बृहस्पतिवार माननीयजी, ‘अधिकारी’ और ‘ठेकेदार’ कोई ‘बंधुवा’ मजदूर ‘नहीं’!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 26 November, 2025 19:04
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बृहस्पतिवार माननीयजी, ‘अधिकारी’ और ‘ठेकेदार’ कोई ‘बंधुवा’ मजदूर ‘नहीं’!
-कि जब चाहा और जहां चाहा वहीं अपमानित कर दिया, जिसे चाहा उसे जूते से मारने को कहा, जिस अधिकारी ने ईमानदारी दिखाते हुए टेंडर निरस्त न करने की बात कही, उसे धमकी देते
-अधिकारियों और ठेकेदारों का कहना है, कि माननीयों को यह नहीं भूलना चाहिए, कि ठेकेदार और अधिकारियों की बदौलत 12 फीसद कमीशन मिलता, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम लोगों के चंदे और सहयोग ही चुनाव जीतते
-बस्ती और सिद्धार्थनगर के माननीयों की ओर से हाल और पूर्व में जिस तरह अपने लाभ के लिए अधिकारियों और ठेकेदारों को अपमानित किया, उससे माननीयों का एक ऐसा चेहरा जनता के सामने आया, जिससे जनता भी हैरान और परेशान होकर पूछती है, कि क्या यही माननीयों का सच है?
-पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और जनपद बस्ती और सिद्धार्थनगर के तीन माननीय किसी न किसी रुप में ठेका निरस्त करने और ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर तक की कार्रवाई करने का दबाव पीडब्लूडी के अधिकारियों पर बना चुके
-इनमें एक भी माननीय अपने मकसद में सफल नहीं हुआ, बल्कि दो दिन पहले जब बस्ती के एक माननीय ने प्रांतीय खंड के एक्सईएन पर टेंडर निरस्त करने का दबाव बनाया तो अधिकारी ने कह दिया कि टेंडर तो निरस्त नहीं होगा, इसके लिए आप को सीएम से बात करनी पड़ेगी, किस माननीय की इतनी हिम्मत हैं, वह सीएम से बात करे
-लाख दबाव के बावजूद एक्सईएन ने बता दिया भले ही आप जनप्रतिनिधि हैं, लेकिन विभाग में वही होगा जो मैं चाहूंगा, क्यों कि मेरी नजर में सभी एक जैसे ठेकेदार हैं, और सबको टेंडर डालने का अधिकार
-जो टेंडर माननीयजी के दबाव में कभी जीरो फीसद बिलो पर निकलता था, वह टेंडर 33 से लेकर 38 फीसद तक बिलों में निकला, और यह सबकुछ प्रांतीय खंड के एक्सईएन संजीव कुमार की ईमानदारी के कारण हुआ
-माननीयजी का सारा गुस्सा उन ठेकेदारों पर था, जिन्होंने बिना उनकी अनुमति के टेंडर डाल दिया, जिसके चलते माननीयजी के चहेते ठेकेदारों को ठेका नहीं मिला
बस्ती। अपने लोगों को ठेकापटटी दिलाने के लिए जिस तरह माननीय अपना आपा खोते जा रहे हैं, और अधिकारियों पर टेंडर निरस्त करने और विरोधी के ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर तक की कार्रवाई करने का दबाव बना रहें हैं, उससे माननीयों की छवि दिन प्रति दिन धूमिल होती जा रही है, यह लोग अपनी छवि तो खराब कर ही रहे हैं, साथ ही सरकार की छवि भी धूमिल कर रहे हैं। पहले के माननीय अधिकारियों से निवेदन के लहजे में कोई काम करने को कहते थे, लेकिन आज के माननीय, अधिकारियों और ठेकेदारों को बंधुआ मजदूर समझकर काम करने का फरमान जारी करते। इन्हें यह नहीं मालूम कि आज का अधिकारी और ठेकेदार किसी का बंधुआ मजदूर नहीं रह गया। आज अगर अधिकारी माननीयों की नहीं सुन रहा है, तो उसके लिए अधिकारी नहीं बल्कि माननीयों ही जिम्मेदार हैं। अधिकारियों का कहना और मानना है, कि जिस दिन माननीयगण अनैतिक कार्यो को करवाने का दबाव बनाना बंद कर देगें, उस दिन सरकार और माननीय दोनों की छवि बनेगी। जिसके चलते माननीय दुबारा चुनाव भी जीत सकते है। कहते हैं, कि माननीयगण जब चाहें और जहां चाहें वहीं अधिकारियों और ठेकेदारों को अपमानित कर दे रहें हैं। जिसे चाहा उसे जूते से मारने की बात करते हैं, और उसका वीडियो भी वायरल करते है। कहते हैं, कि जिस अधिकारी ने ईमानदारी दिखाते हुए टेंडर निरस्त न करने या फिर ठेकेदार के खिलाफ जबरदस्ती कार्रवाई करने से इंकार किया उसे धमकी देते है। मानो हम लोग सरकार के नौकर नहीं बल्कि माननीयों के हरवाह चरवाह हैं। अधिकारियों और ठेकेदारों का कहना है, कि माननीयों को यह नहीं भूलना चाहिए, कि ठेकेदारों और अधिकारियों की बदौलत ही 12 फीसद कमीशन मिलता, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम लोगों के चंदे और सहयोग ही यह लोग चुनाव जीतते हैं। जिस दिन अधिकारियों और ठेकेदारों ने हाथ खींच लिया, उस दिन माननीयों को दोनों के महत्व का पता चल जाएगा। चुनाव जीतना मुस्किल हो जाएगा, चंदा मिलना बंद हो जाएगा। बस्ती और सिद्धार्थनगर के माननीयों की ओर से हाल और पूर्व में जिस तरह अपने लाभ के लिए अधिकारियों और ठेकेदारों को अपमानित किया गया, उससे माननीयों का एक ऐसा चेहरा जनता के सामने आया, जिससे जनता भी हैरान और परेशान होकर पूछती है, कि क्या यही माननीयों का सच है? पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और जनपद बस्ती और सिद्धार्थनगर के तीन माननीय किसी न किसी रुप में ठेका निरस्त करने और ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर तक की कार्रवाई करने का दबाव पीडब्लूडी के अधिकारियों पर बना चुके है। हैरानी होती हैं, कि इनमें एक भी माननीय अपने मकसद में सफल नहीं हुआ, बल्कि दो दिन पहले जब बस्ती के एक माननीय ने प्रांतीय खंड के एक्सईएन पर टेंडर निरस्त करने का दबाव बनाया तो अधिकारी ने कह दिया कि टेंडर तो निरस्त नहीं होगा, इसके लिए आप को सीएम से बात करनी पड़ेगी, किस माननीय की इतनी हिम्मत हैं, वह सीएम से बात करे। लाख दबाव के बावजूद एक्सईएन ने बता दिया कि भले ही आप जनप्रतिनिधि हैं, लेकिन विभाग में वही होगा जो मैं चाहूंगा, क्यों कि मेरी नजर में सभी एक जैसे ठेकेदार हैं, और सबको टेंडर डालने का अधिकार है। माननीय के लाख न चाहते हुए भी टेंडर निकला, जिसमें सबसे अधिक नुकसान माननीय के चहेते ठेकेदारों का ही हुआ। जो टेंडर माननीयजी के दबाव में कभी जीरो फीसद बिलो पर निकलता था, आज वह टेंडर 33 से लेकर 38 फीसद तक बिलों में निकला, और यह सबकुछ प्रांतीय खंड के एक्सईएन संजीव कुमार की ईमानदारी के कारण हुआ। अनेक ठेकेदारों का कहना है, कि माननीयजी का सारा गुस्सा उन ठेकेदारों पर था, जिन्होंने बिना उनकी अनुमति के टेंडर डाल दिया, जिसके चलते माननीयजी के चहेते ठेकेदारों को ठेका नहीं मिला। ठेकेदारों के सबसे बड़ी समस्या माननीयगण ही है। कहते हैं, कि अधिकांश टेंडर निरस्त करने का दबाव इस लिए माननीयगण अधिकारियों पर बनाते हैं, क्यों कि उनके ठेकेदारों को उनके क्षेत्र का ठेका जो नहीं मिला। जनपद सिद्धार्थनगर और बस्ती में यही देखने को मिला। सवाल उठ रहा है, कि क्या किसी ठेकेदार को बिना माननीय के मेहरबानी के ठेकापटटी नहीं मिल सकता? और क्या ठेकेदार बिना क्षेत्रीय माननीय की मर्जी के गुणवत्तापरक निर्माण कार्य नहीं करवा सकता? कहते हैं, कि अगर माननीयगण आज जिस तरह अनैतिक कार्य करवाने के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं, उसके लिए कुछ ऐसे चापलूस ठेकेदार ही जिम्मेदार हैं। रही बात, ठेकेदारों में एकता होने की तो, जब तक लालची और चापलूस किस्म के ठेकेदार, माननीगण के आगे पीछे घूमते रहेगें तब तक एकता नहीं हो सकती, और न कोई ठेकेदार संघ का अध्यक्ष ही एकता ला सकता है। जिस दिन ठेकेदारों ने माननीयों के आगे-पीछे घूमना बंद किया और गुणवत्तापरक कार्य करने लगे, उस दिन कोई भी माननीय ठेकेदार का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। माननीयगण, जब कथित ठेकेदार बन जाएगें तो समस्या सरकार के सामने खड़ी होगी। यह भी सही है, कि माननीयगण और ठेकेदार एक दूसरे के पूरक हैं, दोनों एक दूसरे के सहयोग के बिना नहीं रह सकते। अक्सर चुनाव में नेताजी के साथ ठेकेदार ही डटकर खड़ा रहता। माननीयगण के जनता दरबार में जनता कम और ठेकेदार अधिक दिखाई पड़ते। इस बार हर्रैया क्षेत्र के ठेकेदार पिछली बार की तरह मलाई नहीं काट पाएगें।

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