से कम आम लोगों को नेताओं से सिफारिश तो नहीं करानी पड़ेगी और न कार्यालयों, कचहरी और थानों के चक्कर तो नहीं लगाने पड़ेगें। सीना चौड़ा करके आम जनता जाएगी, टेबुल पर गांधीजी रखेगी और कहेगी कि मेरा काम त्वरित करो। मोदीजी अगर आप भ्रष्टाचार को कानून का दर्जा दिलाने में सफल हो गए तो पूरी दुनिया में आप की जयजयकार होगी, और भारत का नाम उंचा होगा। आप भी किसी भी सम्मेलन में शान के साथ कह सकेगे कि भारत में भ्रष्टाचार को कानून का दर्जा दे दिया गया। अब भारत में कोई भी काम कराना नामुमकिन नहीं रह गया। वकील साहब का दावा हैं, भ्रष्टाचार को कानून का दर्जा मिल जाने से भारत सबसे समृद्धिशाली देश कहलाएगा। कहा कि जैसे ही कमीशन का कोडिफिकेशन हो जाएगा। भारतवर्ष अपने आप भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा। मोदीजी और योगीजी को कुछ करना ही नहीं पड़ेगा। कहते हैं, कि जब सांसद और विधायक, जो कानून बनाने वाले है, कमीशन ले रहे है तो नौकरशाह और बाबू को कौन रोकेगा? सरकार को अब भर्तियां भी कमीशन के आधार पर निकालना चाहिए ताकि राजस्व की बृद्वि हो सके। विभागावार कमीशन तय कर भर्तियां की जाएं जैसे कमीशन एजेंट होते हैं वैसे ही कमीशन पर अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति हो, विभागवार रेट तय कर दिया जाए, किस काम पर कितना कमीशन, मतलब तुरंत वेतन झट काम, जनता खुश, नेता खुश, सरकार खुश, कमीशनखोर अधिकारी खुश। चाहे तहसील थाना, न्यायालय के पेशकार, बाबू और जहां न्याय की देवी के आंखों पर पट्टी बंधा है, न्याय के देवता न्यायाधीश बैठे हैं और पेशकार साहब बिना पचास लिए वादकारियों को तारीख नहीं देते, शिक्षा चिकित्सा राजस्व, सहकारिता सबका कोडिफिकेशन कराकर नोटीफिकेशन जारी होना चाहिए, और पदवार रेट भी फिक्स्ड होना चाहिए। कहते हैं, कि पैसा देने के बाद कोई भी सचिव चाहें जितना भ्रष्टाचार करे, कोई कार्रवाई नहीं होगी, पैसे भी जिले के सचिवों ने धान खरीद घोटाले के नाम पर छह करोड़ कमीशन के रुप में एक तरह से जमा कर ही चुके है। भ्रष्टाचार अगर कानून बन गया तो तो डीआर, एआर और बैंक के सचिव की जो कमेटी बनी है, तो कर्मचारियों के समायोजन के नाम पर खुलेआम 50 हजार के स्थान पर उक लाख ले सकेगें, वैसे अभी इनका रेट 50 हजार है। कानून बन जाने के बाद साहब के पेशकार खुले आम तारीख देने के नाम पर 50 के स्थान पर 100 रुपया ले सकेगें, वैसे अभी इनका चोरी छिपे रेट 50 रुपया, फोटो कापी का रेट के हिसाब से ले सकेगे। सूर्यबलि सिंह कहते हैं, कि वकील साहब रेट बना भी दिया जाए तो भी रेट बढ़ा देगें, एमपी एमएलए लोग 30 फीसद से 50 फीसद कर दिया, कोई सड़क 50 फीसद धनराशि में कैसे बनेगा? अगर यह लोग कमीशन छोड़ दे तो सारा काम ठीक हो जाएगा, कार्यपालिका अपने आप सुधर जाएगी। शेलन्द्र सिंह लिखते हैं, कि लोकतंत्र का वरदान है, जो संविधान की गोदी में पल पोसकर अमृत काल की घोषणा करी रहा है, देश में रहना है, तो आंख पर पटटी बांधकर रहना होगा।

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