फिर’ दहाड़े ‘हरीश सिंह’, ‘सीवीओ’ की कर दी ‘बोलती’ ‘बंद’!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 29 November, 2025 10:59
- 46
‘फिर’ दहाड़े ‘हरीश सिंह’, ‘सीवीओ’ की कर दी ‘बोलती’ ‘बंद’!
-जैसे ही हरीश सिंह ने जिले के प्रभारी मंत्री के सामने कहा कि घोड़ा अस्पताल में लगभग 35 लाख का कंटेनर गायब हो गया, और अभी तक सीवीओ ने एफआईआर तक नहीं दर्ज कराया, सीडीओ ने जांच कमेटी बनाई उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, कहा कि सीवीओ की मिली भगत से कंटेनर गायब नहीं बल्कि उसे बेचा गया
-नाराज प्रभारी मंत्री आशीष पटेल ने सीवीओ को खड़ा तो उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज हो गया, इस पर एसपी ने कहा कि नहीं दर्ज हुआ, इस पर मंत्री ने कहा कि बैठक में झूठ बोलते हो, कहा कि जाओ और एफआईआर दर्ज कराओ, नहीं तो तुम्हारे खिलाफ शासन को लिख दूंगा
-फिर हरीश सिंह ने खाद को लेकर सवाल किया और कहा कि खरीफ में 54 फीसद यूरिया किसानों को न देकर यूरिया पंप को ब्लैक कर दिया, इसकी जांच रिपोर्ट भी लैब से आई और उसमें नीमकोटीम की मात्रा पाई ही नहीं, तो फिर क्यों नहीं कार्रवाई हुई
-इस पर विधायक अजय सिंह ने खाद की कालाबाजारी करने वालों का बचाव करते हुए कहा कि किसानों ने खाद को डंप कर लिया, अब विधायकजी को कौन बताने जाए कि किसानों के पास इतना पैसा कहां कि वह खाद को डंप कर सके, यह वही विधायक है, जिन्होंने खाद न मिलने पर सार्वजनिक रुप से किसानों से माफी मांगा था
-बल्कि विधायकजी ने अवष्य जिला पंचायत को लपेटा और कहा कि जब खराब सड़के बन न जाए कोई दूसरी सड़क न बनाया जाए, इस पर मंत्रीजी ने भी हामी भरी, बैठक में एक भी असली और नकली प्रमुखों का न होना चर्चा का विषय रहा
बस्ती। कहा भी जाता है, कि जैसा नेता होता है, वैसा उसका प्रतिनिधि भी होता है, इसे साकार कर रहे हैं, एमएलसी देवेंद्रप्रताप सिंह के प्रतिनिधि हरीश सिंह। नेताजी भी मुख्यमंत्री की कमियों पर चोट करने से नहीं चूकते और प्रतिनिधि भी नहीं चूंक रहे है। अगर नेताजी को सरकार के खिलाफ बोलने के कारण इन्हें प्रदेश का इकलौता माननीय कहा जाता है, तो इनके प्रतिनिधि को भी शासन-प्रशासन के खिलाफ आवाज बुंलद करने वाला जिले का पहला प्रतिनिधि कहा जाता है। बैठक चाहें दिशा की हो या फिर प्रभारी मंत्री या फिर बीएलबीसी की ही क्यों न हो? हरीश सिंह ही छाए रहते हैं। कहा भी जाता है, कि बैठकों में चायसमोसा खाने जाने वाले नेता अगर जनहित और भ्रष्टाचार को लेकर सवाल नहीं उठाएगें तो उठाएगा कौन? जिले के लोगों का यह दुभार्ग्य रहा है, कि उसके हिस्से में अधिकाशं ऐसे नेता आए जिन्हें ठीक से बोलना और पत्र लिखना तक नहीं आता। सवाल उठाना और पूछना तो दूर की बात है। कहा भी जाता है, कि अगर हरीश सिंह को छोड़ दिया जाए तो ऐसा कोई भी नेता नहीं जो दमदारी से बैठकों में प्रभारी मंत्री और अधिकारियों को लाजबाव कर सके। हालत यह हो गई हैं, कि अधिकारी भी नहीं चाहते कि बैठक में हरीश सिंह भाग लें। बैठक में आने से पहले इनका होम वर्क ही इन्हें सभी से अलग बनाता है। ऐसा लगता है, मानो अन्य को जनहित से कोई मतलब ही नहीं। जो नेता भ्रष्टाचारियों का बचाव करते नजर आते हैं, जनता उन्हें नेता नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों का साथ देने वाला मानती है।
जिले के प्रभारी मंत्री की बैठक में जैसे ही हरीश सिंह ने जिले के प्रभारी मंत्री के सामने यह कहा कि दक्षिण दरवाजा स्थित घोड़ा अस्पताल में लगभग 35 लाख का कंटेनर गायब हो गया, और अभी तक सीवीओ ने एफआईआर तक नहीं दर्ज कराया, सीडीओ ने जांच कमेटी बनाई उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, कहा कि सीवीओ की मिली भगत से कंटेनर गायब नहीं बल्कि उसे बेचा गया, और अब जब फंस रहे हैं, तो चपरासी और बाबू को बलि का बकरा बनाने पर तुले हुएं है। नाराज प्रभारी मंत्री आशीष पटेल ने सीवीओ को खड़ा किया तो उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज हो गया, इस पर एसपी ने कहा कि नहीं दर्ज हुआ, इस पर मंत्री ने कहा कि बैठक में झूठ बोलते हो, कहा कि जाओ और एफआईआर दर्ज कराओ, नहीं तो तुम्हारे खिलाफ शासन को लिख दूंगा। हरीश सिंह यहीं पर नहीं रुके और खाद को लेकर सवाल किया और कहा कि खरीफ में 54 फीसद यूरिया किसानों को यूरिया न देकर न यूरिया पंप को ब्लैक कर दिया गया, इसकी जांच रिपोर्ट भी लैब से आई और उसमें नीमकोटीम की मात्रा पाई ही नहीं, तो फिर क्यों नहीं कार्रवाई हुई? कोई जबाव देने को तैयार नहीं, अलबत्ता विधायक अजय सिंह ने खाद की कालाबाजारी करने वालों का बचाव करते हुए कहा कि किसानों ने खाद को डंप कर लिया, अब विधायकजी को कौन बताने जाए कि किसानों के पास इतना पैसा कहां कि वह खाद को डंप कर सके, यह वही विधायक है, जिन्होंने खाद न मिलने पर सार्वजनिक रुप से किसानों से माफी मांगा था, कल तक तो इन्हें लग रहा था, कि किसानों को खाद नहीं मिला, मगर आज अचानक इन्हें यह लग गया कि खाद की किल्लत के लिए जिला कृषि अधिकारी और एआर नहीं बल्कि किसान ही जिम्मेदार है। विधायकजी ने काफी दिनों बाद जिला पंचायत को लेकर कुछ बोला और बगल में बैठे जिला पंचायत अध्यक्ष को लपेटते हुए कहा कि जब तक जिला पंचायत सहित अन्य की खराब सड़के नहीं बन जाती, तब तक कोई दूसरी सड़क न बनाई जाए, इस पर मंत्रीजी ने भी हामी भरी, बैठक में एक भी असली और नकली प्रमुखों का न होना चर्चा का विषय रहा। डीएम ने यह कहते हुए पीछा छुटा लिया कि अभी वह जिले में नई-नई आई हैं, लेकिन उनका प्रयास होगा कि जिले का गुणवत्तापरक विकास हो।

Comments