42 लाख का गबन करने वाले विचित्रमणि वर्मा को मिला पुरस्कार

42 लाख का गबन करने वाले विचित्रमणि वर्मा को मिला पुरस्कार

42 लाख का गबन करने वाले विचित्रमणि वर्मा को मिला पुरस्कार

-2023-24 में विचित्रमणि वर्मा ने बहादुरपुर के बेलवाड़ाड का प्रभारी रहते 41.44 का धान का गबन किया, एफआईआर का आदेश भी हुआ, लेकिन इन्होंने अपने पास से पैसा जमा कर दिया

-अब इन्हें 41.44 लाख की भरपाई करने के लिए एआर ने फिर से इन्हें नाम बदल कर इस बार बी.पैक्स कलवारी का सेंटर प्रभारी बनाने का प्रस्ताव दिया

-इसी तरह हर्रैया के बी. पैक्स पिकौरा चौधरी का प्रभारी बनाने के लिए एआर ने ऐसे राजेष कुमार नामक व्यक्ति का प्रभारी बनाने का प्रस्ताव दिया, जो समिति का कर्मचारी ही नहीं है, इन्हें एआर ने सात साल पहले की नियुक्ति दिखाकर प्रभारी बना दिया

-रही बात एआर के चहेते दिनेश उपाध्याय की बात तो इनके लिए बी. पैक्स सिसवारी मुगल का सेंटर एलाट कर दिया, जबकि यह पहले से ही बसडीला सेंटर के प्रभारी

रानीपुर के सेंटर प्रभारी विजय नाथ पांडेय भी समिति के कर्मचारी नहीं हैं, फिर भी इन्हें प्रभारी बना दिया गया, बताया जाता है, कि यह सेंटर एआर का

बस्ती।...किसी ने भी करोड़ों के धान गबन से कोई सबक नहीं लिया। फिर वही कहानी दोहराई जा रही है, जो 23-24 में दोहराई गई। लोगों को लगा था, कि चलो इस बार तो धान खरीद सही तरीके से होगी। कमिष्नर और डीएम से लेकर राजधानी के अधिकारी बार-बार कहते रहें कि इस बार वह नहीं होगा, जो 23-24 की धान खरीद में हुआ। कहा भी जाता है, कि जबतक आशिष कुमार, दिनेश उपाध्याय और संतोष वर्मा की तिकड़ी जिले में रहेगी, तब तक ना तो धान और ना गेहूं की खरीद ही क्रय नीति के तहत हो सकती है। अब जरा अंदाजा लगाइए कि जिन लोगों को प्रतिबंधित किया गया था, उन्हीें लोगों लूटने के लिए फिर से सेंटर प्रभारी बना दिया गया। इसमें सबसे बड़ा नाम विचित्र मणि वर्मा का आता है। यह वहीं सेंटर प्रभारी हैं, जिन्होंने बेल़वाड़ाड़ केंद्र पर प्रभारी रहते 41.44 लाख रुपये के धान का गबन किया, इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेष भी हुए लेंकिन एआर के चहेता होने के नाते 40 दिन बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हुआ, बल्कि इनसे 41.44 लाख जमा करवा कर इन्हें क्लीन चिट दे दिया गया, अब एआर ने 41.44 लाख की भरपाई के लिए इन्हें फिर से सेंटर प्रभारी बनाने का प्रस्ताव दे दिया, चालाकी दिखाते हुए सेंटर का नाम बदल दिया, इस बार बी. पैक्स कलवारी के नाम से इन्हें सेंटर एलाट कर दिया गया, और कहा गया कि इनकी छवि बहुत अच्छी हैं, और इन पर कोई बकाया भी नहीं है। एआर साहब क्या आप बताएगें कि क्या विचित्र मणि वर्मा अच्छी श्रेणी में आते है। बताया जा रहा है, इनकी पैरवी एक ऐसे अधिकारी ने की, जिन्होंने इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इसी लिए कहा जाता है, कि हमाम में सभी नंगे है। भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्ट केंद्र प्रभारियों का तब तक गठजोड़ रहेगा, तब तक विचित्रमणि वर्मा, संतोश वर्मा, दिनेश उपाध्याय और आषीष कुमार जैसे लोग पनपते रहेंगे। एआर और बाबू के सबसे चहेते दिनेश उपाध्याय को सेंटर प्रभारी बनाने के लिए इन्हें एडजस्ट किया गया, पहले बने सेंटर प्रभारी से लिखवा लिया गया कि हम सेंटर चलाने में अस्मर्थ हैं, फिर उसके बाद एआर ने इन्हें एडजस्ट करने के लिए बसडीला का सेंटर प्रभारी बना दिया, यह यही के सचिव भी है। अभी तक यह प्राइवेट को प्रभारी बनाकर मलाई काट रहे थे, लेकिन अब यह प्रभारी बने है। वह भी मजबूरी में। अब इन्हें एआर ने फिर सांउघाट के सिसवारी मुगल का प्रभारी बनाने के लिए प्रस्ताव दिया है। यानि दो-दो सेंटरों पर यह एक साथ असली/नकली धान की खरीद करेंगे। वैसे इनका रिकार्ड अच्छा रहा है, यह बेईमानी में भी पूरी ईमानदारी रखते है। खरीद तो बहुत करते हैं, लेकिन धान बकाया नहीं रहता। बताया जाता है, कि पिकौरा चौधरी में जिस राजेष कुमार को सेंटर प्रभारी बनाने का प्रस्ताव दिया गया, उनकी नियुक्ति को सात साल बैक डेट में दिखाकर किया गया, बताया जाता है, कि जिस एडीसीओ का हस्ताक्षर है, वह फर्जी है। क्यों कि इन्हें सात साल से एक रुपये का वेतन नहीं मिला। बहरहाल, अगर देखा जाए तो एआर कार्यालय और पीसीएफ कार्यालय की गंदगी नहीं साफ हुई।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *