27-27 लाख में बिका सांसद और विधायक का एक-एक पैड

27-27 लाख में बिका सांसद और विधायक का एक-एक पैड

27-27 लाख में बिका सांसद और विधायक का एक-एक पैड

-डीपीआरओ ने प्रधानों से कहा सांसद और विधायक का पैड लाओ लाखों ले जाओ, पंचायत विभाग को कंगाल कर गए डीपीआरओ

-फिर हुआ अन्त्येष्टि स्थल के नाम पर करोड़ों का गोलमाल, जिन प्रधानों ने अधिक बखरा दिया उसी को दे दिया 27 लाख

-ऐसी-ऐसी ग्राम पंचायतों को अन्त्येष्ट स्थल के नाम पर पैसा दिया, जहां पर इससे पहले 27 लाख दिया जा चुका

-इससे पहले भी 32 अन्त्येष्टि स्थल के नाम पर हो चुका लगभग नौ करोड़ का घोटाला, सड़कों और बाग में ढ़ाचा खड़ा करके पैसा लूट लिया किनारे

-जाते-जाते 15 सफाई कर्मियों का तबादला करके हाथ साफ कर गए, गबन के आरोपी सचिवों के खिलाफ कार्रवाई न करने और उन्हें क्लीन चिट देने के नाम पर तिजोरी भर गए

-शपथ-पत्र के साथ मुख्यमंत्री से डीपीआरओ रतन कुमार की अचल संपत्तियों की जांच सतर्कता विभाग से कराने की अविनाश सिंह ने की मांग

बस्ती। चौंकिए मतः सांसद और विधायकों का एक-एक पैड 27-27 लाख में बिका है। दो करोड़ 16 लाख में बिका आठ पैड। बेचने वाले का नाम डीपीआरओ रतन कुमार और खरीदने वाले का नाम असली/नकली प्रधान। इन लोगों से डीपीआरओ ने कहा कि जाओ और सांसद/विधायका का पैड ले आओ और 27 लाख ले जाओ। अन्त्येष्टि स्थल बनवाना या न बनवाना, तुम्हारी मर्जी लेकिन हम्हें प्रत्येक अन्त्येष्टि स्थल पर पांच-पांच लाख एडवांस में चाहिए। अगर किसी असली/नकली प्रधान को पांच लाख के एवज में 27 लाख मिल रहा है, यानि पांच लाख लगाकर 22 लाख का मुनाफा हो रहा है, तो कौन बेवकूफ होगा जो पांच लाख नहीं दे देगा, नहीं होगा तो बाजार से सूद पर लेकर देगा। भले ही प्रधानों ने सांसद और विधायकों का पैड बेचा, इस लेकर सांसद और विधायकों पर इस बात का जरा सा भी मलाल नहीं रहता कि कोई उनका पैड रहा है, कि कहीं और इस्तेमाल कर रहा। कहा भी जाता है, कि पैड के मामले में सांसद और विधायकों को संयम बरतना होगा, क्यों कि आरोप तो उनपर भी लगेगा। भले ही चाहें उन्होंने कोई बेचा या न बेचा हो, आरोप लगना तो लाजिमी है। इन्हें यह तक नहीं मालूम होगा कि उनके पेड का दुरुपयोग हो रहा है, या फिर सदुपयोग। इससे पहले भी 32 असली/नकली प्रधान सांसद और विधायकों का पैड लगभग नौ करोड़ में बेच चुके है। तब भी तत्कालीन डीपीआरओ ने मांर्च माह के अंतिम दिन प्रधानों से पांच-पांच लाख लेकर लगभग नौ करोड़ का अन्त्येष्टि स्थल का पैसा दिया था। बाद में मामला मीडिया में आने के बाद जब इसकी जांच हुई तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आया। 32 में एक भी प्रधान ने अन्त्येष्टि स्थल का पूर्ण निर्माण नहीं करवा, पताचला कि कार्रवाई से बचने के लिए अधिकांष भ्रष्टाचारी प्रधानों ने सड़कों के किनारे और बगिया में ढ़ाचा खड़ा कर दिया, आज भी वह ढ़ाचा व्यवस्था को चिढ़ा रहा है। अब वही कहानी फिर दोहराई जा रही है। इस बार भी पहले की तरह पांच-पांच लाख डीपीआरओ ने लेकर धन एलाट किया। कहने का मतलब पहले भी अन्त्येष्टि स्थल के नाम पर डीपीआरओ लगभग दो करोड़ लूट कर लेकर चले गए, इस बार भी 40 लाख ले गए। जाहिर सी बात है, कि निर्माण करने के लिए प्रधानों ने तो पांच-पांच लाख दिया नहीं होगा। वैसे भी अन्त्येष्टि स्थल के नाम पर अमहट और मूड़घाट में करोड़ों रुपये का गोलमाल हो चुका है। यानि जब-जब अन्त्येष्टि स्थल के नाम पर बजट आया, लूट पाट ही हुआ। दावा किया जा रहा है, कि जब वर्तमान के आठ अन्त्येष्टि स्थल की जांच भविष्य में होगी और जांच होना तय है, तब भी वही रिपोर्ट सामने आएगी, जो 32 अन्त्येष्टि स्थल के मामले में आ चुकी है। भले ही प्रधानों ने सांसद और विधायकों का पैड बेचा, लेकिन अब सांसद और विधायकों की यह जिम्मेदारी हो जाती है, कि वह अन्त्येष्ट स्थल का निर्माण करवाए। वैसे चर्चा तो यह भी हो रही है, कि सांसद और विधायकों ने एक तरह से अपने चहेतें असली/नकली प्रधानों को कार्यकाल के अंतिम चरण में 22-22 लाख का तोहफा दिया। चार साल से अधिक समय से तो प्रधान लूटते रहें, अंतिम समय में इन्हें सांसद और विधायकों ने मौका दे दिया। जनप्रतिनिधि चाहें कोई भी हो अधिकांश लोग भ्रष्टाचार रुपी नांव में एक साथ सवार रहते है।

सीएम से की डीपीआरओ के चल-अचल संपत्ति के जांच की मांग

जयपुरवा निवासी अविनाष सिंह ने सीएम को पत्र लिखकर ढरपरआरओ रतन कुमार के चल-अचल संपत्तियों की जांच सतकर्ता विभाग से कराने की है। जांच की मांग शपथ-पत्र पर किया गया। वैसे इस षिकायत पत्र को दबाने का खूब प्रयास किया गया, लगभग एक माह तक दबाए रखा गया, लेकिन जब यह पत्र लखनउ से वायरल हुआ तो लोगों को पता चला कि डीपीआरओ तो पूरा जिला लूटकर कुच कर गए। कहा गया कि जब से इनकी तैनाती बस्ती में हुई, तब से इनके द्वारा काफी अनियमितता करते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया, इन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में इनके इनके द्वारा अकूत चल और अचल संपत्ति एकत्रित की गई। कहा गया कि इनके द्वारा मानव सम्पदा पोर्टल पर जो चल और अचल संपत्ति का विवरण दिया गया, वह सही है, दिए गए विवरण से हजार गुना संपत्ति इनके पास है। सीएम से पोर्टल के विवरण का मिलान करते हुए जांच की जाए। जाते-जाते इन्होंने रकम लेकर 15 सफाई कर्मियों को उनके इच्छित स्थानों पर भेजा। गबन के आरोपी सचिवों से पैसा लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं किया, जिन लोगों ने अधिक भुगतान किया, उन्हें क्लीन चिट दे दिया। हर काम के बदले पैसा लेना इनकी आदत बन चुकी थी। आज तक इन्होंने एक भी भ्रष्ट सचिव के खिलाफ कार्रवाई नहीं किया, बल्कि क्लीन चिट देने के नाम पर धन उगाही किया। इन्हीं के कार्यकाल में ही सबसे अधिक सरकारी धन का दुरुपयोग प्रधानों और सचिवों ने किया, भ्रष्टाचार की आंच एडीओ पंचायत तक भी पहुंची।

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