कमिश्नर के आगे भ्रष्ट बाबू की एक न चली, हटना ही पड़ा
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 8 May, 2025 23:39
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कमिश्नर के आगे भ्रष्ट बाबू की एक न चली, हटना ही पड़ा
बस्ती। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि एक भ्रष्ट बाबू कैसे षासन और प्रशासन से उपर हो सकता है? यह भी सवाल उठ रहा है, क्या प्रशासन इतना लाचार हो गया कि वह एक बाबू का पटल तक नहीं बदल सकता, तबादला करना तो दूर की बात। कौन कहता है, कि योगी बाबा के राज में भ्रष्ट बाबू फलफूल नहीं रहे है। अगर कोषागार का बाबू भूपेश विष्वकर्मा मनमानी करते हैं, पेषनर्स से काम के बदले पैसा मांगते हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार? पहली जिम्मेदारी तो सीटीओ की बनती है। अगर उनके कार्यायल का बाबू भ्रष्टाचार कर रहा है, तो इसका मतलब उनकी भी भागीदारी भ्रष्टाचार में है। वरना, खुले आम कोई बाबू सीटीओ और डीएम को चैलेंज न करता। इसके भ्रष्टाचार का पता इस बात से चलता है, कि इसका पटल बदलने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन को धरना प्रदर्शन तक करना पड़ा, फिर भी पटल नहीं बदला गया, डीएम की जांच के बाद भी पटल नहीं बदला। पेशनर्स जब सब जगह से हार गए तो यह लोग अध्यक्ष नरेंद्र बहादुर उपाध्याय की अगुवाई में कमिष्नर से मिले। कमिश्नर ने न सिर्फ इनकी समस्याओं को सुना बल्कि त्वरित डीएम को फोन करके पटल बदलने को कहा। दूसरे दिन पटल बदल भी दिया गया। पेंशनर्स को लगा कि मानो उन लोगों को कोई बड़ी लड़ाई जीत ली हो। इसके लिए इन लोगों ने कमिश्नर को थैंक्स कहा। पटल बदलना इस लिए महत्वपूर्ण रहा क्यों कि यह मामला सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ा रहा। पेशनर्स तबादले की मांग नहीं कर रहे थे, सिर्फ पटल बदलने पर जोर दे रहा थे, ताकि पेंशनर्स का उत्पीड़न और षोषण न हो सके। पटल बदलना चर्चा का विषय इस लिए रहा है, क्यों कि धरने का समर्थन सभी कर्मचारियों के संगठनों ने दिया था। सगंठन के पदाधिकारियों को भी सहयोग के लिए धन्यवाद दिया गया।
भूपेश विश्वकर्मा को हटाये जाने पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये आयुक्त का आभार जताया है। बता दें कि भूपेश का कार्यव्यवहार बेहद आपत्तिजनक था। वे तरह तरह से पेंशनर्स का उत्पीड़न कर रहे थे। एसोसियेशन के जिला मंत्री उदय प्रताप पाल ने कहा कि भूपेश के हटाये जाने से एक साथ कई समस्याओं का समाधान हो गया। तमाम विधवा महिलाओं को अब अपना पेंशन स्वीकृत कराने में परेशानी का सामना नही करना होगा। इनमे विकास भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रामअधार पाल, मा. शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री अनिरूद्ध त्रिपाठी, रामपूजन सिंह, मारकन्डेय सिंह, प्रा.शि.सं. के उदयशंकर शुक्ल, चन्द्रिका सिंह, श्रीगोपाल तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार पाण्डेय, राजकीय वाहन चालक संघ के जिलाध्यक्ष वेदप्रकाश, डा. एलके पाण्डेय, रोडवेज मजदूर यूनियन के अनिरूद्ध सिंह, आयुर्वेद यूनानी फार्मासिस्ट संघ के आरपी सिंह, देवी प्रसाद शुक्ल, राधेश्याम त्रिपाठी, प्रेमशंकर लाल, प्रेमप्रकाश मिश्र, अरूण कुमार पाण्डेय, जयनाथ सिंह, दिनेश पाण्डेय, देवनरायन प्रजापति, शीतल प्रसाद पाण्डेय, श्रीनाथ मिश्र, गणेशदत्त शुक्ल, गंगा प्रसाद पाण्डेय, राजाराम मिश्र, पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ के अजय आर्या, विद्युत पेंशनर्स संघ के आरके पाण्डेय, चन्द्रप्रकाश पाण्डेय, छोटेलाल यादव, सुरेशधर दूबे, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, राममिलन चौधरी, सुरेन्द्रनाथ उपाध्याय, जंगबहादुर, जोखू यादव, ओम प्रकाश मिश्र आदि शामिल रहे।
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