कानपुर के डाक्टर की डिग्री, बस्ती के तीन पैथालाजी सेंटर दे रहंे फर्जी रिपोर्ट!

कानपुर के डाक्टर की डिग्री, बस्ती के तीन पैथालाजी सेंटर दे रहंे फर्जी रिपोर्ट!

कानपुर के डाक्टर की डिग्री, बस्ती के तीन पैथालाजी सेंटर दे रहंे फर्जी रिपोर्ट!


-कानपुर के डाक्टर सांेधी बलेंदर सिंह का फर्जी हस्ताक्षर बनाकर बनकटी के ग्लोबल हास्पिटल, स्टेशन रोड के डिसेंट और जिगना के केडी अस्पताल में दी जा रही पैथालाजी की रिपोर्ट

-कंप्यूटर से डिग्री स्कैन कर उसकी नोटरी कर अस्पतालों के पैथालाजी में लगाकर धड़ल्ले से कर रहे हैं, इस्तेमाल, डिग्री ऐसे डाक्टरों की निकाली जाती, जिसका बस्ती से कोई संबध न हो

-सीएमओ कार्यालय को चुप रहने के लिए उन्हें हर माह बंधी-बंधी रकम भेज दी जाती, फर्जी रिपोर्ट और फर्जी डिग्री की शिकायत करते रह जातें, लेकिन सीएमओ कार्यालय नहीं करता कोई कार्रवाई

-भारत कौटिल्य फाउडेंशन के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी ने इसकी षिकायत सीएम से करते हुए जांच कराने और फर्जी डिग्री का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की

बस्ती। भ्रष्टाचार न सिर्फ विकास कार्यो में हो रहा हैं, बल्कि उससे अधिक भ्रष्टाचार सीएमओ कार्यालय में हो रहा है। इसी भ्रष्टाचार के चलते न जाने कितने मरीजों की जानें चली गई, और न जाने कितने लोग अंधें हो गए, और न जाने कितने माताओं की कोखें सूनी हो़ गई। सीएमओ कार्यालय के भ्रष्टाचार के चलते खून चुसवा डाक्टर्स की संख्या बढ़ती जा रही है। चूंकि आज तक फर्जी लाइसेंस जारी करने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, इस लिए मरीजों के मरने की संख्या में इजाफा हो रहा है। मरीजों की जान लेने वाले डाक्टर्स अच्छी तरह जानते हैं, कि जब तक उनके आका सीएमओ और डिप्टी सीएमओ हैं, उन पर आंच नहीं आ सकती। कहना गलत नहीं होगा कि सीएमओ ऐसे अस्पतालों को लाइसेंस जारी कर दे रहे हैं, जो मानक ही पूरा नहीं करते, जिले में न जाने कितने बिना लाइसेंस के अस्पताल और पैथालाजी सेंटर संचालित हो रहे हैं, और जिनकी लापरवाही के चलते मरीजों की मौतें हो रही हैं, फिर भी सीएमओ कार्यालय खामोश रहता है। बल्कि इस कार्यालय के लोग किसी घटना के होने का इंतजार करते हैं, ताकि खून चुसवा डाक्टर के खून को सींरीज के जरिए निकाला जा सके। अब जरा अंदाजा लगाइए कि बनकटी के ग्लोबल हास्पिटल, स्टेशन रोड के डीसेंट और जिगना के केडी अस्पतालों में जो खून की जांच होती है, और मरीजों को जो रिपोर्ट दी जाती है, उसमें डा. सोंधी बलवेंद्रर सिंह एमबीबीएस एमडी पैथ कानपुर का फर्जी हस्ताक्षर है। अब जरा अंदाजा लगाइए कि कानपुर का डाक्टर क्या बस्ती में आकर रोज एक साथ तीन स्थानों पर जा सकता और खून की न सिर्फ जांच करेगा बल्कि जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर भी करेगा, क्या यह किसी भी डाक्टर के लिए संभव हैं? जिस कानपुर के डाक्टर के डिग्री का फर्जी तरीके से न सिर्फ इस्तेमाल किया जा रहा है, बल्कि उसका फर्जी हस्ताक्षर बनाकर रिपोर्ट भी जारी कर दिया जा रहा है, उस डाक्टर के पास इतनी भी फुर्सत नहीं रहती कि वह अपने बच्चों से ठीक से बात तक कर सके। इस फर्जीवाड़े की शिकायत न जाने कितनी बार सीएमओ से की गई, लेकिन सीएमओ और उनकी टीम इस लिए खामोश है, क्यों कि उन्हें बंधी-बंधाई रकम मिल जा रही है। इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि मरीजों के मरने की जिम्मेदारी डाक्टर्स की कम और सीएमओ की अधिक है। अब देखना है, कि इनके ही एमओआईसी के बच्चे की मौत को लेकर सीएमओ का डा. रेनू राय के बारे में क्या स्टैंड रहेगा? क्यों कि मामला इनके विभाग के एमओआईसी का है? लक्ष्मी हावी रहेगा या फिर एमओआईसी का बच्चा। भारत कौटिल्य फाउडेंशन के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी ने इसकी शिकायत सीएम से करते हुए जांच कराने और फर्जी डिग्री का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और फर्जी अस्पतालों को संरक्षण देने वाले सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

बता दें कि कंप्यूटर से स्कैन कराकर डाक्टरों की डिग्री निकालकर फर्जीवाड़े का खेल पूरे प्रदेश में हो रहा है। इसे रोकने के लिए एक नई व्यवस्था की गई, जिसके तहत सभी डाक्टरों की डिग्री को आधार कार्ड रिलेटेड मोबाइल से लिंक कर दिया गया है। अब अगर कोई किसी भी डाक्टर की डिग्री को आनलाइन के जरिए निकालेगा तो सिस्टम ओटीपी मांगेंगा, जाहिर सी बात हैं, मोबाइल तो असली डाक्टर के पास रहेगा और ओटीपी भी उसके मोबाइल पर ही जाएगा। जब तक डाक्टर ओटीपी नहीं देगा तब तक किसी डाक्टर की डिग्री नहीं निकल सकती। अब सवाल उठ रहा है, जो इस सिस्टम से पहले डिग्री निकाली जा चुकी है, उसका क्या होगा? यही पर सीएमओ और उनकी टीम की अहम भूूमिका हो जाती हैं, क्यों कि इन्हें ही डिग्री का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। अगर यह चाहेगें तो बस्ती के तीनों पैथालाजी के खिलाफ कार्रवाई करेगें और सील भी करेगें।सजू1 नहीं चाहेगें तो कुछ भी नहीं होगा, जैसे पहले फर्जी रिपोर्ट दी जा रही थी, उसी तरह अब भी दी जाएगी। हां सीएमओ और उनकी टीम की फीस अवष्य कई गुना बढ़ जाएगी।

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