जमीनी वाला जीतेगा, आसमानी वाला धड़ाम सेे नीचे गिरेगा

जमीनी वाला जीतेगा, आसमानी वाला धड़ाम सेे नीचे गिरेगा

जमीनी वाला जीतेगा, आसमानी वाला धड़ाम सेे नीचे गिरेगा!

-सुचिता की राजनीति के लिए ओम प्रकाश राजभर का मिशन कामयाब होना आवष्यक

-परोक्ष चुनाव बेईमानी की नीयत को दर्शाता, प्रत्यक्ष चुनाव में वही झंडा गाड़ेगा जिसकी पकड़ और पहुंच जनता में होगी

-सीधे चुनाव हो गया तो कोई एमपी एमएलए बनना पसंद नहीं करेगा, सभी जिला पंचायत अध्यक्ष बनना चाहेंगे

-पुस्तदरपुस्त चुनाव जीतने का ख्वाब पालने वाले लोग धरासई हो जाएगें, सारी मर्यादाएं टूट जाएगी, कुछ देखेगें तो कुछ लोग दिखाएगें, कईयों के दुकानों के शटर पर ताला लग जाएगा

-जिन एससी/ओबीसी के प्रधानों ने प्रमुखों के दबाव में गांव का गांव बेच दिया, उन्हें बहुत बड़ी राहत मिलेगी

-जाति-पाति के आधार पर राजनीति करने वाले दल और उनके लोगों के सफल होने की संभावना

-ओमप्रकाश राजभर के पीएम से मिलने के बाद प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों के सीधे चुनाव होने की संभावना बढ़ी, सैद्वांतिक निर्णय हो चुका

बस्ती। हर जगह से आवाज उठने लगी है, कि सुचिता की राजनीति के लिए ओमप्रकाश राजभर का प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव सीधे कराने के अभियान का सफल होना आवष्यक है। गृह मंत्री और पीएम से मिलने के बाद प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर के अभियान को सफल होने की संभावना बढ़ गई। प्रदेश की करोड़ों जनता चाह रही है, और श्रीराजभर के अभियान का समर्थन कर रही है, कि सीधे चुनाव हो। परोक्ष चुनाव बेईमानी की नीयत को दर्शाता, प्रत्यक्ष चुनाव में वही झंडा गाड़ेगा जिसकी पकड़ और पहुंच जनता में होगी, सीधे चुनाव हो गया तो कोई एमपी एमएलए बनना पसंद नहीं करेगा, सभी जिला पंचायत अध्यक्ष बनना चाहेंगे, पुस्तदरपुस्त चुनाव जीतने का ख्वाब पालने वाले लोग धरासई हो जाएगें, सारी मर्यादाएं टूट जाएगी, कुछ देखेगें तो कुछ लोग दिखाएगें, कईयों के दुकानों के षटर पर ताला लग जाएगा, जिन एससी/ओबीसी के प्रधानों ने प्रमुखों के दबाव में गांव का गांव बेच दिया, उन्हें बहुत बड़ी राहत मिलेगी, जाति-पाति के आधार पर राजनीति करने वाले दल और उनके लोगों के सफल होने की संभावना रहेगी।

प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने वाले सावधान हो जाए, कभी भी सीधे चुनाव होने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा सकता है। केंद्र, राज्य सरकार के प्रस्ताव पर मोहर लगाने का इंतजार कर रही है। गृहमंत्री के बाद पीएम से मिलने वाले ओमप्रकाश राजभर का कहना है, कि केंद्र की ओर से सैद्वांतिक रुप से निर्णय हो चुका है, बाद उसे अमली जामा पहनाने की देरी है। सीधे चुनाव कराना देश की जनता की मांग है। अगर सीधे चुनाव होने का एलान हो गया तो न तो कोई दोस्त रहेगा और न कोई हमदर्द, मर्यादाएं खूब टूटेगी,  दोस्ती दुष्मनी में बदल जाएगी। क्यों कि हर कोई लड़ना और जीतना चाहेगा। झंडा वही गाड़ पाएगा, जिसकी पकड़ और पंहुच जनता पर होगी। जमीनी वाला जीतेगा आसमानी वाला धड़ाम से नीचे गिरेगा। कहने का मतलब यह चुनाव उन लोगों के लिए चुनौती भरा होगा, जिनके पैर जमीन पर नहीं पड़ते थे। अनेक मजबूत प्रधान भी किस्मत आजमाएगें। अच्छी छवि वाले कई प्रधान, प्रमुख की कुर्सी पर भी बैठ सकते है। वैसे सबकी निगाहें जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर रहेगी, तब कोई एमपी और एमएलए बनना पसंद नहीं करेगा। सभी लोग अध्यक्ष बनना चाहेगें क्यों कि तब वह खुलकर बैटिगं कर सकेगें, तब अध्यक्ष को कोई ब्लैकमेल नहीं कर पाएगा, जिले का विकास होगा, कितना भी बड़ा कोई बेईमान अध्यक्ष होगा, वह विकास करना चाहेगा, क्यों कि फिर उसे जनता के बीच में जाने का डर रहेगा। खरीद फरोख्त समाप्त हो जाएगी। सबसे अधिक नुकसान उन चाटुकारों का होगा, जिनकी दुकानें ही किसी नेता के रहमो करम पर चलती थी। राज्य वित्त, केंद्रीय वित्त आयोग और मनरेगा को बेचने वालों को जोर का झटका लगेगा। ओमप्रकाश राजभर ने अभी से स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव अकेले लड़ेगी, लेकिन 2027 का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगी। ताकि उनकी पार्टी को विकास के अधिक अवसर मिल सके। कहते हैं, कि सीधे चुनाव होने से धनबल और बाहुबल की राजनीति समाप्त हो जाएगी। सही मायने में लोकतंत्र मजबूत होगा। जनता की सीधीे भागीदारी होगी। प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने में किसी का दबाव नहीं रहेगा। कहा कि चुनाव अपने तय सीमा पर ही होगा। राज्य की सियासत में नया समीकरण देखने को मिलेगा। वैसे सीधे चुनाव में जाने की अब आदत डाल लेनी चाहिए। अगर यही आदत पड़ी होती तो चुनाव में जाने के लिए सोचना न पड़ता।

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