जब पार्टी में पार्टी बनेगा तो नाजायज औलाद पैदा होगें ही!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 7 May, 2025 19:51
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जब पार्टी में पार्टी बनेगा तो नाजायज औलाद पैदा होगें ही!
- -जब भाजपा के प्रांतीय नेताओं ने बस्ती को बर्बाद करने के लिए ठान ही लिया तो बर्बाद होने से कौन बचा पाएगा
- -पार्टी को बर्बाद करने और द्रोपदी का चीरहरण करने वाले एवं जनता को ठगने वालों का गाहेबगाहे मौनी बाबा बनकर दोनों हाथ उठाकर आर्षीवाद भी देते, इस लिए बखरा के संघर्ष में अलग-थलग पड़े
- -कोई करोड़ों का भवन बना रहा, कोई सीएसआर खा रहा, कोई पुस्तकालय बना रहा, तो कोई मंदिर के नाम पर जेबे गरम कर रहा
- -जगह-जगह कौरव और पांडव की सेना एक दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहंे और पार्टी के नेता तमाशा देख रहें, सिर से पानी उपर चला गया और मार्ग दर्शक मंडल टाइप के लोग आवाक होकर सबकुछ घटते हुए देख रहें
- -आने वाले दिनों में कहीं यह धमकी सरजू के उभान पर आने तक यहां के भाजपा भक्तों की खून में उबाल न आए
- -अब तो सरजू की अप्रोच भी इन पापियों से नहीं बच पा रहा जिसकी जितनी जेब भारी उसकी उतनी सत्ता में भागीदारी
बस्ती। अगर भाजपा के प्रांतीय नेताओं ने पार्टी को बर्बाद करने और जिले से भाजपा को समाप्त करने की ठान ही लिया है, तो पार्टी को बर्बाद होने से कौन बचा पाएगा? जिस तरह पार्टी के लोग आपस में लड़भिड़ रहें हैं, और जगह-जगह एक दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे हैं और प्रांतीय नेता खामोश है, उससे तो यही लगता है, कि आने वाले दिनों में भाजपा का जिले से पूरी तरह सफाया हो जाएगा, साजिश भी कुछ इसी तरह की जा रही है, और इस रिएक्षन भी खूब हो रहा, जाहिर सी बात है, इसका लाभ विपक्ष को ही मिलेगा, तब विपक्ष बिना किसी जोरआजमाईश के पांचों सीटों पर कब्जा कर लेगीें, ऐसी मंशां प्रांतीय नेताओं की भी दिख रही है। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले दिनों में भाजपा पर कोई दांव लगाना ही नहीं चाहेगा। यानि कोई टिकट ही नहीं मांगेगा। क्यों कि आम जनता में पार्टी के स्थानीय भाजपा के लोगों को लेकर जबरदस्त रिएक्षन है। इसे देखते हुए जीत की गारंटी भाजपा का बड़े से बड़ा नेता भी नहीं दे सकतें। कहा जा रहा है, कि जब पार्टी में पार्टी बनेगी तो नाजायज औलाद तो पैदा होंगे ही, दुर्योधन जैसे लोग भी पैदा होगे, तब पांडव को हमेशा के लिए बनवास पर जाना भी पड़ेगा। विधायक अजय सिंह और सुनील सिंह की लड़ाई का खामियाजा भी पार्टी को ही 27 में भुगतना पड़ेगा। जिस तरह चारों ओर भाजपा के लोग सरकारी धन का लूटपाट मचाए हुए हैं, उससे सपा के लोगों की याद आने लगी। लोग कहने भी लगे हैं, कि इतनी लूटपाट तो सपा वाले भी नहीं करते थे, यानि लूटपाट करने में भाजपाईयों ने सपाईयों को भी पीछे छोड़ दिया। जिस लूटपाट के चलते सपा की सरकार गई, उसी तरह भाजपा की भी सरकार जाने की संभावना जिले के लोग जता रहे है। बार-बार मीडिया प्रांतीय नेताओं को सचेत कर रही है, कि अगर समय रहते नहीं चेते तो भाजपा की लुटिया डुबोने से कोई नहीं बचा सकता। पार्टी के समझदार नेता अच्छी तरह जानते हैं, कि जिले से भाजपा का 27 में समाप्त होना ही है, इस लिए जितना चाहो उतना लूटपाट कर लो। तभी तो विधायक पर बखरा लेने का एचएमबी रिकार्ड पार्टी के लोग ही सबसे अधिक बजा रहे है। बखरे के संघर्ष को लेकर पार्टी के लोग अलग-थलग पड़े। कोई करोड़ों का भवन बना रहा, तो कोई सीएसआर खा रहा, तो कोई पुस्तकालय बना रहा, तो कोई मंदिर के नाम पर जेबे गरम कर रहा। पार्टी को बर्बाद करने और द्रोपदी का चीरहरण करने वाले एवं जनता को ठगने वालों का गाहेबगाहे मौनी बाबा बनकर दोनों हाथ उठाकर आर्षीवाद भी देते है। जिस तरह जगह-जगह कौरव और पांडव की सेना एक दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहंे और पार्टी के नेता तमाशा देख रहें, उससे सिर से पानी उपर चला गया और मार्ग दर्शक मंडल टाइप के लोग आवाक होकर सबकुछ घटते हुए देख रहें। आने वाले दिनों में कहीं यह धमकी सरजू के उभान पर आने तक यहां के भाजपा भक्तों की खून में उबाल न आए, अब तो सरजू की अप्रोच भी इन पापियों से नहीं बच पा रहा है। भाजपा में कहा जाता है, कि जिसकी जितनी जेब भारी उसकी उतनी सत्ता में भागीदारी। भारी जेब वाले प्रमुख और नगर पंचायत अध्यक्ष बन जा रहे है। हल्की जेब वाले रविंद्र गौतम जैसे लोगों को कोई पूछने वाला नही।
एक कहावत हैं, भीलों ने बांट लिया वन और राजा को पता ही नहीं चला। यानि असली मालिक को यह पता ही नहीं कि उसके विकास के नाम पर आने वाले धन पर उसका कोई अधिकार ही नहीं। एक वोट देकर मालिक ने अपने हाथ को काट लिया। आदर्श लोकतंत्र में जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन तो हैं, पर, एक वोट देने के बाद अगले पांच साल तक जनता अपना हाथकाट लेती। संविधान में इन्हें वापस बुलाने का भी प्राविधान हैं, मगर वह इतना पेचिदा हैं, कि छलावा लगता। यह सारी बातें भाजपा नीति बस्ती की मिटटी से उपजे सभी नुमाइंदों पर लागे होता।
अब हम आपको यह बताते हैं, कि भाजपाईयों की यह आपस की लड़ाई आज की नहीं हैं, इसकी शुरुआत 2009 में हुई, जब भाजपा के एक शक्तिशाली नेता ने अपने अनेक गुर्गो को बसपा ज्वाइन करने का फरमान सुनाया, ताकि भाजपा के वाईडी सिंह को हराया जा सके। हुआ भी वही जो नेता चाहते थे, वाईडी सिंह हार गए और बसपा के अरविंद चौधरी जीत गए। जब 2014 की बारी आई तो वे सारे दलबदलू भाजपा के कर्णधार के साथ खड़े हो गए। इसी लिए कहा जा रहा है, कि जब पार्टी में पार्टी बनाने का काम होगा तो नाजायज औलाद भी पैदा होगें, दुर्योधन जैसे लोग भी पैदा होगें, और पांडव को हमेशा के लिए बनवास भी जाना पड़ेगा। कथित शक्तिशाली नेता जिसको दिल्ली के लोगों का आर्षीवाद प्राप्त हैं, उसे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, सीएम और सेक्टर अध्यक्ष तक भुनगे लगते है। सत्ता के उच्च शिखर पर जाने के बाद नेता का हृदय परिवर्तित होना चाहिए था, हुआ तो जरुर, लेकिन आत्मघाती कदमों के साथ। जिन-जिन लोगों ने नेताजी को शिखर तक पहुंचाने बनाने में योगदान दिया, एक-दो स्वार्थी तत्वों को छोड़कर सबको लतिया दिया। बस्ती में दो दशक से उपर राज करने के बाद यह चिंतन तो बनता हैं, कि एक अपराधी की, पांचों अपराधी। बताते हैं, कि पांचों ने समय-समय पर नेताजी को भरपूर राहत सामग्री उपलब्ध कराया। अब बात यह उठ रही है, कि आखिर दोषी कौन? एक हारे हुए या चारों हारे हुए। सवाल उठ रहा है, कि प्रांतीय नेतृत्व ने बस्ती को बर्बाद करने के लिए क्यों ठान लिया? बताते हैं, कि इस लड़ाई के पीछे का भाव पार्टी की रीति, नीति और सिद्धांत नहीं, केवल जनता के पैसे को छीना झपटी और बखरे की लड़ाई है। भोजपुरी की एक कहावत, छोटे जनी, केके कही, बड़ी जनी केके कही, कुलवा तरली, यानि दोनों बेईमान और भ्रष्टाचारी। बता दें कि अखबार की मंशां किसी को अपमानित करने की नहीं है। बस आइना दिखाने की है।
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