भूलकर पीएमसी में मत जाना, गए तो लुट जाओगे
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 5 July, 2025 20:43
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भूलकर पीएमसी में मत जाना, गए तो लुट जाओगे
बस्ती। अगर आप अपनी पत्नी की डिलीवरी कराने या कोई इलाज कराने पीएमसी में जा रहे हैं, तो सोच समझकर जाइएगा, वरना रोना पड़ेगा, लुटकर वापस आना पड़ेगा, बच्चें से हाथ भी धोना पड़ सकता है। क्यों कि यहां पर दर्द और तकलीफ के सिवाय कुछ और नहीं मिलता। व्यवहार जैसी चीज जो निःशुल्क है, वह भी नहीं मिलता। जो एक बार गया, वह दूबारा जाने के लिए हजार बार सोचेगा। यहां पर मरीजों के देखभाल और इलाज से अधिक मनी पर फोकस किया जाता है। यहां पर जांच, आपरेशन, दवा और भर्ती के नाम पर मरीजों को लूटा जाता है। पीएमसी की डा. रेनू राय के व्यवहार को देखकर कोई यह नहीं कह सकता है, कि यह इतने बड़े नर्सिगं होम की महिला डाक्टर होगी, या फिर नर्सिगं होम की सह मालकिन होगी। जो व्यवहार इन्होंने हरदी बाबू की मरीज सबिना और उसके पति मो. अषरफ के साथ किया वह किसी अमानवीय से कम नहीं था। जिन डाक्टर्स को मरीज भगवान का दर्जा देता है, अगर उसी मरीज के साथ अमानवीय व्यवहार कोई डाक्टर करेगा तो समाज ऐसे डाक्टर्स को क्या कहेगा? पैसे के लिए डा. रेनू राय इस हद तक जा सकती है, अगर यह मरीज को पहले मालूम होता तो शायद वह कभी पीएमसी न जाता, मरीज तो अपने भगवान के पास इस आस को लेकर गया था, कि मैडम बड़े मकान की मालकिन की तरह बड़े दिल वाली होगी। मरीज और उसके पति की आस तब टूटी, जब दोनों डाक्टर और उनके स्टाफ से मिले।
डा. रेनू राय ने एक ऐसी गर्भवती महिला के साथ अमानवीय व्यवहार किया, जिसका बच्चा पेट में ही मर चुका था, और मेैडम यह अच्छी तरह जानती थी, कि पेट में बच्चा मरा हुआ हैं, ऐसे में किसी भी डाक्टर को ऐसे मरीज के साथ संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। जो मैडम ने नहीं दिया। सवेंदनशीलता का परिचय देने के बजाए अवसर का लाभ उठाने लगी। सौदेबाजी होने लगी, जो किसी अमानवीय व्यवहार से कम नहीं था। पीड़ित महिला का परिवार जिंदगी भर यह नहीं भूल पाएगा, कि एक महिला डाक्टर ने सिर्फ और सिर्फ पैसे के लिए उन लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया। सवाल उठ रहा हैं, कि डाक्टर्स के लिए क्या पैसा ही सबकुछ हैं, क्या इनके पास मानवता नहीं होता। अगर यही व्यवहार कोई इनके साथ या फिर इनके परिवार के साथ करें तो इन्हें कैसा लगेगा? मरीज के पति का कहना है, कि वह अपनी पत्नी को डा. रेनू राय के पास 17 जून 25 को डिलीवरी के लिए ले गया, कहा कि जब हमने मैडम से पूछा कि कुल कितना खर्चा आएगा, तो मैडम ने बताया कि सात हजार। हामी भरने के बाद पत्नी को एडमिट कर दिया, फीस 500 लेने के बाद मरीज को देखा। 800 की दवा भी दिया। फिर कहा कि जांच के लिए 2300 जमा कर दो, 2300 भी जमा कर दिया, कुछ देर बाद स्टाफ ने कहा कि 7500 रुपया और जमा करो। तब पति ने मैडम से कहा कि उसका जांच और अन्य के नाम पर पहले ही 3600 खर्चा हो चुका है, और अब आप 7500 रुपया और जमा करने को कह रही है। जब कि पहले ही आप ने कुल खर्चा 7000 बताया था। अगर मैं 7500 और जमा कर दूं तो कुल 11000 हो जाएगा। कहा कि मैडम मेरे पास इतना पैसा नहीं है, आपने जितना बताया था, उसकी व्यवस्था करके आया हूं। तब मैडम ने कहा कि अभी और पैसे की व्यवस्था कर लो क्यों कि अभी तो दवा और बेड का भी पैसा देना पड़ेगा। जांच में और भी पैसा लग सकता है। आपरेशन भी करना पड़ सकता है, कुल 14000-15000 का खर्चा और आएगा। यानि कुल 35 हजार खर्च होगा। जब पति ने अपने लोगों और पत्रकार राजकुमार पांडेय से संपर्क किया और उन्हें पीएमसी में बुलाया और कहा कि पत्नी का जांच भी नहीं हुआ और 2300 भी जमा करवा लिया गया। पति ने पत्रकार से कहा कि मेरा पैसा वापस करवा दीजिए। बहुत मेहरबानी होगी, जब पत्रकार ने मैडम से जांच के नाम पर लिए गए 2300 वापस करने को कहा तो कहने लगी कि हमारे यहां जो पैसा जमा हो जाता है, वह वापस नहीं होता। तब कहा कि कम से कम जांच रिपोर्ट तो दे दीजिए पर कहने लगी कि नहीं मिलेगा, जो करना हो कर लो। इसके बाद पत्रकार साहब पति और पत्नी को लेकर कैली चले गए, जहां पर डा. वंदना ने नार्मल डिलीवरी किया। एक भी रुपया भी डिलीवरी का नहीं लगा, यह है, सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टरों के बीच का अंतर और व्यवस्था का सच। सवाल उठ रहा है, कि जो डिलीवरी डा. रेनू राय 35 हजार में करने वाली थी, वह डिलीवरी कैली अस्पताल में निःशुल्क हो गया? सवाल आप सभी से हैं, क्या आप ऐसे डाक्टर को भगवान का दर्जा देगें?
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