बड़ा धमाकाः नोटरी ‘अधिवक्ता’ कर रहे ‘जमीन’ का ‘बैनामा’!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 28 October, 2025 20:34
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बड़ा धमाकाः नोटरी ‘अधिवक्ता’ कर रहे ‘जमीन’ का ‘बैनामा’!
-हजार दो हजार की लालच में सरकार का लाखों के राजस्व का चूना लगा रह, जिन जमीनों का बैनामा करने पर रजिस्टी विभाग को लाखों का स्टांप मिलता, उसे नोटरी अधिवक्ता कुछ रुपये में कर दे रहें
-बेचीनामा करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ रजिस्टी आफिस को हैं, फिर भी नोटरी अधिवक्ता बैनामा भी कर दे रहे हैं, और नोटरी भी कर रहें
-खुलासा होने पर सख्त हुए डीआईजी स्टांप, जारी किया नोटिस, फंसता देख अधिवक्ता ने नोटरी को ही फर्जी बता दिया
बस्ती। इधर कई दिनों से जिस तरह से फर्जी नोटरी के मामले सामने आ रहे हैं, उससे पूरी व्यवस्था पर सवालियां निशान लग गया है। अभी तक तो फर्जी नोटरी हो रहा था, लेकिन अब तो फर्जी जमीनों का बैनामा भी फर्जी नोटरी के जरिए होने लगा। जिस नोटरी अधिवक्ता को बेचीनामा या बैनामा करने का अधिकार ही नहीं हैं, वह भी बेचीनामा कर रहा है। जमीनों का बेचीनामा या बैनामा करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ रजिस्टी आफिस को ही हैं, लेकिन जिले के कई ऐसे नोटरी अधिवक्ता है, जो हजार दो हजार के लिए बेचीनामा या बैनामा कर दे रहे है। नोटरी अधिवक्ता राजस्व को तो चूना लगा ही रहे हैं, साथ ही भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा दे रहे है। इस पूरे खेल में गांव और कचहरी के दलाल भी शामिल है। एक अपुष्ट आकड़ों के अनुसार नियम विरुद्व बेचीनामा के जरिए सरकार को हर साल लगभग तीन से चार करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है। गांव के आबादी की जमीन यानि डीह का बैनामा करने दोगुना स्टांप लगता है। यह स्टांप जमीन खरीदने वालों को देना पड़ता है। एक-एक बैनामें में लाखों रुपये का स्टांप लगता है, लेकिन दलाल और नोटरी अधिवक्ता मिलकर हजार दो हजार में बेचीनामा या बैनामा कर दे रहे है। इसी तरह का एक मामला सामने आया है। बेचीनामा पर नोटरी अधिवक्ता का मोहर और हस्ताक्षर है। यह इलीगल बैनामा राम सुरेश पुत्र शिवमंगल साकिन भोयर चौबे तप्पा हवेली परगना नगर पूरब तहसील व जिला बस्ती ने इसी गांव के राम सुमेर पुत्र बहादुर के हाथों डीही आबादी की जमीन को दो लाख पचास हजार में बेचा, स्टांप मात्र 50 रुपया का लगाया गया, जब कि अगर यही बैनामा रजिस्टी कार्यालय में होता तो स्टांप के रुप में हजारों रुपया और फीस के रुप में पांच हजार देना पड़ता। जब इसकी पुष्टि डीआईजी स्टांप देवेंद्र कुमार से की गई तो चह भी देखकर हैरान रह गए, और कहा कि यह पूरी तरह फर्जी है। कहा कि बैनामा करने का अधिकार सिर्फ रजिस्टी कार्यालय को है। अगर कोई नोटरी अधिवक्ता बेचीनामा या बैनामा करता है, तो उसका स्वामित्व नहीं मिलता, साक्ष्य के रुप में यह किसी न्यायालय में स्वीकार भी नहीं होगा, कहा िकवह इस मामले में बैनामा कराने वाले को स्टांप के आरोप में नोटिस देगें और स्टांप वाद भी दाखिल किया जाएगा। निर्धारित स्टांप दर से 10 गुना अधिक जुर्माना देना होगा। वहीं जब नोटरी करने वाले अधिवक्ता कहैयालाल चौधरी से इस बावत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी ने फर्जी मोहर और फर्जी हस्ताक्षर बनाकर बेचीनामा कर दिया। इसी तरह अनेक ऐसे नोटरी अधिवक्ता हैं, तो सौ रुपये में किरायानामा कर दे रहे हैं, जबकि नियमानुसार किरायानामा रजिस्टी कार्यालय में पंजीकृत होता है, और पूरे किराए का चार फीसदी स्टांप जमा करना पड़ता है। एक तरह से देखा जाए तो फर्जी नोटरी का फरमार है। आदमी जेल में है, या फिर दिल्ली मुंबई में उसके नाम की नोटरी बन जाती है, जबकि नियमानुसार जिसकी नोटरी हो रही है, उसे नोटरी अधिवक्ता के सामने हाजिर होना पड़ता है। इसी फर्जी नोटरी के चलते मेडीवर्ल्ड अस्पताल का लाइसेंस निरस्त और अस्पताल का संचालन बंद हुआ। ऐसे-ऐसे नोटरी अधिवक्ता भी है, जिनके लाइसेंस की वैधता समाप्त हो गई, फिर भी पैसे के लिए फर्जी नोटरी कर रहे है।

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