बड़ी ‘चालाक’ निकली ‘डा. विश्व ज्योति’, एक-एक दिन का पैसा वसूला!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 14 October, 2025 19:06
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बड़ी ‘चालाक’ निकली ‘डा. विश्व ज्योति’, एक-एक दिन का पैसा वसूला!
-गोरखपुर की रहने वाली एमबीबीएस डाक्टर विश्व ज्योति ने ग्लोबल हास्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर सजनाखोर अस्पताल के प्रबंधक और नोडल डा. एसबी सिंह एवं सीएमओ कार्यालय के बाबूओं पर लगाया फर्जीवाड़ा का आरोप
-लालगंज थाने में ग्लोबल हास्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर सजनाखोर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाया
-बाद में एक समझौता हुआ जिसमें एमबीबीएस डाक्टर विश्व ज्योति ने एक साल तीन माह तक इस्तेमाल किए गए डिग्री का मुआवजा एक लाख 80 हजार वसूला, तब जाकर लिखकर दिया
बस्ती। गोरखपुर की रहने वाली एमबीबीएस डाक्टर विश्व ज्योति शायद पहली ऐसी डाक्टर होगीं, जिन्होंने अपनी डिग्री की कीमत ग्लोबल हास्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर सजनाखोर के प्रबंधक से वसूला। इन्होंने अस्पताल के प्रबंधक और नोडल डा. एसबी सिंह एवं सीएमओ कार्यालय के बाबूओं पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाते हुए प्रबंघक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। मैडम ने लालगंज थाने में ग्लोबल हास्पिटल एवं मेटरनिटी सेंटर सजनाखोर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाया। उसके बाद मैडम और प्रबंधक के बीच एक समझौता हुआ जिसमें एमबीबीएस डाक्टर विश्व ज्योति ने एक साल तीन माह तक इस्तेमाल किए गए डिग्री का मुआवजा एक लाख 80 हजार वसूला, तब जाकर मामला रफा-दफा हुआ।
मीडिया बार-बार कहती आ रही है, कि अस्पतालों, पैथालाजी और अल्टासाउंड सेंटर को फर्जी तरीके से भारी रकम लेकर लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं, हाल ही में डीएम के द्वारा दो दर्जन से अधिक अल्टासांउड के लाइसेंस जारी करने का खुलासा कर चुका है। अगर कोई अल्टासाउंड और पैथालाजी का गलत तरीके से लाइसेंस जारी होता है, तो इसके लिए करने नोडल डा. एके चौधरी और हास्पिटल के लिए इसके नोडल डा. एसबी सिंह को जिम्मेदार माना जाता रहा है, क्यों कि पत्रावली इन्हीं के द्वारा तैयार की जाती है, निरीक्षण रिपोर्ट इन्हीं दोनों नोडल की लगती है, उसके बाद डीएम लाइसेंस प्रमाण-पत्र पर हस्ताक्षर करते है। अब सवाल यह उठ रहा है, कि जब डिग्री विश्व ज्योति नामक एमबीबीएस महिला के नाम हैं, और वह रही हैं, उसके सहमति के बिना कूट रचित तरीके से उसके नाम पर अस्पताल का न सिर्फ पंजीकरण किया गया, बल्कि 2024 में एक साल के लिए और 2025 में पांच साल के लिए पंजीकरण कर दिया गया। अब फिर यह सवाल उठ रहा है, कि आखिर नोडल ने किसके डिग्री का परीक्षण किया, और जब विष्व ज्योति हैं ही नहीं तो कैसे उनके नाम का रिपोर्ट लगाकर लाइसेंस जारी कर दिया गया। इस फर्जीवाड़े में सीएमओ कार्यालय के बाबूओं, नोडल और हास्पिटल के प्रबंधक के हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसा लगता है, मानो मोटा लिफाफा मिल गया होगा और घर बैठे ही निरीक्षण रिपोर्ट लगा दिया होगा। बार-बार यह कहा जा रहा है, कि भले ही सीएमओ लाइसेंस जारी नहीं करते लेकिन रिपोर्ट और पत्रावली तो नोडल ही बनाते हैं, और समिति की बैठक में डीएम के सामने को नोडल ही प्रस्तुत करते होगें। विश्व ज्योति का कहना है, कि जब उनके नाम से सहमति पत्र ही नहीं हैं, तो कैसे नोडल ने रिपोर्ट लगा दिया और कैसे लाइसेंस जारी हो गया? कहती है, कि ग्लोबल वालों से अधिक इसके नोडल जिम्मेदार है। जिन्होंने बिना मेरी सहमति के दूसरे के नाम लाइसेंस जारी कर दिया। वहीं अस्पताल के प्रबंधक का कहना है, कि जब उनके यहां फुल टाइम के एमबीबीएस है, तो वह क्यों डा. विश्व ज्योति को पार्ट टाइम के लिए रखेगें, कहा कि यह सारा खेल कम्प्यूटर वाले का है।

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