एसआईआर’ ने ‘दो लाख’ फर्जी ‘वोटर्स’ को किया ‘बाहर’!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 6 December, 2025 19:40
- 1
‘एसआईआर’ ने ‘दो लाख’ फर्जी ‘वोटर्स’ को किया ‘बाहर’!
-बीएलओ, सुपरवाइजर और अधिकारियों की रात दिन की मेहनत रंग लाई, पहली बार मतदाता पुनरीक्षण अभियान में इतनी बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता बाहर हुए, पूरे प्रदेश में लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक फर्जी मतदाता, 99 फीसद मतदाताओं की फीडिगं भी हो चुका
-जो लोग एसआईआर पर सवाल उठा रहे थे, उन्हें एसआईआर में लगे लोगों ने जबाव दे दिया, यह एसआईआर पहली बार नहीं हो रहा, इसके पहले भी 1950 और 2003 के बीच नौ बार एसआईआर हो चुका,
-50 साल में जब नौ बार एसआईआर हुआ तो किसी ने सवाल नहीं उठाया, लेकिन तब 22 साल में पहली बार हुआ तो सबसे अधिक बवाल कांग्रेस ने मचाया, जबकि इससे पहले सबसे अधिक एसआईआर कांग्रेस के कार्यकाल में ही हुए, जब तक एसआईआर गलत नहीं था, तो अब क्यों?
-जो पार्टियां यह भ्रम फैला रही थी, कि एसआईआर के जरिए भाजपा अन्य पार्टियों के वोटर्स का नाम कटवाना चाहती है, पहले उन्हें यह फैसला करना होगा कि जिन बीएलओ ने दो लाख फर्जी वोट काटा क्या वे सभी भाजपा थे, या फिर जिन लेखपाल सुपरपाइजर से ओके किया, क्या वे सभी भाजपाई थे?
-एसआईआर के चलते ही अब 19 लाख में से मात्र 17 लाख ही मतदाता मतदान कर पाएगें, अभी और भी फर्जी मतदाता बाहर हो सकते, इसका सही आकड़ा 16 दिसंबर को होगा, जब सूची कपा प्रकाशन होगा
बस्ती। भले ही चाहें 2156 बीएलओ और 219 सुपरवाइजर्स को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा हो, अधिकारियों और पत्नियों की डांट डपट ही क्यों न खानी पड़ी हो, 18-18 घंटे तक काम ही क्यों न करना पड़ा हो? लेकिन उनकी मेहनत सफल हुई। तीन-तीन बार वोटर्स तलाषने के लिए घर-घर जाना ही बीएलओ की सफलता का राज रहा। 100 से अधिक बीएलओ के द्वारा समय से पहले काम पूरा करना यह बताता है, कि एसआईआर को लेकर कितना गंभीर रहें। अनेक बीएलओ ने बताया कि उन्हें सपने में भी एसआईआर नजर आता था। प्रशासन की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगा। एसआईआर को लेकर इससे पहले बीएलओ और सुपरवाइज में कभी इतनी गंभीरता नहीं देखी गई। समय-समय पर इसकी मानिटरिगं ने एसआईआर को और भी आसान कर दिया। कहा भी जाता है, कि अगर बीएलओ ने एसआईआर को गंभारता से नहीं लिया होता तो दो लाख फर्जी मतदाता सामने नहीं आते और न ही उन्हें मतदाता सूची से बाहर ही किया जा सकता था। कहा भी जाता है, कि अगर एसआईआर जैसी पारदर्शिता बीएलओ ने पंचायत चुनाव में दिखाई होती तो न जाने कितने प्रत्याशियों का प्रधान बनने का सपना अधूरा रह जाता। जो बीएलओ एसआईआर में लगे हैं, वही पंचायत चुनाव में भी लगे रहे। यही बीएलओ हैं, जिन्होंने एसआईआर में दो लाख फर्जी वोटर्स को काटा, और यही बीएलओ हैं, जिन्होंने पंचायत चुनाव में दो लाख से अधिक नय मतदाता बनाया।
बीएलओ, सुपरवाइजर और अधिकारियों की रात दिन की मेहनत रंग लाई, पहली बार मतदाता पुनरीक्षण अभियान में इतनी बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता बाहर हुए, पूरे प्रदेश में लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक फर्जी मतदाता, 99 फीसद मतदाताओं की फीडिगं भी हो चुका। जो लोग एसआईआर पर सवाल उठा रहे थे, उन्हें एसआईआर में लगे लोगों ने जबाव दे दिया, यह एसआईआर पहली बार नहीं हो रहा, इसके पहले भी 1950 और 2003 के बीच नौ बार एसआईआर हो चुका है। 50 साल में जब नौ बार एसआईआर हुआ तो किसी ने सवाल नहीं उठाया, लेकिन तब 22 साल में एक बार हुआ तो सबसे अधिक बवाल कांग्रेस ने मचाया, जबकि इससे पहले सबसे अधिक एसआईआर कांग्रेस के कार्यकाल में ही हुए, जब तब का एसआईआर गलत नहीं था, तो अब क्यों और कैसे गलत हो गया? जो पार्टियां यह भ्रम फैला रही थी, कि एसआईआर के जरिए भाजपा अन्य पार्टियों के वोटर्स का नाम कटवाना चाहती है, पहले उन्हें यह फैसला करना होगा कि जिन बीएलओ ने दो लाख फर्जी वोट काटा क्या वे सभी भाजपाई थे, या फिर वे लेखपाल जिन्होंने सुपरपाइजर की भूमिका निभाया, क्या वे सभी भाजपाई थे? एसआईआर के चलते ही अब 19 लाख में से मात्र 17 लाख ही मतदाता मतदान कर पाएगें, अभी और भी फर्जी मतदाता बाहर हो सकते, इसका सही आकड़ा 16 दिसंबर को होगा, जब सूची का प्रकाशन होगा। बीएलओ को सबसेअधिक कठिनाईयों का सामना उन मतदाताओं को तलाशने में हुई, जो तीन-तीन स्थानों पर वोटर्स बने हुए, यही लोग हैं, जिन्होंने बीएलओ को जरा सी भी सहयोग नहीं किया, कल आओ परसो आओ कह कर टालते रहे। यह निर्णय ही नहीं ले पा रहे थे, कि वह कहां से फार्म भरे। एसआईआर को लेकर कभी न भ्रातियां होती, अगर राजनैतिक दलों के लोगों ने यह अफवाह न उड़ाया होता कि एसआईआर के जरिए भाजपा वाले विरोधियों का वोटर्स काटना चाहती है। एसआईआर से सबसे अधिक मुस्लिम वर्ग के लोग डरे हुए नजर आए, और इन्हीं लोगों में एसआईआर फार्म को भरने को लेकर जागरुकता देखी गई। जो वर्ग एसआईआर को लेकर सबसे अधिक डरा हुआ था, उसी वर्ग के लोगों ने सबसे पहले फार्म को भरा। देखा जाए तो एसआईआर को लेकर सबसे अधिक कांग्रेस के लोगों ने सड़क से लेकर सदन तक होहल्ला मचाया। लेकिन जब बीएलओ के सहयोग के लिए बीएलए को नामित करने की बारी आई तो कांग्रेस सबसे पीछे रही, जानकार हैरानी होगी कि जिले में कांग्रेस ही एक मात्र पार्टी रही जिसने 2156 बीएलए के सापेक्ष मात्र सौ का ही नाम दिया, यानि जिले में इस पार्टी के पास 2156 कार्यकर्त्ता नहीं हैं, ऐसे में कैसे कोई पार्टी जीत सकती है। सपा और बसपा ने 100 फीसद बीएलए की सूची उपलब्ध करा दी। आप और सीपीएम एम तो एक भी बीएलए की सूची नहीं दे पाई। कहा भी गया है, कि अगर मतदाता सूची में बने रहना है, तो बीएलओ को सहयोग करना होगा।

Comments