गंगाराम यादव’ को ‘नहीं’ भूल पाएगें ‘बेहिल’ के ‘भ्रष्टाचारी’

गंगाराम यादव’ को ‘नहीं’ भूल पाएगें ‘बेहिल’ के ‘भ्रष्टाचारी’

गंगाराम यादव’ को ‘नहीं’ भूल पाएगें ‘बेहिल’ के ‘भ्रष्टाचारी’

-तालाब की सफाई प्रधान और बीडीओ नहीं बल्कि गांव वाले श्रमदान के जरिए कर रहे

बनकटी/बस्ती। विकास क्षेत्र का चर्चित गांव बेहिल शायद किसी से छुपा हुआ नहीं है। हिन्दू आस्था का प्रसिद्ध शिव मंदिर तो कहीं भ्रष्टाचार पर मुद्दा, जो इसी गांव के समाज सेवी गंगा राम के द्वारा समय-समय पर उठाकर शोषितों और वंचितों को न्याय दिलाने में चर्चा का विषय बना रहता है। बता दें गंगाराम को प्रशासन द्वारा तमाम लोक लुभावन आफर दिया जा चुका है। लेकिन समाज सेवा का वोत-प्रोत भाव व्यक्तित्व के धनी गंगा राम को किसी ने आज तक डीगा नहीं पाया। आज के स्वार्थपन व भ्रष्टाचार के परिवेश में समाजिक कार्य हेतु गंगाराम जैसे एकाध जीव खोजने पर कही मिल जाते हैं। जिनको समाज पागल की उपाधि से नवाजता रहता है। इनके द्वारा बीडीओ को लिखित प्रार्थना पत्र भी दिया गया।कई बार फोन पर मौखिक बात भी हुई। लेकिन ऐतिहासिक तालाब की साफ-सफाई नहीं हुआ। हर बार आश्वासन देते रहे। क्षेत्रीय लोगों द्वारा उसी गंदे तालाब में दुर्गा मूर्ति का विसर्जन कर दिया गया। जब इस बात का पता गंगाराम को चला की तालाब की सफाई नहीं हुई और इस गंदे तालाब में माता जी का विसर्जन हो गया तो पुनः आइजीआरएस पर प्रार्थना पत्र दिया कि कुछ अराजक तत्वों द्वारा तालाब में जलकुंभी डाल दिया गया है जो पूरे तालाब को घेर लिया है कृपया सफाई करवाने की कृपा करें क्योंकि यह तालाब हिंदुओं के आस्था का केंद्र है यह क्षेत्र के छठ घाट के साथ कई गांवों के मूर्ति विसर्जन का लोकप्रिय स्थान है। जिस पर बेहिल गांव के सचिव सत्येंद्र चौधरी ने जवाब लगाया कि यह तालाब बेहिल एवं अमरडोभा गांव के बीच में पड़ता है इसलिए सफाई नहीं करवाया जा सकता। गंगाराम यादव ने बताया कि जहां मूर्ति का विसर्जन एवं छठ घाट का पूजा पाठ होता है वह स्थान बेहिल गांव में ही पड़ता है् ! वहां की साफ-सफाई तो करवा ही सकते थे। यदि यह तालाब दो गांव के बीच का है, तो बेहिल गांव के नाम पर तालाब की खुदाई कैसे कराया गया। तब सचिव ने कहा यह कार्य  मेरे कार्यकाल में नहीं हुआ है। मैं ऐसे राजा हरिश्चंद्र के खानदान सचिव सत्येंद्र चौधरी से पूछना चाहता हूं कि आपने कैसे दूसरे ग्राम पंचायत (महादेवा) में नहर की खुदाई मनरेगा मजदूरों से करवा दिया। जिसका भुगतान भी ले लिए हैं। शिव मंदिर के बगल बना शौचालय का बगैर कार्य करवाए लाखों रुपए का भुगतान कैसे प्राप्त कर लिया।जिस दिन दुल्हे की शादी थी उस दिन उसके माता-पिता मनरेगा में फावड़ा कैसे चला रहे थे।सेमरहीया तालाब पानी से लबालब भरा हुआ था फिर भी लगातार साठ मनरेगा मजदूरों  की फर्जी हाजिरी आप के ही कार्यकाल में कैसे लग रहा था। ग्रामनिधि का दो लाख रुपया प्रधान के निजी खाते में मजदूरी का कैसे भुगतान हो गया। प्रधान के सहयोगीयो के खातों में चार लाख रुपये कैसे भुगतान कर दिया। जो कभी मजदूरी नहीं करते। आप ही के कार्यकाल का अभी दर्जनों भ्रष्टाचार और उजागर कर सकता हूं। सचिव साहब मधुमक्खियों का छत्ता मत छेड़िए ध्यान रहे आप नौकरी कर रहे हैं, राजनीति नहीं, विकास हो या ना हो लेकिन किसी के धार्मिक आस्था पर ठेस पहुंचाने की कोशिश बिल्कुल ना करें? क्योंकि यह डबल इंजन की सरकार सिर्फ हिन्दू आस्था के नाम पर ही चल रही है। आप ने यहां कितना विकास एवं भ्रष्टाचार किया गया है सर्वविदित है की आप कितने बडे़ ईमानदार हैं। उपरोक्त भुगतान से अंदाजा लगा सकते हैं।फिर हाल स्वयंसेवकों ने अपना तन मन धन लगाकर सफाई अभियान 19 तारीख से ही शुरू कर दिया है गंगा राम का कहना है कि धोखे में दुर्गा मूर्ति तो किसी तरह विसर्जित हो गई लेकिन अब महिलाओं के आस्था का केंद्र व लक्ष्मी मूर्ति का विसर्जन गंदे स्थान पर नहीं होने पाएगा। साफ-सफाई लगातार चार दिनों से जोड़ों पर है। ग्रामीणों ने खुद तालाब सफाई का जिम्मा  संभाल लिया है। पिछले कई महीनों से  ग्रामीणों ने गंगा राम के माध्यम से समय माता स्थान पर स्थित तालाब की सफाई के लिए विकास खंड अधिकारी, मुख्यमंत्री पोर्टल और 1076 पर शिकायतें दर्ज करवाईं थी। जिसमें अधिकारीयो की उदासीन रवैया निंदनीय है।

गांव के युवाओं ने जलकुंभी से भरे तालाब की सफाई शुरू कर दी है। सफाई अभियान में जुटे पप्पू, रोहित और विनोद ने बताया कि सफाई के दौरान बोतलें, प्लास्टिक के गिलास, टूटी मूर्तियां और भारी मात्रा में जलकुंभी निकाली जा रहीं हैं। इस दौरान कुछ युवकों को चोटें भी आईं हैं।गांव के राजन, जितेंद्र और राकेश ने बताया तालाब बेहद प्राचीन है। पहले इसका पानी बेहद स्वच्छ हुआ करता था, मगर अब उपेक्षा के चलते गंदगी का अंबार लग गया है। छठ पूजा के दौरान अमरडोभा, ककरौली, बेहिल, सिंदुरिया, महसौना, हटवा और गौरा गांव की सैकड़ों महिलाएं यहीं पर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। गंगाराम ने बताया कि कई बार शिकायत करने और खंड विकास अधिकारी भवानी प्रसाद शुक्ल से आश्वासन मिलने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई। निराश होकर झिनकू पाल, अनिल पाल, उर्मिला, हिमांशु, राकेश, धर्मेंद्र, धनपत, दिनेश, वेद प्रकाश, गोविंद, विक्रम, अजीत के अलावा अन्य ग्रामीण द्वारा भी श्रमदान करते हुए तालाब की सफाई निरंतर जारी है।

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