डाक्टरी पेशे में पैसा तो हैं, लेकिन यह दस साल कम जीतें!

डाक्टरी पेशे में पैसा तो हैं, लेकिन यह दस साल कम जीतें!

डाक्टरी पेशे में पैसा तो हैं, लेकिन यह दस साल कम जीतें!

-33 फीसद डाक्टर्स खुद को आराम और परिवार के लिए एक घंटा भी नहीं दे पा रहे

-83 फीसद डाक्टर्स मानसिक या भावनात्मक रुप से थके रहते, बड़े शहरों के मुकाबले छोटे शहरों में थकान ज्यादा होता

-70 फीसद डाक्टर्स को अपने काम की सुरक्षा नहीं लगती, 70 फीसद नौजवान डाक्टर्स को पेशे में आने का पछतावा

-70 फीसद महिला डाक्टर्स वर्क प्लेस पर अपने आप को असुरक्षित महसूस करती

-15 फीसद डाक्टर्स 80 घंटे काम करते, 25-34 साल के डाक्टर्स सबसे अधिक तनाव में रहते

बस्ती। डाक्टरी पेशे में पैसा तो हैं, लेकिन सकून और चैन नही। क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि एक डाक्टर्स की औसत आयु सामान्य लोगों से 10 साल कम है।  डाक्टर्स की औसत आयु जहां 55-59 साल हैं, वहीं देश के आम लोगों की औसत आयु 69-72 साल है। 25-34 साल के युवा डाक्टर्स सबसे अधिक तनाव में रहते है। इसी उम्र के 70 फीसद युवा डाक्टर्स को इस पेषे में आने को पछतावा है। दो में से एक डाक्टर इस आयु में 60 घंटें से अधिक काम करते है। यह आकड़ा डाक्टर्स डे के दिन आईएमए की ओर से जारी हुआ। आकड़ा तो चौकाने वाला है, अब जरा अंदाजा लगाइए कि 55 फीसद डाक्टर्स को अधिक काम करने के कारण मानसिक स्वास्थ्य खराब होने का खतरा रहता है। 50 फीसद को पब्लिक हेल्थ सिस्टम को फेल होने का खतरा रहता है। 48 फीसद डाक्टर्स को काम की वजह से शारीरिक नुकसान होने का डर रहता है। कारण एक सप्ताह में 80 घंटे से अधिक काम करना। इनमें 46 फीसद मरीजों की भीड़ और 36 फीसद बोझ प्रशासनिक का रहता है। सबसे अधिक हैरान और चौकाने वाली बात यह है, कि 25-34 साल के युवा डाक्टर्स सबसे अधिक तनाव में जी रहे है। इनमें 15 फीसद नौजवान डाक्टर्स 80-80 घंटें काम करते है। यही वर्ग सबसे अघिक थकावट झेलता है। बड़े षहरों के मुकाबले छोटे शहरों में थकान ज्यादा होता। यह एक सप्ताह में नान स्टाप 60-60 घंटे काम करते है। इससे अधिक परेशान करने वाले वे आकड़े हैं, जिनके चलते 70 फीसद महिला डाक्टर्स अपने आप को जहां काम करती है, वहां असुरक्षित महसूस करती है।    

डाक्टर्स डे पर डाक्टर वीके वर्मा ने पक्तियों के जरिए भावना व्यक्त करते हुए कहा कि मरीजों की सेवा में, जो अपनी परवाह न करता, वही चिकित्सक श्रेष्ठ कहा किसी वस्तु की चाह न करता, कभी स्वयं पर वाह न करता। और मरीजों की सेवा में, जो अपनी परवाह न करता। वही चिकित्सक श्रेष्ट कहाता। जो दुखियो के मन को भाता। अपनी निःस्पृह सेवा से जो, सेवा ही जीवन का सार, मानवता की राह दिखाता। सेवा ही जीवन का सार, उतरो भौतिकता के पार। डाक्टर हो तो तन्मयता से, करो मरीजों का उपचार।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *