एलआईसी’ में ‘पालिसी’ सरेंडर के ‘नाम’ पर हो रहा ‘खेल’

एलआईसी’ में ‘पालिसी’ सरेंडर के ‘नाम’ पर हो रहा ‘खेल’

एलआईसी’ में ‘पालिसी’ सरेंडर के ‘नाम’ पर हो रहा ‘खेल’

-सुविधा शुल्क दीजिए और ओरीजनल पालिसी सरेंडर किए बिना लाखों का भुगतान ले जाइए

-डा. श्वेता गुप्ता के पालिसी सरेंडर और आठ लाख के भुगतान करने में फंसें एलआईसी बस्ती और देहरादून के शाखा प्रबंधक

-नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के शाखा प्रबंधकों को दी गई कानूनी नोटिस

-कहा कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष्स होगा, क्यों कि इस मामले दोनों न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया

-कहा कि अगर डा. श्वेता गुप्ता को की गई धनराशि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों शाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए

बस्ती। जिस तरह एलआईसी बस्ती और देहरादून के शाखा प्रबंधकों ने डा.. श्वेता गुप्ता नामक कथित फ्राड महिला की पालिसी बिना ओरीजनल पालिसी के सरेंडर किए उसका भुगतान कर दिया, उससे पता चलता है, कि एलआईसी में पालिसी सरेंडर और भुगतान के नाम पर कितना बड़ा खेल हो रहा है। पालिसी को बस्ती से देहरादून ट्रासंफर करने और भुगतान करने के मामले में दोनों शाखा प्रबंधक फंसें हुए नजर आ रहे है। चूंकि यह मामला उच्चतम और उच्च न्यायालय में लंबित हैं, इस लिए और अधिक गंभीर माना जा रहा है। सूचना देने के बाद भी पालिसी की जांच और वास्तविक पते पर छानबीन किए बिना पालिसी को सरेंडर कर लेना और और आठ लाख का भुगतान कर देने के मामले में एलआईसी सवालों के घेरें में आ चुकी है। एक कथित फ्राड महिला के मात्र एक शपथ-पत्र पर एलआईसी के जिम्मेदारों के द्वारा सरेंडर और भुगतान कर देना यह दर्शाता है, कि यह कार्रवाई मिली भगत से की गई। इसके लिए नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के शाखा प्रबंधकों को कानूनी नोटिस देते हुए कहा हैं, कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवश होगा, क्यों कि इस मामले को दोनों प्रबंधकों ने न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया, कहा कि अगर डा. . श्वेता गुप्ता को की गई धनराशि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों शाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए।

मुख्य प्रबंधक भारतीय जीवन बीमा निगम देहरादून और बस्ती को भेजे गए नोटिस में कहा गया कि सभी पालिसी की मूल प्रति मेरे स्थाई निवास पर उपलब्ध है। कहा गया कि डा.  श्वेता गुप्ता एवं शाखा प्रबंधक 241/283 आपसी साजिश से झूठा शपथ-पत्र प्रस्तुत करके कुछ पालिसी का स्थानांतरण फ्राड की सूचना ई-मेल के जरिए कार्यालय में दर्ज करा दिया गया था। पत्र में उक्त पालिसी में हुई फ्राड की जांच किसी उच्च अधिकारी के द्वारा कराई जाए, एवं दोनों शाखा प्रबंधकों के कार्यकाल में सालों से बंद पड़ी पालिसी को दूसरे जनपद में स्थानांतरण करके पैसा निकालने की घटना हुई है। इसकी विस्तृत जांच कराई जाए और भुगतान की धनराशि को डा. . श्वेता गुप्ता से रिकवरी कराई जाए, अगर रिकवरी नहीं होती तो दोनों शाखा प्रबंधकों के व्यक्तिगत खाते से कराई जाए। इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि एलआईसी पर भरोसा मत करना, अगर करोगें तो रोना पड़ेगा। साथ ही लोगों को डा. . श्वेता गुप्ता जैसी कथित फ्राड महिला के झांसें में न आने की सलाह भी दी जा रही है। क्यों कि इस तरह की महिलाएं धन और संपत्ति के लालच में पहले विवाह करती है, और उसके बाद सब कुछ समेट कर रफफू चक्कर हो जाती है। इस तरह की महिलाएं और उनके माता-पिता किसी के मान-सम्मान और इज्जत तक का ख्याल नहीं रखतें। कहा भी जाता है, कि शादी अगर बराबर वालों और अपनी विरादरी में की जाए तो धोखा खाने और धोखा मिलने की संभावना न के बराबर रहती है।

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