गुरु नानक देव जी का 556 व गुरुपर्व मनाया गया,

गुरु नानक देव जी का 556 व गुरुपर्व मनाया गया,

गुरु नानक देव जी का 556 व गुरुपर्व मनाया गया,

गुरु नानक देव, जी का जन्म, 15 अप्रैल 1469, ईस्वी में ननकाना साहिब पाकिस्तान में हुआ था, और उनकी माता जी का नाम तृप्ता देवी जी था, और पिताजी का नाम मेहता कालू जी था, 

 और कहां जाता है, कि गुरु नानक जी ने एशिया भर मैं दूर-दूर तक यात्रा की और लोगों को (एक आमकार)  का संदेश दिया, जो उनकी  हर रचना में निवास करता है, और शाश्वत सत्य का गठन करता है, इस अवधारणा के साथ उन्होंने सामान्य भात्र प्रेम अच्छाई और सदाचार पर आधारित एक आदित्य आध्यात्मिक सामाजिक और मंच स्थापित किया, गुरु नानक देव जी, के शब्द सिख धर्म के पवित्र धार्मिक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब, में(974) काव्यात्मक भजनों या शब्द के रूप में पंजीकृत है, यह सिख धार्मिक विश्वास का हिस्सा है, की गुरु नानक देव जी की पवित्रता दिव्यता और धार्मिक अधिकार की भावना नौ के गुरुओं में से प्रत्येक पर उतरी थी, जब उन्हें गुरु पद सोपा गया था, उनका जन्मदिन पूरे भारत में प्रतिवर्ष गुरु नानक देव जी के गुरुपर्व के रूप में मनाया जाता है, 

 और जिसे लेकर गढ़मुक्तेश्वर के गांव भगवंतपुर, में स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा, में तीन दिन पहले खंड पाठ रखा गया था, और रखे गए अखंड पाठ की समाप्ति,  गुरु नानक जी के गुरुपर्व पर भोग डाले गए, जिसमें दूर दरवाजे से आई संगत ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, और गुरु का लंगर अटूट बरताया गया, और जिसे लेकर हेड ग्रंथी बाबा करनैल सिंह जी, ने संगत को गुरु नानक देव जी, के संगत को उनके कहे सच्चे मार्ग पर चलने को कहा, और उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने चारों दिशाओं पर पैदल यात्रा कर सच्चाई का मार्ग दिखाया,

 इस पर्व के मौके पर मुख्य सेवादार काबल सिंह प्रधान, प्रीत सिंह, दलजीत सिंह वड़ैच, गुरशरण सिंह वड़ैच, सरजीत सिंह प्रधान, प्रदीप सिंह, हिमत सिंह गिल, अजाइब सिंह, अजीतपाल सिंह, विरमजीत सिंह गिल, अमृत सिंह काहलों, जसकरण सिंह वड़ैच, आदि मुख्य सेवादार मौजूद रहे!

 मनजीत सिंह की रिपोर्ट

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