खाद’, ‘धान’ और ‘गेहूं’ की ‘चोरी’ कर सचिव ‘मुकेश गुप्त’ बना ‘करोड़पति’!

खाद’, ‘धान’ और ‘गेहूं’ की ‘चोरी’ कर सचिव ‘मुकेश गुप्त’ बना ‘करोड़पति’!

खाद’, ‘धान’ और ‘गेहूं’ की ‘चोरी’ कर सचिव ‘मुकेश गुप्त’ बना ‘करोड़पति’!

-जिस समिति के अध्यक्ष ने सहायक सचिव से सचिव बनाया, उसी सचिव ने अध्यक्ष को ही चूना लगा दिया

-35 साल से साधन सहकारी समिति महथा सजहरा के अध्यक्ष रहें शेषराम चौधरी ने सचिव मुकेश गुप्त की अकूत संपत्ति का लेखाजोखा देते हुए डीएम से सपंत्तियों की जांच कराने की मांग की

-जिन संपत्तियों का ब्यौरा दिया गया, उनमें नगर पंचायत बनकटी के देईसाड़ में आमने सामने तीन आलीशान आवास और दुकान, टिकवाजोत में मुख्य मार्ग पर आलीशान मकान, देइसाड़ बानपुर मुख्य मार्ग पर एवं मकदूमपुर में दो आलीशान मकान

-पूर्व अध्यक्ष के गेहू के 38200 रुपया काटकर उसे गांव भर के किसानों को सदस्य बना दिया, पूछा कि क्यों मेरे पैसे से सदस्य बनाए तो कहने लगा कि गेहूं और धान में एडजस्ट हो जाएगा

-पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मुकेश गुप्त को सचिव बनाने के लिए वर्तमान एआर ने सिफारिश किया था, बाद में जब सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र दिया तो सचिव से भारी रकम लेकर जांच को ही रददी की टोकरी में डाल दिया

-कहा कि यह सरकारी खाद, गेहूं और धान खरीदता और उसे बेचता भी है, इसके खुद के नाम से खाद और बिल्डिगं मैटेरिएल कर दुकान, कहते हैं, कि ईमानदार बनिया समझकर सचिव बनाया, लेकिन यह तो बड़ा ही बेईमान निकला और हमको ही ठग लिया

बस्ती। जो लोग समितियों के सचिवों को दीनहीन और गरीब समझते हैं, वे गलती करते है। आज का कोई समिति का सचिव करोड़पति से कम नहीं है। इन्हें करोड़पति बनाने में सबसे बड़ा हाथ एआर और पीसीएफ के डीएस का है। अब आप समझ सकते हैं, कि जब एक सचिव करोड़ों की संपत्ति का मालिक हो सकता है, तो एआर और पीसीएफ के डीएस की क्या हैसियत होगी? इसी लिए एआर बार-बार बस्ती आते है। इसी को देखते हुए मीडिया ने नवागत डीएम से कहा था, कि मैडम एआर, पीसीएफ के डीएस और जिला कृषि अधिकारी पर कभी भरोसा मत करिएगा। एक ऐसे समिति के सचिव का मामला सामने आया, जिसके पास इतनी संपत्ति हैं, उतनी किसी माफिया के पास नहीं होगी। इस सचिव का नाम हैं, मुकेश गुप्त, और यह साधन सहकारी समिति महथा सजहरा के वर्तमान सचिव है। इनके अकूत संपत्तियों की जांच किसी और ने नहीं बल्कि इस समिति के 35 साल से अध्यक्ष रहने वाले शेषराम चौधरी ने किया। यह वही अध्यक्ष हैं, जिन्होंने सहायक सचिव मुकेश गुप्त को सचिव बनाया, और इसे एआर के सिफारिश पर बनाया गया।

इस सचिव की बेईमानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि जिस समिति के अध्यक्ष ने सहायक सचिव से सचिव बनाया, उसी सचिव ने अध्यक्ष को ही चूना लगा दिया। शपथ-पत्र के साथ 35 साल से साधन सहकारी समिति महथा सजहरा के अध्यक्ष रहें शेषराम चौधरी ने सचिव मुकेश गुप्त की अकूत संपत्ति का लेखाजोखा देते हुए डीएम से सपंत्तियों की जांच कराने की मांग की है। जिन संपत्तियों का ब्यौरा दिया गया, उनमें नगर पंचायत बनकटी के देईसाड़ में आमने सामने तीन आलीशन आवास और दुकान, टिकवाजोत में मुख्य मार्ग पर आलीषान मकान, देइसाड़ बानपुर मुख्य मार्ग पर एवं मकदूमपुर में दो आलीशान मकान। पूर्व अध्यक्ष का कहना है, कि सचिव ने मेरे खाते से गेहू का 38200 रुपया काट लिया, और उस पैसे से गांव भर के किसानों को सदस्य बना दिया, पूछा कि क्यों मेरे पैसे से सदस्य बनाए तो कहने लगा कि गेहूं और धान में एडजस्ट हो जाएगा। पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मुकेश गुप्त को सचिव बनाने के लिए वर्तमान एआर ने सिफारिश किया था, बाद में जब सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र दिया तो सचिव से भारी रकम लेकर जांच को ही रददी की टोकरी में डाल दिया। कहा कि यह सरकारी खाद, गेहूं और धान खरीदता और उसे बेचता भी है, इसके खुद के नाम से खाद और बिल्डिगं मैटेरिएल की दुकान भी है, कहते हैं, कि ईमानदार बनिया समझकर सचिव बनाया, लेकिन यह तो बहुत बड़ा ही बेईमान सचिव  निकला इसने हमको ही ठग लिया। अब आप लोग समझ गए होगें कि इन भ्रष्ट सचिवों ने कहां से धान घोटाले का करोड़ों रुपया जमा किया। वह तो कमिष्नर के चलते जांच नहीं हुई नही ंतो यह लोग आज जेल में होते।

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