‘बस्ती’ में भी हुआ बड़े ‘पैमाने’ पर चारा ‘घोटाला’
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 23 September, 2025 20:11
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‘बस्ती’ में भी हुआ बड़े ‘पैमाने’ पर चारा ‘घोटाला’
-भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह ने शपथ-पत्र के साथ मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव, कमिष्नर और डीएम को पत्र लिखकर की उच्च स्तरीय जांच और विधिक कार्रवाई की मांग
बस्ती। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों की नीदें हराम करने वाले भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह का हथौड़ा इस बार नगर पालिका के ईओ पर चला। शपथ-पत्र के साथ मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव, कमिष्नर और डीएम को पत्र लिखे पत्र में कहा है, कि पालिका के ईओ सरंक्षित पशुओं की संख्या अधिक बताकर उनके नाम पर हर माह दो लाख 40 हजार के चारा का पैसा खुद खा जा रहे है। इन्होंने इसकी उच्च स्तरीय जांच और विधिक कार्रवाई करने की मांग की है। इस तरह अगर देखा जाए तो हर साल ईओ के पेट में चारे का 28.28 लाख जाता है। खासबात यह है, कि यह आरोप सिर्फ ईओ पर ही लगाए गएं है। आरोप अगर सही साबित होता है, तो बिहार के बाद बस्ती में चारा घोटाला सामने आ सकता है।
पत्र में कहा गया है, कि पालिका की ओर से संचालित पालिका कार्यालय के पास और संजय कालोनी महुडर गौशालाएं है। इन दोनों गौशालाओं में 384 गांेवश संरक्षित दिखाकर डीएम से 50 रुपया गोंवश के चारे के नाम पर प्रथम छमाही अप्रैल से सिंतबर 25 तक भूसा और चारा के नाम पर 34 लाख 95 हजार प्राप्त किया। कहा कि 30 जुलाई 25 को जब डीएम ने कान्हा गौशला नगर पालिका का निरीक्षण किया तो कुल 194 ही पशु मिले, जब डीएम ने दैनिक पुस्तिका मांगा तो बताया गया कि आडिट के लिए गया। दावा किया जा रहा है, कि दोनों गौशालाओं में गांेवश की संख्या 300 भी नहीं होगी। सवाल उठ रहा है, कि जब 394 गोंवश के चारे के नाम पर छह माह के लिए 34.94 लाख लिया गया तो पैसा और 84 गोंवश गया कहां? पूछा गया कि क्या गोंवश को बेच दिया गया? या फिर उन्हें पशु तस्करों के हवाले कर दिया गया?
यह भी लिखा गया कि पालिका अपने चहेते आपूर्तिकर्त्ता को लाभ पहुंचाने के लिए पिछले एक साल से भूसा और चारा का टेंडर ही नहीं कराया और पुराने रेट यानि 600 रुपया प्रति क्ंिवटल के दर से भुगतान किया जा रहा है। कहा कि मार्च-अप्रैल में भूसा की अधिक आवष्यकता पड़ती है, उसे स्टोर न करके निर्धारित दर से अधिक दर पर खरीदा जाता। यह सवाल किया कि आखिर दूधारु गोंवश का दूध गया कहां? गौशालाओं की क्षमता की भी जांच कराने की मांग की गई। कहा कि क्षमता से अधिक अगर किसी कान्हा गौशाला में गोंवश संरक्षित किए जाते हैं, तो इसे पशु क्रूरता अधिनियम के आता है। कहा कि सरकारी तौर पर प्रतिमाह पांच लाख 83 हजार भूसा और चोकर के नाम पर खर्च दिखाया जा रहा है। इसमें कम से कम दो लाख से अधिक प्रति माह का घोटाला ईओ कर रहे हैं। कहते हैं, कि बीमार और छोटे गोवंष भूसा नहीं खाते, वह चारा खाते हैं, इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि डीजल के नाम पर कितना धन व्यय हुआ और कितना इस्तेमाल हुआ।

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