कमजोर निकले बीडीओ सदर, रीता श्रीवास्तवा पहुंची विकास भवन
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 9 January, 2025 09:46
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कमजोर निकले बीडीओ सदर, रीता श्रीवास्तवा पहुंची विकास भवन
-डीडीओ से की बीडीओ के चहेते एडीओ एसटी की शिकायत, डीडीओ ने कार्रवाई को डीएसटीओ को लिखा
-बीडीओ के तबादले के बाद अन्य महिला कर्मी भी होगी बीडीओ के खिलाफ मुखर
बस्ती। अगर कोई बीडीओ अपने महिला कर्मियों के हितों और उसके मान-सम्मान की रक्षा नहीं कर सकता है, तो उस बीडीओ को कमजोर माना जाता हैं, वह बीडीओ लायक नहीं होता। फिर उनका स्टाफ ही उनका सम्मान नहीं करेगा। ऐसे में अगर कहीं कोई महिला कर्मी शिकायत लेकर विकास भवन चला गया तो इसे बीडीओ की सबसे बड़ी कमजोरी मानी जाएगी। कुछ ऐसा ही सदर ब्लॉक के बीडीओ और स्थापना सहायक रीता श्रीवास्तवा का सामने आया। मैडम को किसी और ने नहीं बल्कि बीडीओ के चहेते एडीओ एसटी राजकुमार ने अपमानित किया, जाहिर सी बात हैं कि चहेते के सामने एक महिला के मान और सम्मान की क्या कीमत? फिर भी स्थापना सहायक ने अपने मान-सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया, और जब इन्होंने देखा कि उनके साहब इस मामले में कुछ नहीं कर रहे हैं, तो वह बुद्ववार को सीधे विकास भवन पहुंच गई, और डीडीओ से मिली, उन्हें आवेदन दिया और एडीओ एसटी के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की। चूंकि मामला एक महिला के मान-सम्मान से जुड़ा हैं, इस लिए डीडीओ साहब ने बिना बिलंब किए डीएसटीओ को राजकुमार के खिलाफ कार्रवाई करने को पत्र लिखा। अगर यही काम बीडीओ साहब कर देते तो मामला विकास भवन तक नहीं पहुंचता। इसी लिए कहा गया हैं, कि जिस ब्लॉक का बीडीओ कमजोर होते हैं, उस ब्लॉक के महिला कर्मी अपने आपको असुरक्षित महसूस करते है। महिलाओं के उत्पीड़न के मामले में अन्य महिला कर्मियों ने बीडीओ पर भी आरोप लगाया है, लेकिन अभी तक महिलाएं बीडीओ के खिलाफ एडीओ एसटी की तरह मुखर नहीं हुई। ऐसा लगता है, कि यह लोग बीडीओ के ब्लॉक से जाने के मुखर होगी।
मामला मीडिया में आने के बाद सदर ब्लॉक के बीडीओ और एडीओ एसटी चर्चा में आए। आधा दर्जन से अधिक महिला कर्मियों ने दोनों अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। स्थापना सहायक रीता श्रीवास्तवा को एडीओ एसटी ने कहा था, कि आप को कुछ आता जाता नहीं, दिन भर कुछ नहीं करती, कहा कि इस्तीफा दीजिए और घर जाकर चौका बर्तन कीजिए। अन्य महिलाएं भी बीडीओ पर देर सांय तक रोेके रखने और सार्वजनिक रुप से अपमानित करने तक का आरोप लगा चुकी है। बार-बार कहा जाता है, कि अधिकारी चाहें जितने बड़े पद पर काबिज क्यों ना हो, अगर उसके भीतर महिला कर्मियों के प्रति आदर और सम्मान नहीं है, तो उसके बड़े होने का कोई मतलब नहीं, ऐसे बड़े अधिकारियों की ना तो समाज इज्जत करता है, और ना उनका स्टाफ ही सम्मान देता है। वैसे भी जिले के कुछ लोग ऐसे भी है, जो अपनी निर्वाचित जनप्रतिनिधि पत्नी का अधिकार छीन रहे है। कहा भी जाता है, आदमी पद से बड़ा नहीं होता, वह अपने व्यवहार और कर्मो से बड़ा होता है। बीडीओ सदर और एडीओ एसटी की तरह के अधिकारियों का ना तो कोई सम्मान होता है, और ना कोई इज्जत ही होती है। ऐसे लोग अगर कुर्सी से उतर जाते हैं, तो इन्हें कोई पूछने वाला तक नहीं रहता। कहा भी जाता है, कि जिसने महिलाओं का सम्मान नहीं किया, उसने कुछ नहीं किया। महिलाओं का सम्मान अगर देखना हो तो वह नागालैंड चला जाए। यहां पर अगर किसी पुरुष को देर रात्रि जाने में डर लगता है, तो वह किसी महिला को साथ में ले लेता हैं, फिर उसका सारा डर समाप्त हो जाता है। क्या सदर के बीडीओ और एडीओ एसटी नागालैंड जाएगे?
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