डा. प्रमोद चौधरी’ की तरह ‘डा. इम्तियाज अहमद’ भी निकले ‘बेईमान’!

डा. प्रमोद चौधरी’ की तरह ‘डा. इम्तियाज अहमद’ भी निकले ‘बेईमान’!

डा. प्रमोद चौधरी’ की तरह ‘डा. इम्तियाज अहमद’ भी निकले ‘बेईमान’!


-मेडीवर्ल्ड हास्पिटल के डा. प्रमोद चौधरी ने एक्सरे टेक्निीसिएशन रफीउदीन की डिग्री लगाकर फर्जी तरीके से लाइसेंस लिया, नूर हास्पिटल में तो इम्तियाज अहमद खा नामक एक्सरे टेक्निीसिएशन को बकायदा एमबीबीएस डाक्टर बनाकर लाइसेंस लिया

-नूर हास्पिटल के फर्जीवाड़े का पर्दाफास भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष अमित कुमार गुप्ता ने किया, और अस्पताल को सील करवाकर ही दम लिया, दस हजार का जुर्माना भी लगवाया

बस्ती। नूर अस्पताल के लाइसेंस को निरस्त और अस्पताल को सील करवाने सहित संचालक इम्तियाज अहमद खान के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए जिस तरह भाजयुमो जिलाध्यक्ष अमित गुप्त और उनकी टीम ने लड़ाई लड़ी, उसका परिणाम भी टीम के लोगों को मिला। अस्पताल न सिर्फ सील हुआ, बल्कि अस्पताल पर दस हजार का जुर्माना भी लगा। जबकि यही कार्रवाई सीएमओ को मेडीवर्ल्ड हास्पिटल के डा. प्रमोद चौधरी और उनके अस्पताल पर भी करनी चाहिए थी। लेकिन दबाव और गांधीजी के कारण नहीं किया। बल्कि रफीउदीन के शिकायत का निस्तारण किए बिना डा. प्रमोद चौधरी को लाइसेंस भी निर्गत कर दिया। मेडीवर्ल्ड हास्पिटल में तो एक्सरे टेक्निीसिएशन रफीउदीन की डिग्री लगाकर फर्जी तरीके से लाइसेंस लिया, तो नूर हास्पिटल में  इम्तियाज अहमद खा नामक एक्सरे टेक्निीसिएशन को बकायदा एमबीबीएस डाक्टर बनाकर लाइसेंस दिया। दोनों ही मामलों में नोडल ही जिम्मेदार है। नूर अस्पताल को सील करवाकर टीम को जो वाहवाही मिल रही है, उससे टीम के लोगों का मनोबल बढ़ा है। भले ही चाहें इसके लिए टीम को काफी लड़ाई लड़नी पड़ी, लेकिन परिणाम तो मिला, यह उन लोगों के लिए एक सबक जैसा है, जो हास्पिटलों के फर्जीवाड़े के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है। जिले की जनता और गरीब मरीज बार-बार सीएमओ और उनकी टीम से सवाल कर रही है, कि आखिर इस जिले में ही सबसे अधिक मरीजों की मौतें प्राइवेट अस्पतालों में ही क्यों होती है? और कैसे फर्जी डिग्री लगाने वाले मेडीवर्ल्ड और नूर हास्पिटल जैसे को लाइसेंस मिल जाता? यह भी सवाल कर रही है, कि कैसे नूर अस्पताल में एक एक्सरे टेक्निीसिएन, फिजिसीएन डाक्टर बनकर ओपीडी कर रहा था? मरीजों का ईलाज और दवा लिख रहा था? जिस तरह जिले भर में सीएमओ और उनकी टीम को मरीजों के मौत और अवैध अस्पतालों के संचालन का दोषी माना जा रहा है, उससे यह पता चलता है, कि यह लोग पैसे के कितने भूखे है, अगर इन्हें पैसा मिल जाए तो यह कुछ भी करने को तैयार हो जाते है। यह भी कहा जा रहा है, कि जब यह लोग एमओआईसी कप्तानगंज डा. अनूप चौधरी के बच्चे की मौत के जिम्मेदार पीएमसी के खिलाफ कोई कार्रवाई आज तक नहीं कर पाए तो यह अन्य के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगें? मेडीवर्ल्ड के बाद जिस तरह नूर अस्पताल में फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ, उससे यह भी पता चलता है, कि सीएमओ कार्यालय में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, और जब से नये सीएमओ आए हैं, तब से फर्जीवाड़ा बढ़ गया, वैसे सरकारी तौर पर अगर किसी अल्ट्रासाउंड और पैथालाजी को गलत लाइसेंस जारी हो गया तो उसके लिए डीएम को जिम्मेदार माना जाता है, और अगर अस्पताल को गलत लाइसेंस जारी हुआ तो सीएमओ जिम्मेदार होते।  तीनों ही मामलों में नोडल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, क्यों कि इन्हीं के रिपोर्ट पर डीएम और सीएमओ लाइसेंस जारी करते है। दोनों नोडल डीएम और सीएमओ को गुमराह करके गांधीजी बटोर रहे है। यकीन मानिए जब तक नोडल डा. एसबी सिंह और डा. एके चौधरी जिले में रहेगें, तब तक फर्जीवाड़ा होता रहेगा, और मरीज मरते रहेगें। देखा जाए तो जनपद के दक्षिण दरवाजा स्थित नूर हॉस्पिटल में लंबे समय से अवैध रूप से चिकित्सकीय कार्य संचालित किया जा रहा है। अस्पताल के संचालक इम्तियाज अहमद खान, जो कि केवल एक्स-रे टेक्नीशियन हैं, कई वर्षों से फिजिशियन एवं सर्जन के रूप में कार्य कर रहे थे, यह न केवल चिकित्सा नियमों का उल्लंघन है बल्कि भारतीय चिकित्सा परिषद् अधिनियम के प्रावधानों का भी सीधा हनन है।

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