गुजरात’ में ‘अब्दुल रहमान’ और ‘यूपी’ में ‘राम दुलारे चौबे’!

गुजरात’ में ‘अब्दुल रहमान’ और ‘यूपी’ में ‘राम दुलारे चौबे’!

गुजरात’ में ‘अब्दुल रहमान’ और ‘यूपी’ में ‘राम दुलारे चौबे’!

-जमीन हड़पने के लिए फर्जी आईडी से बदलता रहा अपना नाम, बहुत बड़ा नटवरलाल बना राम दुलारे चौबे

-इसका खुलासा राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त पत्रकार बस्ती के फूलचंद्र चौधरी ने करते हुए डीएम बस्ती से एफआईआर दर्ज कराने की मांग की

-यह एक ऐसा मामला है जिसने पूरे प्रशासन और पहचान प्रणाली की नींव को हिला कर रख दिया, कैसे एक मुस्लिम जिंदा आदमी खुद को लगभग 40 साल पहले मरा बताकर रामदुलारे चौबे बनकर फर्जी निर्वाचन पहचान पत्र बनवाया, करोड़ों की जमीन खरीदा और बेचा

बस्ती। आप सभी लोग इस व्यक्ति को अच्छी तरह पहचान लीजिए, इस व्यक्ति असली नाम क्या है, इसका पता नहीं, लेकिन यह व्यक्ति जब गुजरात में रहता है, तो अब्दुल रहमान खान बन जाता है, और जब यूपी में आता है, तो यह राम दुलारे चौबे बन जाता है। फर्जी आईडी बनाने के पीछे इसकी मंशा बस्ती में करोड़ों की जमीन को हथियाने की है। इसका खुलासा राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त पत्रकार बस्ती के फूलचंद्र चौधरी ने करते हुए डीएम बस्ती से एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। यह एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने पूरे प्रशासन और पहचान प्रणाली की नींव को हिला कर रख दिया, कैसे एक मुस्लिम जिंदा आदमी खुद को लगभग 40 साल पहले मरा बताकर रामदुलारे चौबे बनकर फर्जी निर्वाचन पहचान पत्र बनवाया, करोड़ों की जमीन खरीदा और बेचा? यह सवाल बना हुआ है।

मामला थाना सोनहा क्षेत्र का है, जहाँ अब्दुल रहमान खान, पुत्र अब्दुल माजिद खान गुजरात के वलसाड़ का रहने वाला, मुस्लिम व्यक्ति साल 2007 में बस्ती पहुंचा और खुद को हिन्दू बनाकर पेश किया। फर्जी निर्वाचन कार्ड स्कैन-एडिट किया और अपने फर्जी नाम से आईडी बनवाया। कहा भी गया है, कि चोर चाहें जितनी बाराकी और चालाकी से चोरी करें, कहीं न कहीं सुराग छोड़ ही जाता है। यही गलती अब्दुल रहमान/ राम दुलारे चौबे ने किया। जब निर्वाचन आयोग वेबसाइट पर चेक किया गया तो असलियत का पता चला। चुनाव आयोग के वेबसाइट पर चेक किया गया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ यह निर्वाचन कार्ड मोहम्मद असलम पुत्र अब्दुल खालिक के नाम से निकला। फिर उसी स्कैन किए गए फर्जी आईडी से कुछ जालसाजों के साथ मिलकर फर्जी राम दुलारे चौबे के नाम से वर्ष 2016 में आधार कार्ड भी बनवाया लिया। अब देखिए इसके दो-दो आधार कार्ड एक मुस्लिम, एक हिंदू दोनों पर  नाम और पता अलग अलग है पर आधार नं. एक ही है। अब्दुल रहमान ने सोनहा थाना क्षेत्र के एक गाँव की ही प्रेमा देवी के साथ मिलकर यह खेल खेला। मोहम्मद असलम के वोटर कार्ड को स्कैन किया, एडिट किया, और अपना नाम बदलकर बन गया राम दुलारे चौबे। लेकिन सबसे हैरानी की बात है, कि असल राम दुलारे चौबे तो 35-40 साल पहले ही मर चुका। यह बात खुद उनके गांव के कई लोगों ने व भाइयों रामउजागिर और रामपियारे ने स्पष्ट कही है। कहा कि हमारे भाई रामदुलारे बहुत पहले गुजर गए थे। इन लोगों की मंषा फर्जी आईडी बनाकर हमारी जमीन को हड़पने की रही। फर्जी पहचान पत्र बनने के बाद आरोपी ने साल 2007 कई पत्रकार से मिलकर उसी फर्जी बनाए गए निर्वाचन से न्यूज पेपरों में भी अपने आपको जिन्दा दिखाया ताकि कोई शक न करें। दूसरा बार वर्ष 2016 में मतदाता पहचान पत्र की मदद से फर्जी आधार कार्ड भी बनवाया, और फिर मृतक की पैतृक जमीन पर कब्जा करने का ऑपरेशन शुरू किया। साल 2007 में दौरान चकबंदी में इसी फर्जी पहचान का उपयोग करते हुए आरोपी ने मृतक रामदुलारे बनकर, उनकी जमीन को प्रेमा देवी के नाम बेच दिया, और उसके बाद लापता हो गया। बताते चले कि सूबे में लगभग वर्ष 2009 के पहले जमीन बेचने वाले व्यक्ति को आईडी नहीं देना अनिवार्य नहीं था जिससे ज्यादा धोखाधड़ी होने के चांस होते थे। इस मामले की सबसे बड़ी परत यह सिर्फ जमीन की धोखाधड़ी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पहचान प्रणाली पर सीधा हमला है। चुनाव आयोग का वोटर कार्ड स्कैन कर एडिट किया गया, फिर आधार कार्ड फर्जी तरीके से बनवाया। एक मुस्लिम व्यक्ति को हिन्दू मृतक बनाकर पेश किया गया। बताया जा रहा है, कि इस साजिश में बड़े-बड़े गैंग देश के घुस पैठियां शामिल कराने वाले जुड़े हो सकते है। इस पूरे मामले को एक संगठित अपराध माना जा रहा है। एक व्यक्ति का दो दो अलग अलग पते अलग अलग नाम और अगल अलग धर्म का आधार कार्ड बनवाया गया। एक मृत व्यक्ति की पहचान का दुरुपयोग कर जमीन बेचने का यह खेल कैसे वर्षों तक चलता रहा? चुनाव आयोग और आधार प्रणाली में यह सेंध कैसे पड़ी? और इस गिरोह में और कौन-कौन शामिल है? इसका खुलासा एफआईआर दर्ज होने के बाद ही हो सकता है।

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