साइकिल से बीमा बेचने वाला रोड एजेंट बना टाइम सिटी का चेयरमैन!

साइकिल से बीमा बेचने वाला रोड एजेंट बना टाइम सिटी का चेयरमैन!

साइकिल से बीमा बेचने वाला रोड एजेंट बना टाइम सिटी का चेयरमैन!

-बीमा बेचते-बेचते पंकज कुमार पाठक बन गए टाइम सिटी के चेयरमैन, विधायक और महागुरु बनने की चाह ने चेले को पहुंचा दिया जेल

-जब गुरु सीपी शुक्ल विधायक बन सकते हैं, तो चेला क्यों नहीं? विधायक तो नहीं बन पाए अलबत्ता टाइम सिटी कंपनी को अवष्य डुबो दिया

-हजार करोड़ की कंपनी को सड़क पर ला दिया, कंपनी अब मात्र 250 करोड़ की रह गई, गरीब जमाकर्त्ताओं का पैसा मारकर जो राज कर रहे हैं, एक दिन उन्हें भी सुवर्तो राय जैसी हालत हो जाएगी

-धोकरकसवा बनकर जिस तरह गरीबों के धन पर डांका डाला, उसकी सजा पाठक सहित उन लोगों को अवष्य मिलेगी, जिन्होंने निवेशकों को धोखा दिया

-कंपनी के रुल्स औा रेगुलेशन को जो कोई ब्रेक करेगा उसकी हालत टाइम सिटी के पूर्व चेयरमैन सीपी शुक्ल और वर्तमान चेयरमैन पंकज कुमार पाठक जैसी हो जाएगी

-चिट फंड के जिस भी चेयरमैन ने विष्वास किया, उसे धोखा ही मिला और मिलेगा, कंपनी विष्वास पर नहीं बल्कि बनाए गए नियम और कानून से चलती

बस्ती। अगर किसी बीमा एजेंट को रातों-रात करोड़पति और किसी कंपनी का चेयरमैन बनना हैं, तो वह इसका मंत्र टाइम सिटी के चेयरमैन पंकज कुमार पाठक से ले सकता है। इतना ही नहीं अगर किसी चेले को महागुरु बनने की इच्छा हैं, तो वह पाठकजी से संपर्क कर सकता है। क्यों कि यही वह पाठकजी हैं, जो कुछ साल पहले साइकिल से घर-घर जाकर बीमा बेचते थे, अपनी मेहनत और बेईमानी के बल पर आज वही पंकज कुमार पाठक टाइम सिटी जैसी नामीगिरामी कंपनी का चेयरमैन बने हुए। इन्होंने उन लोगों को सीखाया और बताया जो बेईमानी और धोखा देकर रातों-रात अमीर बनना चाहते है। पाठकजी अमीर तो बन गए, लेकिन इनका विधायक और महागुरु बनने की तमन्ना तो पूरी नहीं हुई, अलबत्ता जेल की हवा अवष्य खानी पड़ी।

जाहिर सी बात हैं, कि विधायक बनने और टिकट पाने के लिए करोड़ों खर्च करने पड़ते हैं, ऐसे में इनका साथ कंपनी के निदेशकों ने खूब दिया, जितना भी पैसा चाहा उतना पैसा कंपनी से निकालकर अपने लोगों के खाते में डाल दिया। इतनी बेईमानी करने के बाद भी पाठकजी न तो गुरु सीपी शुक्ल जैसा विधायक बन पाए और न उनके जैसा महागुरु ही बन सके, अलबत्ता टाइम सिटी कंपनी के निवेशकों का पैसा मारकर कंपनी को अवष्य डुबो दिया। हजार करोड़ की कंपनी को सड़क पर ला दिया, कंपनी अब मात्र 250 करोड़ की रह गई, गरीब जमाकर्त्ताओं का पैसा मारकर यह और इनके चहेते निदेषक जो राज कर रहे हैं, एक दिन उनकी भी हालत सुवर्तो राय जैसी होने वाली है। धोकरकसवा बनकर जिस तरह गरीबों के धन पर डांका डाला, उसकी सजा पाठकजी सहित उन लोगों को अवष्य मिलेगी, जिन्होंने निवेशकों को धोखा दिया और उनका पैसा मारा।

कहा भी जाता है, कि जो कोई कंपनी के रुल्स और रेगुलेषन का वायलेशन करेगा उसकी हालत टाइम सिटी के पूर्व चेयरमैन सीपी षुक्ल और वर्तमान चेयरमैन पंकज कुमार पाठक जैसी हो जाएगी। पूर्व चेयरमैन आज पछता रहें हैं, कि क्यों उन्होंने पंकज कुमार पाठक पर भरोसा किया? और क्यों उन्हें हजार करोड़ की कंपनी को हवाले कर दिया? कोई भी कंपनी दया, भाव, विष्वास, चोरी चमारी से नहीं चलती, बल्कि सुशासन और ईमानदारी से चलती है। अगर टाइम सिटी के जिम्मेदारों के भीतर ईमानदारी होती तो आज कंपनी के हजारों निवेशकों और कार्यकर्त्ताओं को रोना न पड़ता। यह सही है, कि वर्तमान चेयरमैन की यह जिम्मेदारी बनती है, कि वह निवेशकों का या तो पैसा वापस करें जमीन का बैनामा करे।  देखा जाए तो टाइम सिटी कंपनी चलाने और धोकरकसवा में कोई अंतर नहीं, क्यों कि धोकरकसवा भेष बदलकर आता है, और सबको लूट कर चला जाता, इसी तरह कंपनी वाले भी भेष बदलकर आए और गरीबों को लूटकर महल खड़ा कर लिया। निवेशकों को भी यह सोचना चाहिए कि अमीर बनाने/बनने की कोई मशीन नहीं होती, अगर होती तो आज हर गली मोहल्ले में अंबानी और अदानी जैसे लोग होते, कहना गलत नहीं होगा कि निवेशकों का लालची स्वभाव ही उन्हें बार-बार लू डूबता है। बस्ती के निवेशकों को यह सलाह दी जा रही है, कि वह खुलकर सामने आए और उन लोगों के खिलाफ आवाज उठाएं और उन्हें बेनकाब करें, जिन लोगों ने धोखा दिया। सभी पीड़ित निवेशकों को एक बैनर तले आना होगा, धरना और प्रदर्शन के जरिए अपनी आवाज को शासन और प्रशासन तक पहुंचाना होगा, निवेशकों के पैसे को ठगने वाले लोगों की जांच कराने की मांग करनी होगी, एफआईआर दर्ज कराना होगा, ध्यान रहे अभी तक बस्ती में एक भी एफआईआर नहीं हुआ। जब भी एफआईआर दर्ज कराने की बात उठती है, तो कहा जाता है, एफआईआर दर्ज कराने से उनका पैसा पूरी तरह फंस और डूब जाएगा, अभी तो वापस मिलने की संभावना है। जो लोग गलत फहमी में जी रहे हैं, उन्हें यह जान लेना चाहिए कि जब सुप्रीम कोर्ट सहारा के निवेशकों को पैसा वापस नहीं दिला सकी तो समझ सकते हैं, पैसा वापस मिलना कितना कठिन है। उन लोगों के रास्ते में भी कई कानूनी अड़चने सामने आ रही हैं, जो निवेशकों का पैसा वापस दिलाने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ रहे हैं।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *