दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार, 22 जनवरी को उन्नाव रेप मामले के दोषी......

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार, 22 जनवरी को उन्नाव रेप मामले के दोषी......

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार, 22 जनवरी को उन्नाव रेप मामले के दोषी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अंतरिम जमानत दी है। यह जमानत उनकी मोतियाबिंद सर्जरी के लिए दी गई है। हाई कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस नवील चावला और जस्टिस शैलेंद्र कौर शामिल थे, ने अपने आदेश में कहा कि सेंगर को 23 जनवरी को तिहाड़ जेल से रिहा किया जाएगा। 24 जनवरी को उन्हें सर्जरी के लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती किया जाएगा।

27 जनवरी को आत्मसमर्पण का आदेश

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि सर्जरी के बाद सेंगर को 27 जनवरी को जेल में वापस आत्मसमर्पण करना होगा। अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया कि अस्पताल में उनके वार्ड में दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल तैनात रहेगा। इसके अलावा, यदि किसी कारणवश 24 जनवरी को सर्जरी नहीं हो पाती है, तो सेंगर को उसी दिन जेल लौटना होगा।

पिछली जमानत का संदर्भ

यह ध्यान देने योग्य है कि सेंगर को इससे पहले भी स्वास्थ्य कारणों के आधार पर अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसकी अवधि 20 जनवरी को समाप्त हो गई थी। 20 जनवरी को ही उन्होंने तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था। 2022 में, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें उनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए दो सप्ताह की जमानत दी गई थी।

मामले की पृष्ठभूमि

कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में एक नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के मामले में दोषी ठहराया गया था। यह मामला उस समय चर्चा में आया था जब पीड़िता ने सेंगर और उनके साथियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। पीड़िता और उसके परिवार ने स्थानीय पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 2019 में इसे उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था। दिल्ली की अदालत ने सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सेंगर को अपनी शेष जिंदगी जेल में ही बितानी होगी।

पीड़िता के संघर्ष और केस का प्रभाव

पीड़िता और उसके परिवार को इस मामले में न्याय पाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा। मामला तब और गंभीर हो गया जब पीड़िता के परिवार के सदस्यों के साथ सड़क हादसा हुआ, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। आरोप लगाए गए कि यह हादसा सेंगर और उनके साथियों द्वारा करवाया गया था।

इस घटना ने देशभर में आक्रोश पैदा किया और महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए गए। यह मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली में प्रभावशाली उदाहरण बन गया, जिसमें पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और मौजूदा स्थिति

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच और सुनवाई के लिए कड़े निर्देश जारी किए थे। मामले को तेजी से निपटाने के लिए एक विशेष अदालत का गठन किया गया था। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस केस को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए।

अब सेंगर को एम्स में मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए कुछ दिनों की अंतरिम जमानत दी गई है। यह जमानत पूरी तरह से चिकित्सा उपचार तक सीमित है। अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सर्जरी के बाद सेंगर को जेल में आत्मसमर्पण करना होगा, जिससे उनकी सजा प्रक्रिया प्रभावित न हो।

न्यायिक प्रणाली और समाज पर असर

यह मामला केवल एक अपराध से संबंधित नहीं है, बल्कि इससे समाज और न्यायिक प्रणाली पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। इसने यह दिखाया है कि प्रभावशाली लोगों के खिलाफ भी कानून अपना काम कर सकता है। हालांकि, यह भी स्पष्ट हुआ कि पीड़िता और उसके परिवार को न्याय पाने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

भविष्य की संभावना

कुलदीप सिंह सेंगर का मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है। इससे यह साबित होता है कि न्यायिक प्रक्रिया के जरिए पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सकता है, भले ही आरोपी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। हालांकि, यह भी आवश्यक है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाए जाएं और न्यायिक प्रक्रिया को और तेज और संवेदनशील बनाया जाए।

अब देखना होगा कि 27 जनवरी को सेंगर जेल में आत्मसमर्पण करते हैं या नहीं और अदालत उनके स्वास्थ्य और अन्य मुद्दों को किस तरह संभालती है।

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