आचार्य जी ने आधुनिक समाज को एक अत्यंत प्रासंगिक संदेश दिया

आचार्य जी ने आधुनिक समाज को एक अत्यंत प्रासंगिक संदेश दिया

आचार्य जी ने आधुनिक समाज को एक अत्यंत प्रासंगिक संदेश दिया

बनकटी/बस्ती। स्थानीय विकास क्षेत्र के बघाड़ी गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर वृंदावन धाम से पधारे आचार्य पंडित उत्कर्ष पांडेय ने निर्गुण और सगुण ब्रह्म के गूढ़ रहस्य का वर्णन करते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि परमात्मा एक ही है, जब भक्तों को आवश्यकता होती है, तो वही अव्यक्त (निर्गुण) शक्ति व्यक्त (सगुण) रूप धारण कर लेती है। उन्होंने कहा, ष्वास्तव में, निर्गुण ही सगुण का आधार है, ठीक वैसे ही जैसे निराकार ब्रह्म ही साकार रूप में प्रकट होते हैं। ऊं नाम जप की महिमा और नारद जी का दृष्टांत कथा को आगे बढ़ाते हुए आचार्य जी ने नाम जप के असाधारण महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने देवर्षि नारद जी के पूर्व जन्म का प्रेरक दृष्टांत प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार नारद जी अपने पूर्व जन्म में एक दासी पुत्र थे, किंतु निरंतर नाम-संकीर्तन और साधु-सेवा के बल पर उन्हें अगले जन्म में स्वयं ब्रह्मा जी के मानस पुत्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

आचार्य श्री ने बताया कि नाम जप की इसी शक्ति से नारद जी ने महर्षि वेदव्यास जी की मनोशांति भंग होने पर उन्हें चार श्लोकों वाली मूल भागवत का उपदेश दिया। इसी उपदेश के फलस्वरूप, व्यास जी ने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना कर ज्ञान का वह अक्षय भंडार मानव मात्र को प्रदान किया, जो आज भी जीवन को दिशा दे रहा है। शुकदेव जी का वैराग्य और पर्यावरण संरक्षण का संदेश। तृतीय दिवस की कथा का महत्वपूर्ण अंग शुकदेव जी के जीवन चरित्र का वर्णन रहा। आचार्य जी ने शुकदेव जी के परम वैराग्यपूर्ण जीवन और वनवास में उनके तपस्वी जीवन-यापन का मार्मिक चित्रण किया। इसी प्रसंग में, आचार्य जी ने आधुनिक समाज को एक अत्यंत प्रासंगिक संदेश दिया। उन्होंने वन रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए उद्घोष कियारू ष्प्रकृति ही साक्षात भगवान का स्वरूप है। उन्होंने समझाया कि वनों, नदियों और समस्त प्राकृतिक संपदा की रक्षा करना हमारी केवल सामाजिक नहीं, अपितु आध्यात्मिक जिम्मेदारी भी है। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि इसमें ही हमें परमात्मा की झलक मिलती है।

कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं ने आचार्य जी के आध्यात्मिक विवेचन और सामाजिक संदेश को सुनकर भाव विभोर होकर जयकारे लगाए। मुख्य आयोजक बलराम प्रसाद शुक्ल ने कथा में पहुंचने वाले भक्तों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर दुर्गा प्रसाद मिश्र, कैलाश पान्डेय, राधेश्याम पान्डेय, प्रत्यूष मिश्र, विराट मिश्र, राजेश शुक्ल, बृजेश, गंगेश, शिखर, विश्वास, जनार्दन चौधरी, राम बुझारत प्रजापति, शिवपूजन के साथ तमाम श्रदालु उपस्थित रहें।

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