‘आधार कार्ड’ देने की ‘सजा’ एक ‘करोड़’

‘आधार कार्ड’ देने की ‘सजा’ एक ‘करोड़’

‘आधार कार्ड’ देने की ‘सजा’ एक ‘करोड़’

-सूखा राहत दिलाने के नाम पर आधार कार्ड ले लिया, राहत तो एक रुपये का नहीं मिला, लेकिन एक करोड़ की आरसी अवष्य कट गई

-केशवपुर निवासी राजेश सिंह नामक व्यक्ति रामकुमार सिंह के घर पहुंचा और कहा कि सरकार सूखा राहत का रुपया दे रही, अपना आधार कार्ड पसबुक और खतौनी दे दीजिए पैसा सीधे खाते में पहुंच जाएगा

-तीन साल बाद पता चलता है, कि राजेश सिंह, उमेश सिंह और देवेंद्र प्रताप सिंह जो बालू का अवैध खनन कारोबार में लिप्त हैं, ने मिलकर बालू खनन का ठेका ले लिया

-माह फरवरी 24 में जब 96 लाख 10 हजार 130 रुपये की आरसी लेकर अमीन आया, तब जालसाजी का पता चला, इतना ही आरसी के विरुद्ध राजेश सिंह और अन्य ने फर्जी भतीजा बनकर हाईकोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल कर दिया

-इतना ही नहीं बालू डम्पिगं का लाइसेंस भी माता उर्मिला के नाम ले लिया, और जब 10 हजार घन मी. के स्थान पर 23 हजार घन मी. का डंप कर लिया तो 58 लाख जुर्माना भी लगा और जुर्माना भर भी दिया गया

-खनन अधिकारी, बाढ़ विभाग, लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार ने भारी रकम लेकर खनन स्थल का गलत रिपोर्ट लगा दिया, दिखाया गया बंधा से काफी दूर लेकिन खनन बंधें के बिलकुल पास हो रहा, जिससे बंघे को भी खतरा हो गया

-आरसी के बाद पिता रामकुमार सिंह और पुत्र सुनील सिंह कभी हाईकोर्ट तो कभी कमिष्नर तों कभी डीएम और एसपी के यहां चक्कर लगा रहें, परसरामपुर पुलिस के पास भी एफआईआर के लिए गए, लेकिन भगा दिया गया

बस्ती। आजकल आप लोग जितने भी पैसे वालों को घूम-घूमकर पैसे का प्रदर्शन करते हुए देख रहे हैं, उनमें 90 फीसद बालू की कमाई से पैसे वाले बने है। कहने की बात नहीं कि इस श्रेणी में कौन-कौन आ रहे है। यह लोग सरकार को चूना लगा कर पैसे वाले बने हुए है। कहना गलत नहीं होगा कि कोई भी व्यक्ति या बालू माफिया ईमानदारी से पैसा वाला नहीं बन सकता। कोई ईमान बेचकर तो कोई बालू का अवैध खनन का कारोबार करके पैसे वाले बने हुएं है। पैसा बनाने के लिए इन लोगों ने खूब मेहनत किया, बचाव के लिए नेताओं का भी सहारा लिया। आज हम आप को ऐसे बालू का अवैध कारोबार करने वाले गुट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में इससे पहले कभी आप लोगों ने शायद विस्तार ने सुना भी नहीं होगा, यह लोग अपने क्षेत्र में पैसे वाले कहलाते हैं, लेकिन पैसा कैसे कमाया, यह हम आप को बताने जा रहें है।

थाना परसरामपुर के ग्राम केशवपुर निवासी 75 साल के रामकुमार सिंह पुत्र स्व.फेरई सिंह रहते हैं, इनके पुत्र का नाम सुनील सिंह हैं, और मुंबई में कारोबार करते है। माह अप्रैल 22 को राजेश सिंह इनके घर गए और कहा कि सरकार सूखा राहत के नाम पर पैसा दे रही है, आप अपना आधार कार्ड, खतौनी और पासबुक दे दीजिए पैसा सीधे खाते में पहुंच जाएगा। तीन साल बाद पता चला कि राजेश सिंह, उमेश सिंह और देवेंद्र प्रताप सिंह जो बालू का अवैध खनन कारोबार में लिप्त हैं, ने मिलकर रामकुमार सिंह के नाम बालू खनन का ठेका उसी आधार कार्ड, खतौनी और पासगुक के नाम पर ले लिया, जो राजेश सिंह ने सूखा राहत का पैसा दिलाने के नाम पर मांगा था। माह फरवरी 24 में जब 96 लाख 10 हजार 130 रुपये की आरसी लेकर अमीन आया, तब परिवार को जालसाजी का पता चला, इतना ही नहीं चालाकी तो देखिए, जारी आरसी के विरुद्ध राजेश सिंह और अन्य ने फर्जी भतीजा बनकर हाईकोर्ट में शपथ-पत्र भी दाखिल कर दिया। इतना ही नहीं बालू डम्पिगं का लाइसेंस भी माता उर्मिला के नाम ले लिया, और जब 10 हजार घन मी. के स्थान पर 23 हजार घन मी. का डंप कर लिया तो 58 लाख जुर्माना भी लगा और जुर्माना भर भी दिया। इस पूरे खेल में खनन अधिकारी, बाढ़ विभाग, लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार शामिल है, जिन लोगों ने मिलकर भारी रकम लेकर खनन स्थल का गलत रिपोर्ट लगा दिया, दिखाया गया बंधा से काफी दूर लेकिन खनन बंधें के बिलकुल पास हो रहा, जिससे बंघे को भी खतरा हो गया। आरसी के बाद पिता रामकुमार सिंह और पुत्र सुनील सिंह कभी हाईकोर्ट तो कभी कमिष्नर तो कभी डीएम और एसपी के यहां चक्कर लगा रहें, यह लोग परसरामपुर पुलिस के पास भी एफआईआर के लिए गए, लेकिन बालू माफियों के दबाव में आकर इन दोनों को थाने से भगा दिया गया। अब आप लोगों की समझ में आ गया होगा कि क्यों पैसे का प्रदर्शन हो रहा है। जिले का इतिहास गवाह है, कि जिसने भी बालू के अवैध कारोबार और खनन में हाथ डाला वह कुछ ही दिनों में करोड़पति हो गया। क्यों कि दुनिया का यह पहला ऐसा कारोबार हैं, जिसमें अवैध खनन का कारोबार करने वालों की कोई पूंजी नहीं लगती, अगर एक लाख लगाया तो 50 लाख कमाया। उमेश सिंह ने पहचान का खूब फायदा उठाया। रामकुमार सिंह के घर आने जाने के पीछे एक सोची समझी साजिश रही। मामला हाईकोर्ट और कमिष्नर न्यायालय में जिसमें डीएम को भी पार्टी बनाया गया।

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