‘बीडीए’ के ‘रास्ते’ पर चला ‘आवास विकास परिषद’

‘बीडीए’ के ‘रास्ते’ पर चला ‘आवास विकास परिषद’

‘बीडीए’ के ‘रास्ते’ पर चला ‘आवास विकास परिषद’

-आवास विकास कालोनी में हो गया एक दर्जन अवैध निर्माण, सोता रहे परिषद के अधिकारी

-तब जागे जब निर्माण पूरा हो गया, किसी ने दुकान तो किसी ने माल का निर्माण करवा लिया

-आवास विकास परिषद के एक्सईन सुरेंद्र प्रसाद की ओर से सभी अवैध निर्माण भवन पर नोटिस चस्पा करते हुए लिखा है, कि अगर त्वरित व्यवसायिक गतिविधियां बंद नहीं की गई तो विधिक कार्रवाई की जाएगी

-इन सभी लोगों ने प्लाट तो आवास निर्माण के नाम पर खरीदा, लेकिन निर्माण आवास के स्थान पर माल का कर लिया, इसे आवासीय भवनों/भूखडों में बिना लैंड यूज परिवर्तन/शमन कराए व्यवसायिक गतिविधियों की जा रही, जिसे अवैध निर्माण की श्रेणी में माना जा रहा

-अनेक दुकानदारों ने बताया कि जब आवास विकास परिषद ने एक-एक प्लाट को करोड़ दो करोड़ में बेचा तो कोई आवास तो निर्माण करेगा नहीं

बस्ती। कहना गलत नहीं होगा कि बीडीए के रास्ते पर आवास विकास परिषद भी चल निकला। बीडीए की तरह पहले तो पैसा लेकर अवैध निर्माण करवाने दिया, और जब निर्माण पूरा हो गया तो नोटिस चस्पा करना शुरु कर दिया, ताकि नोटिस और एफआईआर कराने का डर दिखाकर फिर अवैध वसूली की जा सके। सवाल उठ रहा है, कि जब अवैध निर्माण हो रहा था, तक क्या आवास विकास वाले सो रहे थे, एक ही दिन में तो इतना बड़ा माल तो बना नहीं होगा। बीडीए और आवास विकास वाले पहले अवैध निर्माण कराने के नाम पर धन की उगाही करते हैं, और जब निर्माण पूरा हो जाता है, तो ध्वस्तीकरण और एफआईआर का डर दिखाकर वसूली करते है। गलती अवैध निर्माण करने वाले भवन स्वामियों की भी है। यह लोग जानते हुए कि आवासीय भवनों/भूखडों में बिना लैंड यूज परिवर्तन/शमन कराए व्यवसायिक गतिविधियों नहीं की जा रही, इस तरह के भवन को अवैध निर्माण की श्रेणी में माना जाता है। जब से आवास विकास परिषद के एक्सईन सुरेंद्र प्रसाद की ओर से सभी अवैध निर्माण भवन पर नोटिस चस्पा करते हुए लिखा गया है, कि अगर त्वरित व्यवसायिक गतिविधियां बंद नहीं की गई तो विधिक कार्रवाई की जाएगी, तब से सभी लोगों में खलबली मची हुई है। इन सभी लोगों ने प्लाट तो आवास निर्माण के नाम पर खरीदा, लेकिन निर्माण आवासीय निर्माण के स्थान पर माल का कर लिया, इसे आवासीय भवनों/भूखडों में बिना लैंड यूज परिवर्तन/शमन कराए व्यवसायिक गतिविधियों की जा रही, जिसे अवैध निर्माण की श्रेणी में माना जा रहा है। अनेक दुकानदारों ने बताया कि जब आवास विकास परिषद ने एक-एक प्लाट को करोड़ दो करोड़ में बेचा तो कोई आवास का तो निर्माण करेगा नहीं? अगर देखा जाए तो इस तरह पूरे आवास विकास कालोनी में छोटे बड़े मिलाकर दो दर्जन से अधिक व्यवसायिक कार्य संचालित हो रहे है। ऐसे-ऐसे व्यवसायिक केंद्र का निर्माण हुआ, जिसमें दो से तीन करोड़ लगा होगा, यानि अगर किसी ने दो करोड़ में प्लाट खरीदा तो उस पर तीन करोड़ और खर्चा किया, यानि पांच करोड़ लगाकर भी अवैध निर्माण कहलाएगा, नोटिस के चस्पा होने से बदनामी अलग से हो रही है। कहने का मतलब जब तक व्यवसायिक केंद्र को नियमित नहीं किया जाएगा, तब तक कोई उसे व्यवसायिक रुप में न तो बेच सकता है, और न माल का मालिक ही की सकता है। क्यों कि जिस प्लाट पर निर्माण हुआ वह आवासीय के लिए था, नियमानुसार सब कुछ बदला ला सकता है, लेकिन लैंड यूज का परिवर्तन नहीं हो सकता हैं, नये नियम में शायद परिवर्तन का प्राविधान हुआ है।

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