आंतकी डाक्टर्स के खिलाफ मेडिकल सर्जिकल स्टाइक आवश्यक!

आंतकी डाक्टर्स के खिलाफ मेडिकल सर्जिकल स्टाइक आवश्यक!

आंतकी डाक्टर्स के खिलाफ मेडिकल सर्जिकल स्टाइक आवश्यक!


-कोैटिल्य फाउडेशेन के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी ने पीएम को पत्र लिख कहा कि बस्ती में मेडिकल क्षेत्र में भी नकली दवाओं के माफियों और गरीब मरीजों का खून चूसने वाले नर्सिग होम के खिलाफ संवैधानिक सर्जिकल स्टाइक की जरुरत

-अधोमानक दवाओं के जरिए नर्सिगं होम सीएमओ और उनके कार्यालय के कर्मचारी मिलकर गरीब मरीजों को लूट रहें

-जांच, चीड़-फाड़, अल्टासाउंड, सिटी स्कैन और एमआरआई के नाम पर तो मनचाहा धन ले लेते हैं, लेकिन परिणाम नकारात्मक रहता

-डाक्टरी का पेशा सेवा, नर सेवा नरायण सेवा कम संगठित अपराधियों या डाक्टरों के नर्सिगं होम लूट का संवैधानिक अडडा बन गया

-नर्सिगं होम केवल खून चूसने और सरकारी अस्पतालों के डाक्टर कमीशन वाली बाहर की दवाएं लिखते में व्यस्त

-महिला और जिला अस्पतालों से गरीब मराजों का किडनैपिगं कर उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में जे लाया जाता, जहां पर गर्भवती महिलों का खून चूसा जाता, अधिकांश जज्जा और बच्चे की मौत अप्रशिक्षित प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टरों से

-पीएमसी में तो कहने को तो डा. रेनू राय हैं, लेकिन यह खुद न डिलीवरी करवाकार अपनी दाई तक से कराती, जिसके चलते बच्चे की मौत हो गई, दो साल तक यह डाक्टर एक बच्ची को इलाज करती रही, लेकिन इन्हें खुद नहीं मालूम कि वह किस मर्ज का इलाज कर रही

-डा. एसके गौड़ की लापरवाही के चलते बच्चे की मौत तक हो चुकी, डा. सूर्या के यहां तो हडडी का आपरेशन गलत स्थान पर कर दिया गया

-अपील करते हुए कहा कि मेडिकल मानसिक किडनैपिगं के खिलाफ एक बार मेडिकल सर्जिकल स्टराइक किया जाए, ताकि गरीब मरीजों और उनके बच्चें की जान को बचाया जा सके

बस्ती। चौकिएं मत, अगर पीएम मोदी ने कौटिल्य फाउडेशन के चेयरमैन के सुझाव को मान लिया तो बस्ती में मेडिकल सर्जिकल स्टाइक हो सकता है। श्रीतिवारी ने दावे के साथ पीएम को लिखा कि बस्ती में मेडिकल क्षेत्र में नकली दवाओं के माफियों और गरीब मरीजों का खून चूसने वाले नर्सिग होम के डाक्टर्स के खिलाफ संवैधानिक सर्जिकल स्टाइक की जरुरत है। क्यों कि अधोमानक दवाओं के जरिए नर्सिगं होम सीएमओ और उनके कार्यालय के कर्मचारी मिलकर गरीब मरीजों को लूट रहें। जांच, चीड़-फाड़, अल्टासाउंड, सिटी स्कैन और एमआरआई के नाम पर तो मनचाहा धन लेते हैं, लेकिन परिणाम नकारात्मक रहता है। डाक्टरी का पेशा सेवा, नर सेवा नरायण सेवा कम संगठित अपराधियों या डाक्टरों के नर्सिगं होम लूट का संवैधानिक अडडा बन गया। नर्सिगं होम केवल खून चूसने और सरकारी अस्पतालों के डाक्टर कमीशन वाली बाहर की दवाएं लिखते में व्यस्त/मस्त है। महिला और जिला अस्पतालों से गरीब मरीजों का किडनैप कर उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में जे लाया जाता, जहां पर गर्भवती महिलाओं का डिलीवरी और आरेशन के नाम पर खून चूसा जाता, अधिकांश जज्जा और बच्चे की मौत अप्रशिक्षित प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टरों से हो रही है। पीएमसी में तो कहने को तो डा. रेनू राय हैं, लेकिन यह खुद न डिलीवरी कर अपनी दाई तक से करवाती, जिसके चलते बच्चे की मौत हो चुकी है। जिस डिलीवरी के लिए यह 32 हजार मांग रही थी, वह डिलीवरी मेडिकल कालेज में निःशुल्क हुआ, इससे पता चलता है, कि डाक्टर वाकई मरीजों का खून चूस रही है। यह डाक्टर दो साल तक एक बच्ची का इलाज करती रही, लेकिन इन्हें खुद नहीं मालूम कि वह किस मर्ज का इलाज कर रही, बाद में जांच में बच्ची को थर्ड स्टेज का कैंसर निकला। डा. एसके गौड़ की लापरवाही के चलते बच्चे की मौत तक हो चुकी, डा. सूर्या के यहां तो हडडी का आपरेशन गलत स्थान पर कर दिया गया। अपील करते हुए कहा कि मेडिकल मानसिक किडनैपिगं के खिलाफ एक बार मेडिकल सर्जिकल स्टराइक किया जाए, ताकि गरीब मरीजों और उनके बच्चें की जान को बचाया जा सके। लिखते हैं, कि आपकी अतिमहत्वाकांक्षी योजना प्रधामंत्री जन औषधि दवाएं मरीजों को पेटेंट दवा बताकर जेनरिक दवाएं दे रहे है। जिससे मरीजों को सस्ती दवा नहीं मिल पा रही है। लिखा कि प्राइवेट अस्पतालों पर सीएमओ का कोई भी नियंत्रण नहीं है, डाक्टर कानपुर का पैथालाजी पर रिपोर्ट कोई और फर्जी डाक्टर लगा रहा। मानो ऐसे लोगों को लूट का नैतिक अधिकार मिल गया हो। आए दिन नवजात बच्चों की हत्या हो रही है। गर्भवर्ती महिलाओं की मृत्यु आम बात हो गई है। सीएमओ यह तक देखने नहीं जाते कि जिसको उन्होंने लाइसेंस दिया वह मानक पर सही है, या नहीं? आयुषमान जैसी योजना को पलीता लगा रहे है। आंख तक फोड़ दे रहे है। बीमारी बुखार का उसे सीरिएस बताकर पैसा एंठने के आईसीयू में भर्ती कर दे रहे है। एक भी आयुष्मान वाला अस्पताल मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है, स्टार अस्पताज में तो मरीज का इलाज स्टोर में करता हुआ मिला।

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