पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चिता की आग ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि उनके अंतिम संस्कार को लेकर राजनीति शुरू हो गई।
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 2 January, 2025 18:28
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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की चिता की आग ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि उनके अंतिम संस्कार को लेकर राजनीति शुरू हो गई। इस विवाद को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान ने और हवा दी, जिसमें उन्होंने कहा कि देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार कराकर केंद्र सरकार ने उनका अपमान किया है।इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया। इस सियासी खींचतान के बीच मनमोहन सिंह का परिवार चुप है। कांग्रेस का कहना है कि मनमोहन सिंह का गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार नहीं हुआ। इसका एक कारण 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस पर लगे दाग भी हो सकते हैं, जो भाजपा हमेशा से उठाती रही है।संभावना है कि कांग्रेस इस मुद्दे को उठाकर सिख समुदाय, विशेषकर पंजाब और दिल्ली में, अपनी पैठ मजबूत करना चाहती हो। दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव और वहां सिख समुदाय की चार प्रतिशत जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए यह कदम स्वाभाविक है।लेकिन सवाल यह भी उठता है कि कांग्रेस ने नरसिंह राव और विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे नेताओं के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार दिल्ली में क्यों नहीं किए, जबकि उस समय केंद्र और दिल्ली दोनों में कांग्रेस की ही सरकार थी। नरसिंह राव के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय के बाहर घंटों खड़ा रखा गया, लेकिन गेट नहीं खोला गया। उनकी इच्छा के बावजूद उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में नहीं होने दिया गया।इसी प्रकार, पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का अंतिम संस्कार प्रयागराज में किया गया, क्योंकि उनके परिवार को कांग्रेस से अपेक्षा नहीं थी। वहीं, चंद्रशेखर का अंतिम संस्कार दिल्ली में हुआ और उनकी समाधि भी बनाई गई, जबकि वे जनता पार्टी से थे।इन उदाहरणों से यह प्रतीत होता है कि गांधी-नेहरू परिवार के विरोधियों के साथ कांग्रेस ने सख्त रुख अपनाया। प्रणब मुखर्जी के निधन पर कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा औपचारिक शोक संदेश न देने की बात उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी उठाई थी।इस प्रकार, कांग्रेस को चाहिए कि वह ऐसे विवाद उठाने से बचें, जो उसके दोहरे मापदंडों को उजागर करते हैं।
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