वकील ने एसडीएम को ऐसा तमाचा जड़ा, कि पूरा तहसील गूंज उठा!

वकील ने एसडीएम को ऐसा तमाचा जड़ा, कि पूरा तहसील गूंज उठा!

वकील ने एसडीएम को ऐसा तमाचा जड़ा, कि पूरा तहसील गूंज उठा!


अब योगी राज में एडीएम भी मार खाने लगे, कानून के राज की धज्जियां हर्रैया तहसील में उड़ी

-अगर अधिवक्ता के हाथों एसडीएम मार खाने लगेंगे तो फिर पेशकार का क्या होगा?

-अगर अधिवक्ता ही कानून को हाथ में लेने लगें तो देश और समाज का क्या होगा?

-किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं भले ही चाहें पीएम ही क्यों न हो?

-इस एक घटना से यह साबित हो गया कि हर्रैया तहसील में या तो नियम से काम नहीं हो रहा है, या फिर गलत काम हो रहा

-हर्रैया तहसील क्षेत्र में एक तरह से आराजकता का माहौल सा हो गया, और इसके लिए लालची लेखपाल, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और एसडीएम को जिम्मेदार माना जा रहा

-इसी तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक सरकारी जमीनों पर भूमाफियों ने कब्जा कर रखा़, सीतारामपुर गांव को कौन भूल सकता, जहां अरबों की सरकारी जमीनों को बेचा गया

बस्ती। अधिवक्ता महीनाथ तिवारी ने एसडीएम मनोज प्रकाश को सबके सामने इतनी जोर का तमाचा जड़ा, जिसकी गूंज पूरे तहसील परिसर में सुनाई दी। एसडीएम साहब को अगर जरा भी आभास होता कि गाड़ी से उतरते ही वह मार खा जाएगें, तो वह उतरते ही नही। अगर यही थप्पड़ गांव का कोई फरियादी मारता तो बात में समझ में आती, लेकिन अगर कोई अधिवक्ता खुले और सरेआम पीसीएस रैंक के अधिकारी एसडीएम को थप्पड़ मारता तो किसी के भी समझ में नहीं आ रहा है। अगर कानून के रखवाले ही कानून के रखवाले को मारने पीटने लगे तो फिर योगी के कानून राज का क्या होगा? योगीजी को भी यह आभास नहीं रहा होगा, कि जिस कानून राज की वह बाते करते हैं, उसी की धज्जियां बस्ती जैसे जिले में बार-बार उड़ाई जा रही है। अधिकारियों को अपशब्द कहना तो कई बार सुना गया, लेकिन मार खाना बहुत कम सुना गया, इससे पहले बहादुरपुर के बीडीओ को उन्हीं के चेंबर में एक नकली प्रमुख के द्वारा मारने पीटने की घटना हो चुकी है। कहा भी जा रहा है, कि अगर अधिवक्ता के हाथों एसडीएम मार खाने लगेंगे तो फिर पेशकर का क्या होगा? अगर अधिवक्ता ही कानून को हाथ में लेने लगें तो देष और समाज का क्या होगा? किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं भले ही चाहें पीएम ही क्यों न हो? इस एक घटना से यह साबित हो गया कि हर्रैया तहसील में या तो नियम से काम हो रहा है, या फिर गलत काम हो रहा। हर्रैया तहसील क्षेत्र में एक तरह से आराजकता का माहौल सा हो गया, और इसके लिए लालची लेखपाल, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और एसडीएम को जिम्मेदार माना जा रहा। इसी तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक सरकारी जमीनों पर भूमाफियों ने कब्जा कर रखा़, सीतारामपुर गांव को कौन भूल सकता, जहां अरबों की सरकारी जमीनों को लेखपालों और हर्रैया तहसील के लोगों ने भूमाफियों के हाथों बेच दिया। हर्रैया में ही सबसे अधिक लेखपाल घूस लेते पकड़े जाते है।

हर्रैया तहसील में एक बेहद सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक और न्यायिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। हर्रैया तहसील में एक वकील द्वारा उप-जिलाधिकारी मनोज प्रकाश को सरेआम थप्पड़ मारने का मामला सामने आया है। इस घटना ने एक बार फिर वकीलों के आचरण और प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हर्रैया तहसील के उप जिलाधिकारी मनोज कुमार को उनके ही कार्यालय परिसर के बाहर एक वरिष्ठ अधिवक्ता, महीनाथ तिवारी ने थप्पड़ जड़ दिया। यह घटना उस वक्त हुई जब मनोज कुमार अपनी सरकारी गाड़ी से उतर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक गाड़ी से उतरते ही वकील महीनाथ तिवारी अचानक उनके सामने आ गए। इससे पहले कि एसडीएम कुछ समझ पाते, अधिवक्ता ने उन्हें जोरदार थप्पड़ मार दिया। इस अप्रत्याशित हमले से मौके पर मौजूद स्टाफ और कुछ अन्य लोग सकते में आ गए। आनन-फानन में बीच-बचाव किया गया। घटना के पीछे की वजह किसी न्यायिक मामले में  पक्ष में न रहने से वकील की नाराजगी बताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि वकील महीनाथ तिवारी काफी समय से एक विशेश मामले में अपने हक में फैसला चाह रहे थे, लेकिन जब एसडीएम ने नियमों के तहत काम करते हुए उनकी बात नहीं मानी, तो वकील ने आपा खो दिया। इस गंभीर घटना के बाद मनोज कुमार ने तत्काल हर्रैया थाने में अधिवक्ता महीनाथ तिवारी के खिलाफ लिखित तहरीर दी। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। हर्रैया थाने के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि, ष्हमने ैक्ड साहब की तहरीर के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है। यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में शामिल लोगों के आचरण पर भी गंभीर सवाल खड़ा करती। वकीलों का यह दायित्व है कि वे कानून का सम्मान करें और न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही अपनी बात रखें। इस तरह की हिंसक प्रवृत्ति न्यायिक पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाती है।

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